20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण; गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान!

सूर्य ग्रहण 2023 : साल का यह पहला सूर्य ग्रहण ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा। इस सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य अपनी उच्च राशि मेष राशि में होंगे, जिसका स्वामी मंगल है। धार्मिक नजरिए से ग्रहण को अशुभ माना जाता है। ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार का शुभ कार्य या भगवान का पूजन करना भी वर्जित माना गया है इसलिए इस अवधि में सभी मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। मान्यताओं के अनुसार, गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे उनके बच्चे पर ग्रहण का बुरा प्रभाव पड़ता है। आइए एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं सूर्य ग्रहण के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं को किन बातों का ख़्याल रखना चाहिए।

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पंचांग के अनुसार, साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल, 2023 को पड़ेगा। यह सुबह 07 बजकर 05 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा। सूर्य ग्रहण का सीधा प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ता है इसलिए इस दौरान कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता है। वहीं गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सूर्य ग्रहण से सावधान किया जाता है। सूर्य ग्रहण का दुष्प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर हो सकता है इसलिए ग्रहण के समय कुछ चीज़ों का परहेज अवश्य करना चाहिए।

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सूर्य ग्रहण क्या है?

सूर्य ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना को कहा गया है जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच कुछ इस प्रकार से आ जाता है कि सूर्य का बिंब कुछ समय के लिए पूरी तरह से ढक जाता है और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ना बंद हो जाता है। इस प्रक्रिया को ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा के आ जाने से पृथ्वी पर रोशनी नहीं पहुंच पाती है जिसके कारण कुछ समय के लिए पृथ्वी के कुछ हिस्सों में दिन में भी अंधेरा दिखने लगता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी जब एक सीधी रेखा में आ जाते हैं, तब सूर्य ग्रहण लगता है। 

सूर्य ग्रहण चार प्रकार के होते हैं- पूर्ण सूर्य ग्रहण, वलयाकार सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और संकर सूर्य ग्रहण। साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण संकर ग्रहण होगा जो एक दशक के बाद लगेगा। यह आखिरी बार 2013 में लगा था। सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दौरान ही लगता है। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगने जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। विद्वान ज्योतिषियों के मुताबिक इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं पर देखने को मिलेगा।

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सूर्य ग्रहण का महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्यग्रहण एक अशुभ घटना मानी जाती है। मान्यता है कि राहु व केतु के कारण ग्रहण की स्थिति बनती है। ऐसा कहा जाता है कि जब अशुभ ग्रह या छाया ग्रह राहु और केतु सूर्य पर अपनी छाया डालते हैं तो उस दौरान सूर्य को शक्तिहीन कर देते हैं। वैदिक ज्योतिष की मानें तो राहु-केतु के पास ऐसी ऊर्जा है जो दूसरे ग्रहों की क्षमताओं को छीनने की ताकत रखती है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन में जब अमृत निकला तो इसके लिए देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान कराने लगे। उस समय राहु नाम के असुर ने भी देवताओं का रूप धारण करके अमृतपान कर लिया। इस दौरान चंद्रमा और सूर्य ने राहु की पहचान कर ली और इस बात की सूचना भगवान विष्णु को दे दी। तब विष्णु जी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था इसलिए वह अमर हो गया था। तभी से राहु चंद्रमा और सूर्य को अपना शत्रु मानने लगा और समय-समय पर इन ग्रहों से बदला लेता है। शास्त्रों में इसी घटना को सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण कहा जाता है।

ग्रहण काल शुरू होने के 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इस दौरान पूजा-अर्चना या किसी भी शुभ कार्य को करना वर्जित होता है। माना जाता है कि इस दौरान वातावरण अशुद्ध हो जाता है। ऐसे में कई प्रकार की सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है, खासकर इस अवधि में गर्भवती महिलाओं को गर्भ में पल रहे बच्चे और अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए।

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गर्भवती महिलाओं को सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करना चाहिए क्या नहीं!

  • गर्भवती महिलाओं को न तो ग्रहण देखना चाहिए और न ही ग्रहण के दौरान घर से बाहर जाना चाहिए।
  • सूर्य ग्रहण के दौरान खासतौर पर गर्भवती महिलाएं भूलकर भी चाकू-कैंची या किसी भी धारदार चीज़ का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, न ही ये चीजें हाथ में लेनी चाहिए। मान्यता है कि इससे बच्चे में शारीरिक दोष पैदा हो सकता है।
  • ज्योतिषियों का ऐसा भी सुझाव है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को केवल दुर्वा घास के बिस्तर पर बैठना चाहिए और संतान गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को ग्रहण शुरू होने से पहले और खत्म होने के बाद स्नान करना चाहिए। ग्रहण के दौरान स्नान नहीं करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को उठने-बैठने के दौरान भी सावधानी बरतनी चाहिए और उचित आसन बनाए रखना चाहिए।
  • साथ ही गर्भवती महिलाओं को घर में कहीं भी ताला नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इसका असर शिशु के अंगों पर पड़ने की आशंका रहती है।
  • ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को धातु के गहने या वस्तुएं जैसे हेयर पिन आदि पहनने से बचना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में सोना नहीं चाहिए क्योंकि ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए सूर्य ग्रहण डायरेक्ट नंगी आंखों से देखना हानिकारक साबित हो सकता है।
  • गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय किसी भी प्रकार के भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

हालांकि विज्ञान सूर्य ग्रहण कि इस तरह की मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है लेकिन भारत में गर्भवती महिलाएं सदियों से इन परंपराओं और सावधानियों का पालन करती आ रही हैं। ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रहण लगने से प्रकृति में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है इसलिए धर्मग्रंथों में हर किसी को ग्रहण के दौरान संयम पूर्वक रहने की सलाह दी गई है। खास तौर पर गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान अपना ख़ास ध्यान रखने की बात कही गई है।

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