होली के सातवें दिन हर साल शीतला सप्तमी का त्यौहार मनाया जाता है। चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन पड़ने वाली शीतला सप्तमी के दिन बासी या ठंडा भोजन खाने का विधान होता है। शीतला सप्तमी को कई जगहों पर चेचक, तो कहीं बसौड़ या कहीं बसियोरा के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष शीतला सप्तमी 3 अप्रैल शनिवार के दिन पड़ रही है। शीतला सप्तमी के दिन विवाहित महिलाएं अपने घर परिवार में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हुए मां शीतला की पूजा करती हैं।
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शीतला सप्तमी तिथि और मुहूर्त
शीतला सप्तमी पूजा 3 अप्रैल 2021 शनिवार
शीतला सप्तमी पूजा समय सप्तमी तिथि 03 अप्रैल को 6:00 बजे प्रारंभ होगी और
सप्तमी तिथि 4 अप्रैल को 4 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी
बहुत से लोग शीतला सप्तमी के दिन मां शीतला के सम्मान में मुंडन में करवाते हैं। मुख्य रूप से शीतला सप्तमी के दिन सुहागिन महिलाएं अपने घर परिवार और विशेष तौर पर बच्चों की सलामती के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से मां शीतला प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
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शीतला सप्तमी पूजन विधि
शीतला सप्तमी का व्रत और पूजन करने वाली महिलाएं इस दिन सुबह 4:00 बजे उठकर मां शीतला की पूजा करती हैं। इस दिन मीठे चावल, चने की दाल, हल्दी और लोटे में पानी लेकर पूजा किए जाने का विधान है। इस दिन महिलाएं स्नान आदि करने के बाद मां शीतला की पूजा प्रारंभ करती हैं और पूजा में मां शीतला के इस मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप अवश्य करती हैं। मंत्र: ‘हृं श्रीं शीतलायै नमः’।।। इस दिन की पूजा में माता को भोग में रात के बने हुए गुण और चावल का भोग लगाया जाता है और पूजा के बाद भक्त किसी चावल को स्वयं भी खाते हैं।
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शीतला सप्तमी के व्रत से मिलने वाला फल
जो कोई भी व्यक्ति या महिला शीतला सप्तमी का व्रत करता है उसके संतान की सेहत हमेशा अच्छी बनी रहती है। इसके अलावा ऐसी महिलाओं के संतानों को कभी भी कोई बीमारी आदि नहीं परेशान करती है। हालांकि शीतला सप्तमी में एक विशेष नियम का अवश्य ध्यान रखना चाहिए और वो यह है कि, इस दिन के बाद से बासी भोजन नहीं किया जाता है। बासी भोजन खाने की आखिरी तिथि शीतला सप्तमी की होती है। यानी कि इसके बाद से बासी खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि, इस दिन के बाद से मौसम गर्म हो जाता है इसलिए ताजा खाना खाना चाहिए।
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