विरले ही ऐसे भक्त पैदा होते हैं जिन्होंने अपने आप को अपने आराध्य की सेवा में इतना समर्पित कर दिया कि वे खुद भी इतिहास में अमर हो गए। ऐसे ही भक्तों में एक थे सूरदास जी। सूरदास जन्मांध थे यानी कि बचपन से ही उन्हें बिल्कुल भी नहीं दिखता था। सूरदास भगवान श्री कृष्ण के परम भक्तों में से एक थे और वे साहित्य के क्षेत्र में भी काफी अग्रणी रहे। हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सूरदास जयंती मनाई जाती है जो कि इस साल यानी कि साल 2021 के 19 मई को मनाई जाने वाली है। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में सूरदास जी का जीवन परिचय देंगे और साथ ही इस दिन की पूजा विधि भी आपको बताएँगे।
जीवन की दुविधा दूर करने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट
सूरदास जी का जीवन परिचय
सूरदास जी का जन्म 1478 ईस्वी में रुनकता नामक एक गाँव में हुआ था। सूरदास जी का यह गाँव मथुरा-आगरा मार्ग के बगल में स्थित है। हालांकि कई लोगों का सूरदास जी के जन्म को लेकर अलग मत है। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि सूरदास जी का जन्म हरियाणा के सीही नामक गाँव में हुआ था। खैर सूरदास जी के पिता का नाम रामदास था और वो स्वयं भी एक गायक थे।
मान्यता है कि जन्मांध होने की वजह से सूरदास बचपन में ही घर छोड़ कर निकल गए थे और यमुना नदी के किनारे जाकर बस गए। समय बीता तो वे आगरा के नजदीक बसे एक जगह गाउघाट में जाकर रहने लगे। यहीं सूरदास जी की मुलाक़ात अपने गुरु श्री वल्लभाचार्य से हुई। श्री वल्लभाचार्य सूरदास जी की गायन काला से बेहद प्रभावित हुए और उन्हें अपना शिष्य बना लिया। इसके बाद उन्होंने सूरदास जी को पुष्टिमार्ग की दीक्षा दी और साथ ही भगवान कृष्ण के जन्म से लेकर महाभारत तक में उनकी सारी लीलाओं के बारे में सूरदास जी को बताया जिसके बाद सूरदास जी भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त बन गए।
मान्यता है कि सूरदास जी को एक बार भगवान श्री कृष्ण ने दर्शन भी दिए थे। इस कथा के अनुसार एक बार सूरदास भगवान श्री कृष्ण के भजन में ऐसे लीन हुए कि एक कुएं में गिर पड़े। तब भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं प्रकट होकर उन्हें बचाया था और उनकी दृष्टि लौटा दी थी। आपको पता है कि जब भगवान कृष्ण ने उन्हें कुएं से निकाला और अपने परम भक्त सूरदास जी से पूछा कि उन्हें वरदान में क्या चाहिए तब सूरदास जी ने क्या कहा? सूरदास जी ने तब भगवान श्री कृष्ण से कहा कि वे उन्हें दोबारा अंधा कर दें क्योंकि वे नहीं चाहते कि उन्हें भगवान श्री कृष्ण के अलावा और कोई भी नजर आए। ये थी सूरदास जी की अपने आराध्य के प्रति भक्ति।
ये भी पढ़ें: महाभारत की वो घटना जब भीष्म पितामह ने क्रोध में पांडवों के वध की प्रतिज्ञा ले ली थी
सूरदास जयंती के दिन इस प्रकार करें पूजा
सूरदास जयंती मुख्य तौर से उत्तर भारत में मनाई जाती है। इस दिन लोग विशेष तौर से भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं। कई भक्त इस दिन व्रत भी रखते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए सूरदास के भजनों को गया जाता है। अगले दिन सभी व्रती अपना व्रत खोलते हैं। वृन्दावन में इस दिन खास तौर से कुछ जगहों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ जरूर साझा करें। धन्यवाद!