दो शुभ योगों के साथ मनाई जाएगी इस साल की आखिरी सोमवती अमावस्या, जानें महत्व

हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की आख़िरी तिथि को अमावस्या होती है, इस हिसाब से साल में कुल 12 अमावस्या होती हैं। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। आपको बता दें कि सोमवती अमावस्या पूरे साल में सिर्फ़ दो बार ही आती है। जिसमें से इस वर्ष की पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को थी और दूसरी या यूं कहें कि साल की आख़िरी सोमवती अमावस्या 30 मई, 2022 को पड़ रही है। 

इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं तथा पीपल के पेड़ की परिक्रमा लगाती हैं क्योंकि ऐसा करना बहुत शुभ और फलदायी माना जाता है। इस तिथि की ख़ास विशेषता यह है कि इसी दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाएगा, जिसके रीति-रिवाज, पूजनविधि और महत्व आदि अलग हैं। आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि सोमवती अमावस्या का क्या महत्व है, इसकी पूजनविधि क्या है, इस दिन कौन सा योग बन रहा है तथा इस दिन क्या उपाय किए जाने चाहिए।

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सोमवती अमावस्या का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन व्रत करने, विधिवत पूजा करने और पितरों को निमित्त तिल देने से पुण्य मिलता है तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। जैसा कि आप जानते हैं कि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है, इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिविधान से पूजन करने और व्रत रखने से पति की आयु लंबी होती है तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में उपस्थित नकारात्मकता का नाश होता है। कुछ लोग इस दिन यज्ञ आदि भी करते हैं।

सोमवती अमावस्या तिथि व समय

दिनांक: 30 मई, 2022

दिन: सोमवार

हिंदी महीना: ज्येष्ठ

पक्ष: कृष्ण पक्ष

तिथि: अमावस्या

सोमवती अमावस्या आरंभ: 29 मई, 2022 दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से

सोमवती अमावस्या समाप्त: 30 मई, 2022 की शाम 05 बजे तक

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सोमवती अमावस्या पूजन विधि

सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करना बेहद फलदायी होता है। इससे कुंडली में चंद्रमा भी बलवान होता है।

  • सोमवती अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में सोकर उठ जाएँ।
  • वैसे तो इस दिन गंगास्नान करना शुभ माना जाता है, लेकिन यदि संभव न हो तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर दिव्य स्नान करें।
  • इसके बाद साफ-स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • फिर एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल लेकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • इसके बाद पितरों का तर्पण करें तथा उनके मोक्ष प्राप्ति के लिए कामना करें।
  • पूजा-पाठ करने के बाद किसी ज़रूरतमंद को भोजन कराएं और वस्त्र दान करें।
  • वहीं शादीशुदा महिलाएं इस दिन पीपल के पेड़ की विधिवत पूजा करें और परिक्रमा लगाएं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि पीपल के पेड़ की परिक्रमा लगाने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं तथा पति की आयु लंबी होती है।

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सोमवती अमावस्या व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक बहुत ग़रीब ब्राह्मण था। उसकी एक सुशील और गुणी बेटी थी लेकिन धन न होने की वजह से उसकी शादी नहीं हो रही थी, जिसे लेकर ग़रीब ब्राह्मण बहुत परेशान था। फिर एक दिन उस ब्राह्मण ने एक साधु से इस समस्या का समाधान पूछा तो साधु ने कहा कि पास के गांव में एक सोना नाम की धोबिन रहती है। जो कि बहुत ही संस्कारी और पति परायण है। यदि तुम्हारी बेटी उस धोबिन की सेवा करे और धोबिन अपनी मांग का सिंदूर तुम्हारी बेटी की मांग में लगा दे तो उसे इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी।

साधु की आज्ञा का पालन करते हुए ब्राह्मण की बेटी ने ठीक वैसा ही किया। हर दिन वह सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर धोबिन के घर जाती और उसके घर का सारा काम करके चुपचाप चली आती। धोबिन और उसकी बहु इस बात से बिल्कुल अनजान थे कि ये सारा काम कौन करके जाता है। एक दिन धोबिन ने अपनी बहू से पूछा कि इतना सारा काम तुम इतनी जल्दी कैसे कर लेती हो तो इस पर उसकी बहुत ने उत्तर दिया कि मैं सोचती थी कि ये सारा काम आप सुबह जल्दी उठकर कर लेती हैं। जब दोनों को यह बात पता चली कि दोनों में से कोई भी ये काम नहीं कर रहा है, कोई तीसरा करके जा रहा है तो उन्होंने इसका पता लगाने के लिए निगरानी करने की योजना बनाई।

इसके बाद धोबिन ने कई दिनों तक लगातार निगरानी की तो एक दिन धोबिन ने उस लड़की के पैर पकड़ लिए और उसे पूछा कि तुम कौन हो और मेरे घर का सारा काम क्यों करती हो? तब जाकर उस लड़की ने उसे साधु की कही बात बताई। चूंकि धोबिन बहुत पति परायण थी, इसलिए उसने बिना कुछ सोचे-समझे अपनी मांग का सिंदूर उस लड़की की मांग में लगा दिया लेकिन जैसे ही उसने अपनी मांग का सिंदूर उस लड़की की मांग में लगाया तो उसका पति गुज़र गया। जैसे ही उसे इस बात का पता चला तो वह अपने घर से निकली और निर्जल ही पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा लगाई। उसके बाद उसने जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसका पति ज़िंदा हो गया। यही कारण है कि इस दिन महिलाएं पीपल के पेड़ की परिक्रमा लगाती हैं।

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सोमवती अमावस्या के दिन ज़रूर करें ये ज्योतिषीय उपाय

  • वैदिक ज्योतिष के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन शिवलिंग पर कच्चे दूध और दही का अभिषेक करने से बिगड़े काम भी बनने लगते हैं और आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
  • सोमवती अमावस्या के दिन गाय के गोबर के उपलों/कंडों की आग में गुड़ और घी का धूप लगाएं। ऐसे करने से पितर ख़ुश होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
  • संपत्ति से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए सोमवती अमावस्या की रात में किसी कुएं में एक चम्मच दूध और एक सिक्का डालें।
  • सभी प्रकार की दरिद्रता दूर करने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन नहाने के बाद पूजा करने के दौरान तुलसी या पीपल के पेड़ की 108 बार परिक्रमा लगाएं।
  • अनंत फल की प्राप्ति के लिए सोमवती अमावस्या के दिन सच्ची निष्ठा और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान गणेश को सुपारी चढ़ाएं और रात में गणेश जी के सामने घी का दीपक/दीया जलाएं।
  • घर में सुख-समृद्धि लाने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य आदि अवश्य करें।

सोमवती अमावस्या के दिन बन रहा है सुकर्मा योग

वैदिक ज्योतिष में सुकर्मा योग को बहुत शुभ बताया गया है। कहा जाता है कि इस योग में किए गए कार्य ज़रूर सफल होते हैं। विशेष रूप से यह योग नौकरी बदलने एवं मांगलिक कार्य करने के लिए शुभ माना जाता है।

सुकर्मा योग आरंभ: 29 मई, 2022 की रात 10 बजकर 52 मिनट से

सुकर्मा योग समाप्त: 30 मई, 2022 की रात 11 बजकर 37 मिनट तक

11 बजकर 37 मिनट के बाद धृति योग का निर्माण हो रहा है। इस हिसाब से सोमवती अमावस्या के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं। आपको बता दें कि यह योग भवन या स्थान का शिलान्यास करने, भूमि पूजन या नींव रखने के लिए बहुत उत्तम माना जाता है। कहा जाता है कि इस योग में की गई शुरुआत आजीवन सुखदायी होती है।

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