शनि ग्रह का नाम लेते ही हर कोई भय में आ जाता है क्योंकि ‘शनि’ कठोर दंड देने वाला ग्रह है और ज्योतिष में शनि को एक क्रूर ग्रह बताया गया है। दरअसल शनि कर्मफल दाता भी हैं, जो जातक को उनके कर्मों के अनुसार अच्छे-बुरे फल प्रदान करते हैं। शनि देव करीब एक राशि से दूसरी राशि में ढाई साल बाद गोचर करते हैं यानी अपनी राशि में परिवर्तन करने के लिए ढाई साल का समय लगाते हैं और इसे शनि की ढैय्या कहा जाता है।
भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके
शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, वक्री चाल और महादशा आने पर व्यक्ति के जीवन में काफी उथल-पुथल मच जाती है लेकिन, यदि किसी जातक की कुंडली में शनि मजबूत स्थिति में विराजमान होते हैं तो व्यक्ति को जीवन में हर तरह की खुशी, वैभव और ऐशोआराम प्रदान करते हैं, वहीं यदि जातक की कुंडली में शनि कमज़ोर स्थिति में होते हैं तो व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियां खड़ी कर देते हैं।
एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में हम आपको उन राशियों के बारे में बताएंगे, जिसमें शनि की टेढ़ी नजर हैं यानी वे साढ़ेसाती और ढैय्या से प्रभावित हैं। साथ ही, शनि जयंती के दिन इन जातकों को कौन से उपाय करने चाहिए इस बारे में चर्चा करेंगें तो आइए आगे बढ़ते हैं और विस्तार से जानते हैं।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
इन राशि वाले शनि की साढ़े साती व ढैय्या से हैं प्रभावित
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनि को आयु, शोक, दारिद्रय, दुख और सेवक के कारक ग्रह माने गए हैं। इन्हें मकर और कुंभ राशि का स्वामित्व प्राप्त है। शनि तुला राशि में उच्च के और मेष राशि में नीच के होते हैं। सभी ग्रहों में शनि की गति सबसे मंद होती है। शनि की साढ़ेसाती साढ़े साती सात वर्षों तक रहती है। शनि अच्छे कर्म करने वाले जातकों को अच्छा फल जबकि बुरे कर्म करने पर बुरा फल प्रदान करते हैं। अभी शनि अपनी स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान हैं। आपको बता दें कि 17 जनवरी 2023 को शनि अपनी राशि मकर से निकलकर अपनी दूसरी राशि कुंभ में गोचर कर चुके हैं तब से अभी तक इसी राशि में विराजमान हैं। इसके बाद शनि का राशि परिवर्तन 29 मार्च 2025 को होगा और तब शनि मीन राशि में गोचर करेंगे और करीब ढाई वर्षों तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे।
शनि के कुंभ राशि में विराजमान होने के कारण मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती है। इसके अलावा, कुंभ राशि में शनि की साढ़ेसाती होने की वजह से कर्क और वृश्चिक राशि वाले जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही है।
पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट
जानें कब से कब तक रहेगा साढ़ेसाती का प्रभाव
मकर राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मकर राशि के स्वामी शनि हैं और इस राशि पर शनि की साढ़ेसाती का आखिरी चरण चल रहा है। मकर राशि पर साढ़ेसाती 26 जनवरी 2017 से शुरू हो गई थी जो अब 29 मार्च 2025 पर खत्म होगी।
कुंभ राशि पर साढ़ेसाती प्रभाव
कुंभ राशि के स्वामी भी शनिदेव हैं और इस राशि पर शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। 23 फरवरी 2028 तक इस राशि के जातकों को साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाएगी।
मीन राशि पर साढ़ेसाती प्रभाव
मीन राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण चल रहा है। इस राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव 7 अप्रैल 2030 तक रहेगा। इसके बाद इस राशि के जातक भी शनि के साढ़ेसाती के प्रभाव से छुटकारा पा लेंगे।
करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट
जानें, इन राशियों पर कब से शुरू होगा साढ़ेसाती का प्रभाव
मेष राशि पर साढ़ेसाती प्रभाव: 29 मार्च 2025 से 31 मई 2032 तक
वृषभ राशि पर साढ़ेसाती प्रभाव: 03 जून 2027 से 13 जुलाई 2034 तक
मिथुन राशि पर साढ़ेसाती प्रभाव: 08 अगस्त 2029 से 27 अगस्त 2036 तक
कर्क राशि पर साढ़ेसाती प्रभाव: 31 मई 2032 से 22 अक्टूबर 2038 तक
सिंह राशि पर साढ़ेसाती प्रभाव: 13 जुलाई 2034 से 29 जनवरी 2041 तक
कन्या राशि पर साढ़ेसाती प्रभाव: 27 अगस्त 2036 से 12 दिसंबर 2043 तक
तुला राशि पर साढ़ेसाती प्रभाव: 22 अक्टूबर 2038 से 08 दिसंबर 2046 तक
वृश्चिक राशि पर साढ़ेसाती प्रभाव: 28 जनवरी 2041 से 3 दिसंबर 2049 तक
धनु राशि पर साढ़ेसाती प्रभाव: 12 दिसंबर 2043 से 3 दिसंबर 2049 तक
शनि जयंती पर इन तीन उपायों को करने से दूर होंगी हर समस्या
छाया दान करें
यदि आप शनि की साढ़े साती या ढैय्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शनि जयंती के दिन शनिदेव के मंदिर में जाकर विधि-विधान से पूजा पाठ करें। साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए स्टील या लोहे के एक कटोरे में सरसों का तेल भरकर रख लें। फिर उसमें अपनी छवि देखें। उसके बाद उस तेल और कटोरे को किसी गरीब या किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान कर दें। ज्योतिष के अनुसार, छाया दान करने से साढ़ेसाती और ढैय्या का दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
गरीब व जरूरतमंदों को दान करें
शनि जयंती पर आप नियानुसार व्रत रखकर शनिदेव की पूजा करें और साथ शनि के मंत्रों का लगातार जाप करें। इसके अलावा, इस दिन गरीबों व जरूरतमंदों को कंबल, काले वस्त्र, लोहा, स्टील के बर्तन, काले तिल, काली उड़द आदि का दान करें। मरीजों और असहाय लोगों की सेवा करें। इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और अपनी विशेष कृपा प्रदान करते हैं और आप को साढ़ेसाती एवं ढैय्या के दुष्प्रभाव से मुक्ति भी पा सकते है। आप चाहें तो शनि जयंती के दिन शमी के पेड़ की पूजा करें और उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक भी जला सकते हैं।
भगवान हनुमान की पूजा करें
ज्येष्ठ अमावस्या यानी शनि जयंती के दिन आपको हनुमान जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ करना आपके लिए उत्तम होगा। शास्त्रों के अनुसार, शनि देव ने भगवान हनुमान को वचन दिया था कि जो भी कोई बजरंगबली की पूजा करेगा या उनकी शरण में जाएगा, वह शनि के अशुभ प्रभाव से बच जाएगा और उस पर शनि की टेढ़ी नजर का नकारात्मक व बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों
उत्तर. शनि जब गोचर में जन्मकालीन राशि से चतुर्थ या अष्टम भाव में स्थित होते हैं तो इसे शनि ढैय्या कहा जाता है।
उत्तर. कुंभ राशि में शनि की साढ़ेसाती होने की वजह से कर्क और वृश्चिक राशि वाले जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही है।
उत्तर. शनिवार का व्रत रखें। हनुमान जी की पूजा करें। शाम के समय काले चने और हलवे का प्रसाद गरीबों को बांटें।
उत्तर. हर शनिवार और मंगलवार हनुमान चालीसा का पाठ करें।