भगवान जगन्नाथ से जुड़ी वो कथा जिसकी वजह से उन्हें प्रत्येक वर्ष ‘क्वारंटिन’ होना पड़ता है

पुरी के विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के बारे में कौन नहीं जानता। यहाँ की रथ यात्रा विश्व भर में प्रसिद्ध है। पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर के चमत्कारों से भरे किस्से पुरी दुनिया के श्रद्धालुओं को यहाँ खींच लाते हैं। जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण, सुभद्रा और बालभद्र के साथ विराजमान हैं। जगन्नाथ शब्द का अर्थ होता है जगत के स्वामी यानी वो देवता जो पूरे जगत के स्वामी हैं। 

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लेकिन क्या आपको ये पता है कि प्रत्येक साल एक ऐसा वक्त भी आता है जब भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं जिसकी वजह से उन्हें एकांत में रहना पड़ता है। ये ठीक वैसा ही है जैसे कोरोना महामारी के दौरान किसी कोरोना के मरीज को क्वारंटिन होना पड़ता है। लेकिन ऐसा होता क्यों है और ऐसा होता कब है? बस इसी सारी जानकारी के लिए हमने आपके लिए ये लेख लिखा है। इस लेख में आपको हम बताने वाले हैं कि आखिर क्यों और कब पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं।

क्यों पड़ते हैं भगवान जगन्नाथ बीमार?

दरअसल भगवान जगन्नाथ के प्रत्येक साल बीमार होने के पीछे एक कथा मौजूद है। मान्यता है कि सदियों पहले पुरी में भगवान जगन्नाथ का एक बहुत बड़ा भक्त हुआ करता था जिसका नाम था माधव दास। माधव दास की भगवान जगन्नाथ में अटूट श्रद्धा थी और वे प्रतिदिन भगवान जगन्नाथ की पूजा करते व प्रसाद ग्रहण करते थे। 

सब ठीक चल रहा था लेकिन एक दिन माधव दास बीमार पड़ गए। उन्हें बुखार हो गया। माधव दास अकेले रहते थे और ऐसे में उनकी सेवा करने वाला कोई नहीं था। आसपास के लोग उन्हें चिकित्सीय परामर्श लेने की सलाह भर देते लेकिन कोई भी उन्हें चिकित्सक के पास लेकर नहीं जाता। माधव दास भी लोगों से यही कहते कि जबतक उनके साथ उनके भगवान हैं, उन्हें कुछ नहीं होगा लेकिन माधव दास की तबीयत बिगड़ती गयी और अब उनका चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया।

तब भगवान जगन्नाथ ने एक युवक के रूप में माधव दास की सेवा की। भगवान जगन्नाथ उन्हें रोज स्नान कराते, उनके गंदे कपड़े धोते, मल-मूत्र साफ करते, भोजन कराते व दवाइयाँ देते। भगवान जगन्नाथ रूपी उस युवक की सेवा से माधव दास थोड़े स्वस्थ हुए तो उन्होंने उस युवक को देखते ही पहचान लिया कि ये तो स्वयं भगवान जगन्नाथ हैं। 

यह जानकर माधव दास फूट-फूट कर रोने लगे और भगवान जगन्नाथ से पूछने लगे कि प्रभु को स्वयं यहाँ आने की क्या जरूरत थी, उसके लिए उन्होंने इतना कष्ट क्यों उठाया। माधव दास प्रभु जगन्नाथ से पूछते हैं कि आप चाहते तो माधव दास को ठीक भी कर सकते थे तो फिर आपने उसकी सेवा क्यों की? यह सुनकर भगवान जगन्नाथ माधव दास से कहते हैं कि वे सिर्फ भक्तों के कष्ट कम कर सकते हैं। 

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भगवान माधव दास को बताते हैं कि इस दुनिया में आए प्रत्येक व्यक्ति को अपने हिस्से का कष्ट तो भोगना ही है। ऐसे में भगवान माधव दास का कष्ट खत्म तो नहीं कर सकते थे लेकिन सेवा कर कम जरूर कर सकते थे और उन्होंने ऐसा ही किया लेकिन फिर भगवान जगन्नाथ ने माधव दास से कहा कि अब भी उसे 15 दिन और बीमार रहना है, ऐसे में माधव दास को और कष्ट न हो इस वजह से माधव दास के 15 दिन के कष्ट भगवान जगन्नाथ स्वयं के हिस्से ले लेते हैं। यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ते हैं और 15 दिन के लिए एकांत में चले जाते हैं। इस दौरान उनके दर्शन नहीं होते हैं।

कब होते हैं भगवान जगन्नाथ बीमार?

मान्यता है कि जिस दिन भगवान जगन्नाथ ने भक्त माधव दास के सारे कष्ट अपने ऊपर ले लिए थे उस दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा थी। इस वजह से प्रत्येक वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ते हैं। पुरी में इस दिन को अनासार उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। अनासार उत्सव के 15 दिन बाद भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है। साल 2021 में ज्येष्ठ पूर्णिमा 24 जून को बृहस्पतिवार के दिन पड़ रहा है।

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