कौन सी तिथि और समय होगा उपनयन संस्कार के लिए शुभ, जानने के लिए देखें मई 2024 में उपनयन मुहूर्त!

कौन सी तिथि और समय होगा उपनयन संस्कार के लिए शुभ, जानने के लिए देखें मई 2024 में उपनयन मुहूर्त!

एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग के माध्यम से आपको मई 2024 के उपनयन संस्कार की शुभ तिथियां एवं मुहूर्त की जानकारी प्राप्त होगी। उपनयन संस्कार जो कि जनेऊ और यज्ञोपवीत संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण संस्कार है क्योंकि जनेऊ संस्कार की गिनती 16 संस्कारों में होती है। वर्तमान समय में इस संस्कार को विवाह के समय किया जाने लगा है। लेकिन, जो माता-पिता इस साल मई के महीने में अपने बच्चे का उपनयन या जनेऊ संस्कार करना चाहते हैं और शुभ मुहूर्त की तलाश में हैं, उनके लिए यह ब्लॉग विशेष रूप से तैयार किया गया है। तो चलिए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की। 

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सबसे पहले हम आपको रूबरू करवाते हैं उपनयन संस्कार के अर्थ एवं महत्व के बारे में।  

क्या होता है उपनयन संस्कार?

हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक होता है जनेऊ संस्कार जिन्हें सभी संस्कारों में से दसवां स्थान प्राप्त है। इस संस्कार के दौरान बालक को एक पवित्र धागा पहनाया जाता है जिसे जनेऊ कहते हैं। ब्राह्मण से लेकर क्षत्रिय सभी समुदाय और जाति के बालकों के द्वारा जनेऊ धारण किया जाता है। आपको बता दें कि उपनयन शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिलकर हुआ है ‘उप’ का अर्थ निकट से है और ‘नयन’ से मतलब “दृष्टि” से है। इस प्रकार, उपनयन का शाब्दिक अर्थ खुद को अंधेरे से दूर रखना और प्रकाश की तरफ बढ़ने से होता है। यह संस्कार सनातन धर्म का सबसे लोकप्रिय और पवित्र संस्कार माना गया है।

अब हम आपको बताने जा रहे हैं मई 2024 में उपनयन संस्कार के मुहूर्त और तिथियों के बारे में। 

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मई 2024 में इन तिथियों पर करें उपनयन संस्कार  

हम सभी इस बात को अच्छे से जानते हैं कि सनातन धर्म में प्रत्येक मांगलिक कार्य को शुभ मुहूर्त में करना चाहिए जिससे उस कार्य का शुभ फल संतान को मिल सकें। इन बातों को ध्यान में रखते हुए हम आपके लिए मई 2024 में उपनयन संस्कार के शुभ मुहूर्त लेकर आये हैं जो कि इस प्रकार हैं।    

उपनयन संस्कार का पहला मुहूर्त: 09 मई 2024 की दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से शाम 05 बजकर 30 मिनट तक रहने वाला है। 

उपनयन संस्कार के लिए दूसरा मुहूर्त: 10 मई 2024 की सुबह 06 बजकर 22 मिनट से सुबह 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। 

इसके बाद 10 मई को अन्य मुहूर्त सुबह 10 बजकर 32 मिनट से शाम 05 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए तीसरा मुहूर्त: 12 मई 2024 की सुबह 06 बजकर 14 मिनट से सुबह 10 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। 

12 मई 2024 की दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से शाम 07 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए चौथा मुहूर्त: 17 मई 2024 की सुबह 10 बजकर 04 मिनट से दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। 

17 मई 2024 की शाम 04 बजकर 58 मिनट से शाम 07 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए पांचवां मुहूर्त: 18 मई 2024 की सुबह 06 बजे से 07 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। 

इस दिन एक अन्य मुहूर्त भी उपलब्ध होगा जो कि सुबह 10 बजकर 01 मिनट से शाम 04 बजकर 54 मिनट तक रहने वाला है। 

उपनयन संस्कार के लिए छठा मुहूर्त: 19 मई 2024 की दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से दोपहर 04 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए सातवां मुहूर्त: 20 मई 2024 की सुबह 09 बजकर 53 मिनट से शाम 04 बजकर 47 मिनट से रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए आठवां मुहूर्त: 24 मई 2024 की सुबह 07 बजकर 22 मिनट से सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए नौवां मुहूर्त: 25 मई 2024 की सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 02 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। 

इस दिन एक अन्य मुहूर्त शाम 04 बजकर 27 मिनट से शाम 06 बजकर 46 मिनट तक रहने वाला है। 

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धार्मिक, वैज्ञानिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभ

  • ऐसा कहा जाता है कि जनेऊ धारण करने के बाद बुरे सपने आने बंद हो जाते हैं। 
  • जनेऊ के हृदय के पास से गुजरने की वजह से हृदय रोग की संभावना कम हो जाती है। 
  • जो इंसान जनेऊ पहनता है, उसके लिए साफ-सफाई के नियमों का पालन करना जरूरी होता है। साथ ही, व्यक्ति की दांत, पेट और जीवाणु से रक्षा करता है। 
  • मान्यता है कि कान में जनेऊ लपेटने से सूर्य नाड़ी जागृत होती है।  
  • जनेऊ धारण करने से मनुष्य की कब्ज, एसिडिटी, पेट, रोग, रक्तचाप, हृदय रोगों आदि से सुरक्षा प्राप्त होती है।

जनेऊ संस्कार के दौरान इन नियमों का पालन 

  • माता-पिता को जनेऊ संस्कार के दिन यज्ञ करवाना चाहिए। 
  • इस यज्ञ में बालक को अपने परिवार के साथ बैठना होता है। 
  • इस दिन बालक को बिना सिले हुए कपड़े या धोती पहनाये जाते हैं और हाथ में डंडा देना अनिवार्य होता है। गले में पीला वस्त्र और पैरों में खड़ाऊ धारण करते हैं। 
  • इस दिन मुंडन करते समय एक चोटी छोड़ी जाती है। 
  • जो बालक जनेऊ धारण करता है, वह पीले रंग का होना आवश्यक होता है।

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