श्री राम मंदिर भूमि पूजन 5 अगस्त 2020: कितना न्यायसंगत?

श्री राम मंदिर बनने की घड़ी निकट है और 5 अगस्त 2020 वह ऐतिहासिक दिन है, जिस दिन देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी श्री राम मंदिर की शुरुआत करते हुए भूमि पूजन करेंगे। कोरोना संकट के समय में भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण की सूचना सभी लोगों के लिए एक प्रसाद की तरह है जो सबके अंदर एक खुशी की भावना भर रही है और जिससे सबका मन आह्लादित हो रहा है। हालाँकि मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनज़र अगर आपके दिमाग में अपने भविष्य से जुड़ा कोई भी सवाल है, जिसके चलते आप परेशान रहने लगे हैं, तो उसका जवाब जानने के लिए अभी हमारे विशेषज्ञ ज्योतिषियों से प्रश्न पूछें

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श्रीराम मंदिर भूमि पूजन मुहूर्त से जुड़ी रोचक बातें

जहां एक तरफ काफी लोग राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन को लेकर आश्वस्त हैं कि यह सबसे अच्छा मुहूर्त है तो वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह अशुभ मुहूर्त है और इसमें मंदिर निर्माण करना परेशानियों का कारण बन सकता है, इसलिए यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या वास्तव में यह एक अच्छा मुहूर्त है अथवा इसके विपक्ष में बोलने वालों की बातों में कुछ दम है।

श्री राम मंदिर की भूमि पूजन का शुभ कार्य प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों द्वारा संपन्न होगा। उनकी कुंडली में उस दिन (जो वृश्चिक लग्न और वृश्चिक राशि की है) चंद्रमा की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा और बृहस्पति की प्रत्यंतर दशा चल रही होगी। चंद्रमा भाग्येश होकर लग्न में विराजमान है और बृहस्पति चतुर्थ भाव में बैठकर पूर्ण रूप से दशम भाव को दृष्टि दे रहा है तथा शुक्र दशम भाव में विराजमान है। इस प्रकार माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के हाथों भूमि पूजन के कारण यह एक अच्छा संकेत लेकर आएगा और स्वयं प्रधानमंत्री के साथ-साथ देश के मान सम्मान में वृद्धि के साथ-साथ सुख, संपत्ति और मान तथा यश बढ़ाने वाला होगा।

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क्या है भूमि पूजन का सावन भादों कनेक्शन

कुछ लोगों का तर्क है कि यह मुहूर्त उत्तर और दक्षिण भारत का संगम है क्योंकि यहां श्रावण और भाद्रपद दोनों महीनों का योग होगा। ध्यान देने योग्य बात यह है कि श्रावण का पवित्र महीना भगवान शिव को समर्पित है जो स्वयं भगवान विष्णु और श्रीराम की उपासना करते हैं तो वहीं भाद्रपद का महीना श्री कृष्ण के जन्म के लिए जाना जाता है जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार हैं। इसके अलावा अभिजीत समय को चुना गया है। यह वही समय है, जिस समय में भगवान श्रीराम ने जन्म लिया था।

हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व रामेश्वरम में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए स्वयं ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। वर्तमान समय में उसी श्रावण महीने में श्री राम के मंदिर की भूमि पूजन रखना भगवान शिव की कृपा प्राप्ति का एक माध्यम भी है।

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क्या है इस भूमि पूजन मुहूर्त की खास बातें?

5 अगस्त 2020 को अयोध्या में दोपहर 12:15 पर जब भूमि पूजन प्रधानमंत्री के हाथों किया जाएगा तो उस समय तुला लग्न राहु के नक्षत्र स्वाति में होगा। राहु उच्च राशि मिथुन में कुंडली के नवम भाव में होगा जिससे धर्म से संबंधित काम होने से मान सम्मान की बढ़ोतरी होगी। लग्न का स्वामी शुक्र भी राहु के साथ स्थित होगा जिससे यह पता लगता है कि यह मंदिर काफी भव्य बनेगा और देखने में बहुत सुंदर होगा। यहाँ होकर राहु शुक्र युति करके योगकारक बन गया है। राहु मंगल के नक्षत्र धनिष्ठा में हैं जो छठे भाव में बैठकर शत्रु हन्ता बना हुआ है।

धार्मिक कार्यों के अधिपति देव गुरु बृहस्पति धार्मिक ग्रह केतु के साथ धनु राशि में कुंडली के तीसरे भाव में बैठकर नवम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखेंगे,, जिससे धार्मिकता का प्रभाव भी काफी हद तक रहेगा। इस कुंडली में उस समय दशा भी राहु की महादशा में राहु की अंतर्दशा और शुक्र की प्रत्यंतर दशा होगी। दक्षिण भारतीय विचार के अनुसार उस समय राहु काल होगा। भूमि पूजन वाले दिन की शुरुआत में सुबह 9:30 बजे तक धनिष्ठा नक्षत्र होगा लेकिन उसके बाद राहु का शतभिषा नक्षत्र आ जाएगा। 

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इस प्रकार इस पूरे मंदिर निर्माण में राहु की भूमिका अत्यंत मजबूत होगी और पंचक में मंदिर का भूमि पूजन होगा। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को शोभन करण उपस्थित होगा तथा सुबह 10:15 बजे तक तैतिल करण के बाद गरज योग उपस्थित होगा। सूर्य देव कर्क राशि में और चंद्र देव कुंभ राशि में होंगे। वर्षा ऋतु  होगी और सूर्य दक्षिणायन होंगे। इसी दिन दोपहर 12:07 से 1:45 तक राहुकाल उपस्थित रहेगा जो विशेष रूप से दक्षिण भारत में मान्य है लेकिन उत्तर भारत में भी अब इसको मानने वालों की संख्या बढ़ने लगी है। 

इस दिन भद्रा का वास पृथ्वी पर होगा जिसे अच्छा नहीं माना जाता लेकिन एक विचारणीय तथ्य यह भी है कि यह श्री राम का मंदिर कोई नया मंदिर नहीं है। यहां पर पहले से ही मंदिर था तो इस प्रकार यह मंदिर का जीर्णोद्धार ही माना जाएगा। गौरतलब है कि चातुर्मास के समय में शुभ कार्यों पर प्रतिबंध होता है लेकिन देव पूजा और देव पूजा से संबंधित कार्यों के लिए यह समय अच्छा होता है।

5 अगस्त 2020 को अगर अंक शास्त्र के नजरिये से देखा जाए तो 5 का अंक बुध का प्रतीक है और 5 अगस्त 2020 का कुल अंक 8 बैठता है, जो शनि देव का प्रतीक है। मंदिर के गुंबदों की संख्या भी 3 से बढ़ाकर 5 कर दी गई है। इस प्रकार बुद्धि और न्याय के साथ इस मंदिर का नाता होगा और शनिदेव की कृपा से यह लंबे समय तक चलने वाला हो सकता है। 

मंदिर की भूमि के पूजन के शुभ मुहूर्त का विरोध करने वालों का तर्क है कि दक्षिणायन और भाद्रपद माह घर और मंदिर के निर्माण की शुरुआत के लिए उत्तम नहीं होता और बुधवार के दिन अभिजीत मुहूर्त को मान्यता नहीं दी गई है। मुहूर्त के पक्षधरों का कहना है कि भले ही चातुर्मास में शुभ कार्य वर्जित हों लेकिन धार्मिक कार्य करना मना नहीं है और यह भगवान श्रीराम का कार्य है तो स्वतः ही शुभ होगा। 

वस्तुतः ग्रह स्थिति के आधार पर देखा जाए तो कोई बहुत मजबूत संयोग नहीं बन रहा है। इसलिए भगवान श्री राम जी हम सभी की सहायता करें और हमें अपना आशीर्वाद प्रदान करें। अंत में यही कहना चाहूंगा कि 

होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

अर्थात जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा। तर्क करके कौन शाखा (विस्तार) बढ़ावे। (मन में) 

जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी

वास्तव में भगवान श्री राम हमारे आराध्य हैं और हम सभी के लिए खुशी की बात यह है कि प्रभु श्री राम का मंदिर बनने वाला है और शीघ्र ही देश और दुनिया में जाने जाने वाले इस मंदिर में हमें पूजा करने का अवसर मिलेगा और भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

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