तीन अद्भुत संयोग में मनाई जाएगी मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, इन उपायों से प्राप्त होगा कई गुना फल

तीन अद्भुत संयोग में मनाई जाएगी मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, इन उपायों से प्राप्त होगा कई गुना फल

सनातन धर्म में हर व्रत व त्योहार का अपना विशेष महत्व है और इन सभी व्रत त्योहार की पूजा विधि व महत्व अलग-अलग है। इसी क्रम में हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक महीने मासिक कृष्ण जन्माष्टमी कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन मनाई जाती है। इस खास अवसर पर लड्डू गोपाल की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही व्रत किया जाता है और साथ ही, पूजा के दौरान माखन मिश्री का भोग अवश्य लगाया जाता है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण को माखन अति प्रिय है। इसका भोग लगाने से भगवान कृष्ण को प्रसन्न किया जा सकता है। माना जाता है कि मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा अर्चना करने से भगवान कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन उपवास करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती। हर महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व कृष्ण प्रेमी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन लड्डू गोपाल की पूजा करने से भक्त को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। 

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ख़ास बात यह है कि इस बार मासिक कृष्ण जन्माष्टमी में बेहद अद्भुत संयोग बन रहा है, जिस वजह से इस पर्व की शुभता और अधिक बढ़ गई है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस वैशाख माह में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी कौन सी तिथि को पड़ रही है व इस दिन बनने वाले शुभ योग के बारे में भी हम यहां चर्चा करेंगे।

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मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 2024: तिथि व मुहूर्त

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 01 मई की सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 02 मई की सुबह 04 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन निशा काल में पूजा का समय देर रात 11 बजकर 56 मिनट से लेकर 02 मई को देर रात 12 बजकर 39 मिनट तक है। साधक इस समय में अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-उपासना कर सकते हैं, यह समय पूजा के लिए शुभ रहेगा।

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मासिक कृष्ण जन्माष्टमी में शुभ योग

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर बेहद दुर्लभ शुभ योग बन रहा है। इस योग का निर्माण दिनभर है। इसका समापन शाम 08 बजकर 02 मिनट पर होगा। इसके बाद शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। शुक्ल योग 02 मई की शाम 05 बजकर 19 मिनट तक है। इस दिन शिव वास सुबह 05 बजकर 46 मिनट से लेकर अगले दिन 02 मई को सुबह 04 बजकर 01 मिनट तक है।

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

सनातन धर्म में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की विधि-विधान से पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा मध्य रात्रि में की जाती है। इस दिन कुछ ख़ास उपाय और व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं। इसके अलावा, इस दिन व्रत करने से घर में सुख शांति का वास होता है। इससे नकारात्मकता बाहर जाती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। साथ ही, मनचाही इच्छा जल्द पूरी होती है। ज्योतिष के अनुसार, इस दिन कुछ उपाय भी किए जाते हैं जिनसे पारिवारिक व आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है।

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मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि

  • मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कार्यों को निपटाकर स्नान कर लें। इसके बाद मंदिर को सजाएं और भगवान कृष्ण को साफ वस्त्र पहनाए।
  • मंदिर में चौकी पर कपड़ा बिछाकर श्रीकृष्ण और श्री राधा रानी की मूर्ति विराजमान करें।
  • इसके बाद देसी घी का दीपक जलाएं और भगवान कृष्ण की आरती करें।  
  • इस दिन भगवान श्रीकृष्ण जन्म कथा का पाठ अवश्य करें।  
  • इसके बाद लड्डू गोपाल को मिश्री और माखन का भोग जरूर लगाएं क्योंकि उन्हें मिश्री और माखन बहुत अधिक प्रिय है। भोग में तुलसी दल को जरूर शामिल करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
  • फिर जीवन में सुख और शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करें
  • इसके बाद में लोगों में प्रसाद वितरित करें और उसके बाद खुद भी ग्रहण करें।
  • गरीबों व जरूरतमंदों को अपनी श्रद्धा अनुसार दान करें।

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मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की कथा

भगवान श्री कृष्ण के जन्म के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। उनमें से एक इस प्रकार है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण वासुदेव और देवकी के आठवें पुत्र हैं और उनसे पहले, अन्य सभी सात पुत्रों को असुर राजा यानी भगवान कृष्ण के मामा कंस ने मार डाला था। ऐसा कहा जाता है कि जब गिरधारी का जन्म हुआ तो जेल के सभी ताले अपने आप खुल गए थे और सभी पहरेदार गहरी नींद में सो गए थे। इसके बाद उनके पिता वासुदेव उन्हें लेकर नंद गांव पहुंचे और अपने बाल गोपाल को नंद बाबा को सौंप दिया। आखिरी में भगवान कृष्ण ने मामा कंस का वध कर पूरी प्रजा को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। बता दें, कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है, जो हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है।

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मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर जरूर करें ये ख़ास उपाय

ज्योतिष शास्त्र में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कुछ विशेष ज्योतिष उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को आजमाने से भक्त कई समस्याओं से छुटकारा पा सकता है। तो बिना देरी किए आइए जानते हैं मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन किए जाने वाले खास उपायों के बारे में:

भगवान कृष्ण को मोर का पंख अर्पित करें

यह तो हम सभी जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण को मोर पंख बेहद प्रिय है। यही कारण है कि जगत के पालनहार भगवान श्री कृष्ण अपने मुकुट पर मोर पंख जरूर धारण करते हैं। मान्यता है कि मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को मोर का पंख जरूर अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 

संतान सुख के लिए

मान्यता है कि मासिक जन्माष्टमी के दिन महिलाओं को संतान सुख के लिए व्रत जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से निसंतान को संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान के जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याएं दूर होती है।

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खीर का भोग लगाएं

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को खीर का भोग लगाएं और साथ ही, भोग में तुलसी जरूर डाले। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को खीर का भोग लगाने से साधक को आर्थिक जीवन में आ रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है और कभी भी धन की कमी नहीं होती है।

पान का पत्ता चढ़ाई

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की रात को भगवान कृष्ण को पान का पत्ता अवश्य चढ़ाएं। इसके बाद अगले दिन उस पान के पत्ते पर रोली से श्री यंत्र लिखकर तिजोरी या पैसे रखने वाली अलमारी में रख दें। ऐसा करने से कर्ज व लोन से छुटकारा मिलता है व आर्थिक स्थिति में स्थिर होती है।

पीले रंग का वस्त्र व फूल अर्पित करें

ये तो हम सब जानते हैं कि भगवान कृष्ण को पीतांबर धारी भी कहा जाता है इसलिए मासिक जन्माष्टमी की रात को कान्हा पीले वस्त्र पहनाएं और पीले फूलों से उनका श्रृंगार करें। ऐसा करने से मान-सम्मान में वृद्धि होगी और आपकी हर इच्छा पूरी होगी।

भगवान कृष्ण को चांदी की बांसुरी चढ़ाएं

मासिक जन्माष्टमी की रात पूजा के दौरान भगवान कृष्ण को चांदी की बांसुरी अर्पित करें और इस दौरान ‘क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरि:परमात्मने प्रणत:क्लेशनाशाय गोविंदय नमो नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से सुख-शांति बनी रहती है।

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