शारदीय नवरात्रि विशेष: जानें माँ दुर्गा की आदिशक्ति से महाशक्ति बनने तक का सफर !

हिन्दू पंचांग के अनुसार आने वाले 29 सितंबर से देशभर में नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्रि के दौरान मुख्य रूप से देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर दुर्गा माँ को हमारे हिन्दू धर्म में महाशक्ति के रूप में क्यों पूजा जाता है। आज हम आपको खासतौर से बताने जा रहे हैं की आखिर दुर्गा माँ आदिशक्ति से कैसे महाशक्ति बनीं और क्या है इसके पीछे का मुख्य कारण।

इसलिए देवी को दुर्गा के नाम से बुलाया गया 

हमारे धर्मशास्त्र के अनुसार प्राचीन काल में दुर्गम नाम का एक असुर हुआ करता था जिससे त्रस्त होकर सभी देवताओं ने माँ का आह्वान किया था। इसके फलस्वरूप ही माता आदिशक्ति ने देवताओं की पुकार सुनी और उन्हें दुर्गम नाम के असुर से मुक्ति दिलाया। चूँकि माता ने दुर्गम का वध किया इसलिए उन्हें दुर्गा कहकर पुकारा जाने लगा और उनकी पूजा अर्चना की जाने लगी। इसके साथ ही आपको बता दें की देवी का रूप माता पार्वती का है जिन्हें आदिशक्ति कहा जाता है। 

दुर्गा माँ ऐसे बनी आदिशक्ति से महाशक्ति 

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार दुर्गम नाम के असुर ने ब्रह्मा जी से धोखे से चारों वेद प्राप्त कर लिए और स्वर्गलोक पर आक्रमण कर सभी देवताओं को स्वर्ग से बहार निकालकर स्वयं अपना अधिपत्य जमा लिया। देवतागण असुर दुर्गम के इस आक्रमक व्यवहार से काफी त्रस्त होगये और अंत में उन्हें आदिशक्ति का ख्याल आया। सभी देवताओं ने मिलकर देवी माँ का आह्वान किया और उनसे असुर दुर्गम का वध करने की गुजारिश की। देवताओं की पुकार सुनकर माँ आदिशक्ति प्रकट हुई और उन्होनें देवताओं को उनका स्वर्ग लोक वापसी दिलाने और असुर दुर्गम का वध करने का आश्वासन दिलाया। माना जाता है कि, जब दुर्गम को इस बारे में ज्ञात हुआ तो वो अपनी विशाल असुर सेना लेकर देवी आदिशक्ति से युद्ध लड़ने निकल पड़ा। 

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के विभिन्न रूपों की पूजा करने से शांत होते हैं ये ग्रह भी !

चूँकि असुरों की सेना काफी बड़ी थी और माँ आदिशक्ति अकेली। लिहाजा उन्होनें कठोर तप से अपने विभिन्न रूपों काली, बगला, भैरवी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता आदि का आह्वान कर सबको एकत्रित किया। जब दुर्गम माता से युद्ध लड़ने आया तो उसे देवी के उन विभिन्न रूपों का सामना करना पड़ा और उसके लिए माँ आदिशक्ति से युद्ध लड़ना नामुमकिन हो गया। अंत में देवी ने महाशक्ति दुर्गा का रूप लेकर असुर दुर्गम का संहार किया। ऐसी मान्यता है कि देवी के इस विशाल रूप को देखकर सभी देवता स्तब्ध हो गये और उन्होनें देवी दुर्गा की पूजा अर्चना का उन्हें महाशक्ति के रूप में पूजना शुरू कर दिया। 

देवी माँ का वो मंदिर जहाँ अखंड ज्योत से टपकता है केसर !

इस प्रकार से दुर्गा माँ, आदिशक्ति से महाशक्ति के रूप में प्रसिद्ध हुई। देवी के इस रूप को केवल देवता ही नहीं बल्कि संसार का हर एक प्राणी नमन करता है। नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के सभी रूपों की श्रद्धाभाव के साथ पूजा अर्चना की जाने लगी।