शारदीय नवरात्रि : शारदीय नवरात्रि विशेष ब्लॉग की इस कड़ी में आगे बढ़ते हुए हम आ चुके हैं सप्तमी तिथि पर अर्थात नवरात्रि के सातवें दिन विशेष ब्लॉग की तरफ। अपने इस विशेष ब्लॉग में आज हम जानेंगे नवरात्रि की सप्तमी तिथि किस देवता से संबंधित होती है और आप उनकी प्रसन्नता हासिल करने के लिए क्या कुछ उपाय कर सकते हैं।
इसके अलावा इस विशेष ब्लॉग में हम जानेंगे नवरात्रि की सप्तमी तिथि की सही पूजन विधि क्या है? इस दिन से संबंधित मां का प्रिय भोग और रंग क्या है? इस दिन क्या कुछ उपाय करके आप इस दिन को और भी खास बना सकते हैं? इस दिन के मंत्र क्या हैं और साथ ही जानेंगे नवरात्रि सप्तमी तिथि के तार किस ग्रह से जुड़े हैं? अर्थात आप क्या कुछ उपाय करके इस दिन किस ग्रह को मजबूत कर सकते हैं।
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शारदीय नवरात्रि सातवाँ दिन
सबसे पहले बात करें शारदीय नवरात्रि के सातवाँ दिन की तो, शारदीय नवरात्रि का सातवाँ दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है। मां कालरात्रि को देवी पार्वती के समतुल्य माना गया है। देवी के नाम का अर्थ समझें तो ‘काल’ शब्द का अर्थ होता है मृत्यु या समय और ‘रात्रि’ का अर्थ होता है रात। ऐसे में देवी के नाम का शाब्दिक अर्थ होता है अंधेरे को खत्म करने वाली देवी।
शारदीय नवरात्रि सातवाँ दिन – पूजा सही विधि और शुभ मुहूर्त
इस दिन की पूजन विधि के बारे में बात करें तो,
- नवरात्रि के सातवें दिन सुबह जल्दी स्नान करने के बाद मां कालरात्रि की पूजा का संकल्प ले लें।
- इसके बाद मां कालरात्रि को जल, फूल, अक्षत, धूप, दीप, गंध, फूल, फल, कुमकुम, सिंदूर, अर्पित करें और पूजा प्रारंभ करें।
- मां कालरात्रि के मंत्रों का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जाप करें।
- माँ को गुड़ का भोग लगाएँ।
- दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती, मां कालरात्रि की कथा का पाठ करें।
- पूजा के समापन में आरती करें।
- पूजा में अनजाने में भी हुई किसी भी गलती की मां से क्षमा मांगें और उनसे अपनी मनोकामना कहें।
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शारदीय नवरात्रि सातवाँ दिन – माँ का स्वरूप
देवी कालरात्रि के सुंदर स्वरूप की बात करें तो, माँ का यह स्वरूप गधे की सवारी करती हैं और इनका रंग कृष्ण वर्ण का है। देवी कालरात्रि की चार भुजाएं होती हैं जिनमें से दोनों दाहिने हाथ क्रमशः अभय और वरद मुद्रा में है और बाएं दोनों हाथ में तलवार और खड़ग देवी ने धारण किए हुए हैं।
देवी कालरात्रि का स्वरूप भयावह है, उनके बाल बिखरे हुए हैं और मां ने गले में विद्युत के समान चमकीली माला धारण की हुई है। मां कालरात्रि के तीन नेत्र होते हैं। इसके अलावा यहां यह भी जानना बेहद आवश्यक है की मां कालरात्रि की पूजा से आसुरी शक्तियां नष्ट होती हैं और दैत्य, भूत, पिशाच, दानव, इत्यादि बाधाएँ भी माँ का नाम लेने भर से ही दूर चली जाती हैं। यही वजह है कि दुष्टों का संघार करने वाली मां कालरात्रि को वीरता और साहस का प्रतीक माना गया है।
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शारदीय नवरात्रि सातवाँ दिन – महत्व
- मां कालरात्रि अपने भक्तों को शुभ फल देने के लिए जानी जाती हैं। मां कालरात्रि की विधिवत पूजा करने से काल भी भयभीत होता है।
- कालरात्रि देवी अपने भक्तों को भय से मुक्ति और अकाल मृत्यु से रक्षा करती हैं।
- इसके अलावा अगर आपके जीवन में शत्रु बढ़ गए हैं तो इसके लिए भी आपको माँ कालरात्रि की पूजा करने की सलाह दी जाती है।
- शत्रुओं के दमन के लिए भी माँ कालरात्रि की पूजा सर्वोत्तम मानी गई है।
- इसके अलावा मां के इस रूप की पूजा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।
- मां कालरात्रि की पूजा करने से भय, कष्ट और रोगों का नाश होता है।
- मां कालरात्रि की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले संकट से उनकी रक्षा होती है और उनके प्रभाव के चलते कुंडली में मौजूद शनि के दुष्प्रभाव का भी असर नहीं होता है।
- मान्यता है की मां कालरात्रि की पूजा करने से अकाल मृत्यु के भय से छुटकारा मिलता है।
- इसके अलावा देवी का यह रूप प्रसिद्धि प्रदान करने वाला भी है।
शारदीय नवरात्रि सातवाँ दिन – प्रिय भोग
मां कालरात्रि को चढ़ाए जाने वाले भोग की बात करें तो आप इस दिन मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए गुड का भोग लगा सकते हैं। कहा जाता है गुड़ के भोग से देवी कालरात्रि की प्रसन्नता बेहद ही शीघ्र हासिल की जा सकती है।
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शारदीय नवरात्रि सातवाँ दिन – शुभ रंग
कालरात्रि देवी की पूजा में लाल रंग का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में आप देवी के वस्त्र से लेकर खुद के कपड़ों तक लाल रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा आप देवी को उनके प्रिय रंग के फूल भी अर्पित कर सकते हैं। साथ ही देवी कालरात्रि को अगर रात रानी का फूल चढ़ाया जाए तो इसे भी बेहद शुभ माना गया है। ऐसा करने से देवी की प्रसन्नता हासिल की जा सकती है।
शारदीय नवरात्रि सप्तमी – अष्टमी और नवमी तिथि पर इस विधि से करें हवन
यूं तो नवरात्रि के प्रत्येक दिन आप पूजा के बाद हवन कर सकते हैं लेकिन सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि पर हवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। इसके अलावा हवन में नौ पवित्र वस्तुओं को भी बेहद आवश्यक माना गया है। माना जाता है कि यदि हवन में आप इनका उपयोग करें तो मां की प्रसन्नता अवश्य प्राप्त होती है, साथ ही आपके परिवार में अच्छे स्वास्थ्य का वरदान भी देखने को मिलता है।
क्या कुछ है यह वस्तुएं जिन्हें आप सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि के दिन हवन में शामिल करके आप खुशहाली प्राप्त कर सकते हैं। तो चलिए जान लेते हैं क्या कुछ हैं ये वस्तुएँ:
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- काली मिर्च: हवन में काली मिर्च का प्रयोग करने से साधक की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- शहद: जीवन में मिठास लाने और सुख समृद्धि के लिए हवन में शहद का इस्तेमाल बेहद शुभ माना गया है।
- सरसों: सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि के दिन किए जाने वाले हवन में अगर आप सरसों का उपयोग करते हैं तो इससे शत्रुओं का नाश होता है। साथ ही यह बुरी नजर भी आपके जीवन से दूर करता है।
- पालक: पालक को हरियाली का प्रतीक माना गया है। ऐसे में अगर आप इसका हवन में प्रयोग करते हैं तो इससे आपके घर में सुख, समृद्धि आती है।
- खीर: देवी मां को खीर बेहद ही प्रसन्न पसंद होती है। ऐसे में अगर आप हवन में खीर की आहुति देते हैं तो कहा जाता है देवी प्रसन्न होती हैं और आपके जीवन में धन-धान्य का आशीर्वाद देने लगती हैं।
- नींबू: हवन में यदि नींबू का प्रयोग किया जाए तो इससे आधि-व्याधि का नाश होता है।
- हलवा: मां कालरात्रि को हलवा बेहद पसंद होता है। ऐसे में अगर आप सप्तमी के दिन किए जाने वाले हवन में हलवा इस्तेमाल करते हैं तो माँ शीघ्र और अवश्य प्रसन्न होती हैं और मां की कृपा से आपके जीवन में खुशहाली हमेशा बनी रहती है।
- कमल गट्टा: हवन में कमल गट्टा का उपयोग करने से वंश और गोत्र की वृद्धि होती है। साथ ही आपके घर में पैदा होने वाली संतान धार्मिक और दानी स्वभाव की होती हैं।
- अनार: इसके अलावा आखिरी वस्तु है अनार। मान्यता है कि हवन में यदि अनार की आहुति दी जाए तो इससे जो धुआँ उत्पन्न होता है वह रक्त शोधित करता है।
हम उम्मीद करते हैं यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी और आप इसे अपना कर अपने जीवन में खुशहाली अवश्य प्राप्त करेंगे।
शारदीय नवरात्रि सातवाँ दिन – माँ कालरात्रि मंत्र
क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
शारदीय नवरात्रि सातवाँ दिन – इस ग्रह से जुड़े हैं तार
अंत में बात करें ग्रहों की तो ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। ऐसे में इस दिन की विधिवत पूजा करने से आप कुंडली में मौजूद शनि ग्रह को मजबूत कर सकते हैं, उनके नकारात्मक प्रभावों को सकारात्मक प्रभाव में बदल सकते हैं, साथ ही शनि की महादशा से भी बच सकते हैं।
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