59 साल बाद परम शत्रु शनि और मंगल आमने-सामने, जानें क्या पड़ेगा देश-दुनिया पर प्रभाव

भारत इस समय अपने बुरे दौर से गुजर रहा है। कोरोना महामृ हर रोज हजारों लोगों की जान ले रही है और साथ ही रोज लाखों लोग इससे संक्रमित हो रहे हैं। हालांकि कोरोना का ग्राफ नीचे आता जरूर दिख रहा है लेकिन ग्रहों के होने वाले गोचर शुभ संकेत नहीं दे रहे हैं।

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दरअसल 59 साल बाद एक दूसरे के दुश्मन शनि और मंगल आमने-सामने आ रहे हैं जिससे एक बार फिर वैसे ही हालात बन रहे हैं जैसे भारत-चीन युद्ध के समय साल 1962 में बने थे। ऐसे में हम आज आपको इस लेख में इस विशेष ज्योतिषीय घटना की वजह से देश दुनिया पर पड़ने वाले प्रभाव की पूरी जानकारी देंगे।

क्या हो रहा है?

हम सब जानते हैं कि साल 1962 में भारत को एक दर्दनाक जंग लड़नी पड़ी थी जिसमें हमारे देश के कई सैनिक शहीद हुए थे और भारत को हार का मुंह देखना पड़ा था। अब लगभग 59 साल बाद ठीक वैसा ही संयोग दोबारा साल 2021 में बन रहा है जो कि बिल्कुल भी शुभ संकेत नहीं है। 

इस अशुभ संयोग की शुरुआत 23 मई को शनि के वक्री हो जाने के साथ होगी। 23 मई को शनि देवता मकर राशि में वक्री हो जाएंगे। आपको बता दें कि वक्री एक विशेष ज्योतिषीय घटना है जिसमें कोई ग्रह उल्टी चाल चलता हुआ प्रतीत होता है। ध्यान रहे कि ऐसा सिर्फ प्रतीत होता है जबकि ग्रह उल्टी चाल चलता नहीं है। ऐसे में शनि देवता भी धनु राशि में नहीं प्रवेश करेंगे बल्कि मकर राशि में ही रहेंगे। शनि की यह वक्री चाल 11 अक्टूबर 2021 तक रहेगी और इस दौरान वह श्रवण नक्षत्र में गोचर करेंगे। आपको बता दें कि श्रवण नक्षत्र पर चंद्रमा का स्वामित्व है।

इसके बाद 02 जून को मंगल ग्रह चंद्रमा के स्वामित्व वाले कर्क राशि में गोचर करने वाला है। मंगल का यह गोचर 02 जून, 2021 को सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर होगा। मंगल की यह स्थिति 20 जुलाई, 2021 को शाम 05 बजकर 30 मिनट तक ऐसी ही रहेगी। इसके बाद वे सिंह राशि में गोचर करेंगे। मंगल के इस गोचर की अवधि 48 दिनों की होगी और ये 48 दिन देश दुनिया के लिए भारी सिद्ध होने वाले हैं।

क्या होने वाला है?

दरअसल मंगल के गोचर के साथ ही वक्री शनि और मंगल एक दूसरे के आमने सामने आ जाएंगे। मंगल और शनि को एक दूसरे का शत्रु माना जाता है। ऐसे में ये स्थिति देश-दुनिया को अशुभ फल देगी। 

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इन 48 दिनों में जब-जब मंगल, शनि, बृहस्पति और सूर्य के नक्षत्र आएंगे और इसके साथ साथ अष्टमी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमावस्या की तिथि आएगी तब-तब देश दुनिया को प्राकृतिक आपदा व अन्य दुख देने वाली दुर्घटना से दो-चार होना पड़ सकता है। इस दौरान सत्ता में अस्थिरता का भाव पैदा होगा। शासक के प्रति जनता में रोष उत्पन्न होगा। सूखे या बाढ़ जैसी स्थिति से देश-दुनिया प्रभावित रहेगी। विमान या जल मार्ग की दुर्घटना सुर्खियों में रह सकती हैं। आँधी, तूफान, भूकंप और भूस्खलन जैसे तबाही करने वाले प्राकृतिक मंजर देखने पड़ सकते हैं।  शेयर मार्केट में सोने-चांदी के शेयर में आकस्मिक गिरावट हो सकती है।

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