ज्योतिष शास्त्र में हर एक ग्रह का अपना एक विशेष महत्व बताया गया है। ग्रहों की स्थिति बदलने के साथ प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हर एक ग्रह अपनी स्थिति बदलने पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं। इसी क्रम में नवग्रहों में सबसे अहम ग्रह शनि जब अपनी स्थिति बदलते हैं तो किसी न किसी तरह के संकेत जरूर देते हैं। शनि ग्रह की शुभ स्थिति हमारे जीवन में सुख समृद्धि, प्रतिष्ठा, मान- सम्मान, धन-धान्य आदि प्रदान करते हैं।
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वहीं अगर कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर हो तो बन रहे काम भी बिगड़ने लगते हैं, व्यक्ति को अपनी मेहनत का अच्छा फल भी नहीं मिलता है और व्यक्ति धीरे-धीरे बुरी आदतों का शिकार होने लगता है। कई बार आर्थिक नुकसान के साथ मान-सम्मान की हानि भी झेलनी पड़ती है। कुल मिलाकर कुंडली में शनि ग्रह ही व्यक्ति का भाग्य तय करते हैं। तो आइए जानते हैं शनि की कौन सी स्थिति से व्यक्ति का जीवन कैसा होता है व इसकी अशुभ स्थिति को सही करने के लिए अचूक उपाय।
वैदिक ज्योतिष में शनि का महत्व
वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह को विशेष स्थान प्राप्त है। शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। शनि तुला राशि में उच्च के और मेष राशि में नीच के माने जाते हैं। शनि बहुत ही धीरे गति में चलते हैं। शनि एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए ढाई साल का समय लेते हैं। शनि की दशा साढ़े सात साल की होती है, जिस वजह से इसे शनि की साढ़ेसाती कहते हैं।
मान्यता है कि शनि देव कर्मों के अनुसार फल देते हैं। मतलब जो लोग अच्छे कर्म करते हैं जरूरतमंदों और कमजोर लोगों पर दया करते हैं, उनको शनि देव शुभ फल देते हैं। वहीं जो लोग गरीबों को परेशान करते हैं उनको शनि देव का अशुभ प्रभाव झेलना पड़ता है। वहीं शनि देव अगर कुंडली में अशुभ स्थिति में हों तो व्यक्ति को आसानी से भाग्य का साथ नहीं मिलता है और जीवन के हर पहलू में कड़ा संघर्ष करना पड़ता है।
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शनि देते हैं ये अशुभ संकेत
जब किसी जातक की कुंडली में शनि अशुभ फल देने लगते हैं तो उस व्यक्ति को अचानक जीवन में कई तरह की समस्याएं घेर लेती है। वह शारीरिक और आर्थिक परेशानियों से जूझने लगता है। अचानक से काम का बोझ बढ़ जाता है। शनि के अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति को अधिक गुस्सा आने लगता है। धर्म से जुड़े कामों को करने में आनाकानी करने लगता है, साथ ही बुरी आदतों का शिकार हो जाता है। इसके अलावा नौकरी में किसी न किसी तरह की अड़चन आने लगती है। कई बार नौकरी तक से हाथ धोना पड़ जाता है। यदि शनि मंगल ग्रह से पीड़ित हो तो किसी बड़े एक्सीडेंट और कारावास जैसी परिस्थितियों के योग बनाते हैं।
जानिए, राशि के किस भाव में रहने से शनि देव देते हैं कैसा फल
पहले भाव में शनि
शनि अगर आपके कुंडली के पहले भाव में स्थित हैं तो यह आपको मिले जुले परिणाम देंगे। यदि आप मेहनत करने से नहीं घबराएंगे तो आप धनवान और सुखी होंगे। आपके विरोधी कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों आप उन पर विजय प्राप्त कर सकेंगे।
दूसरे भाव में शनि
यदि शनि आपके कुंडले के दूसरे भाव में मौजूद हो तो यह आपको मधुरभाषी तो कई बार कटु वक्ता बनाता है। इसके कारण आपको अपने परिवार से दूर रहना पड़ सकता है। ऐसे लोग विदेश से धन लाभ कमाने जाने वाले होते हैं।
तीसरे भाव में शनि की स्थिति
शनि तीसरे भाव में हो तो यह आपको न्यायी, प्रमाणिक और होशियार बनाता है। ऐसे लोग सभी से मित्रता का भाव रखते हैं। इसके अलावा आप बड़े स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
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चौथे भाव में शनि की मौजूदगी
चौथे भाव स्थित शनि आपको उदार और शांत बनाता है। आप दूसरों की मदद करने में विश्वास रखते हैं। आपका आर्थिक जीवन में मिला जुला रहता है। हालांकि आप दूर देश में रहकर खूब तरक्की कर सकते हैं।
पांचवें भाव में शनि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर शनि कुंडली में पांचवें भाव में बैठा हो तो वह व्यक्ति रहस्यमय होता है। ऐसे व्यक्ति न किसी से अपनी बात शेयर करते हैं और न ही दूसरों की बातों में रुचि रखते हैं। ऐसे व्यक्ति का झुकाव धर्म के प्रति ज्यादा होता है।
छठे भाव में शनि का फल
किसी जातक की कुंडली में अगर शनि छठे भाव में रहते हैं तो ऐसे व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति काफी बहादुर और बलवान होते हैं। इनके पास पैसों की कभी कोई कमी नहीं होती है।
सातवें भाव में शनि
कुंडली के सातवें भाव में शनि होने पर व्यक्ति को व्यापार में काफी सफलता मिलती है। ऐसे व्यक्ति का दांपत्य जीवन काफी सुखमय रहता है। कुंडली के आठवें भाव में शनि होने पर व्यक्ति लंबी आयु प्राप्त करता है।
आठवें भाव में शनि की मौजूदगी
शनि के आठवें भाव में होने पर व्यक्ति किसी भी काम में आसानी से सफल नहीं होता और उसे जीवन में कई बार बड़ी परेशानियों से गुजरना पड़ता है।
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नौवें भाव में शनि
ऐसे व्यक्ति जिसकी कुंडली में नौवें भाव में शनि होते हैं, उन्हें मिले जुले परिणाम प्राप्त होते हैं। ऐसे व्यक्ति विचारशील, दानी और दयालु स्वभाव के होते हैं। दूसरे के प्रति आपका व्यवहार अच्छा रहता है।
दसवें भाव में शनि देते है ऐसे परिणाम
शनि के दशम भाव में होने पर व्यक्ति धनी, धार्मिक होता है। ऐसे लोगों को नौकरी में कोई ऊंचा पद भी मिल जाता है।
ग्यारहवें भाव में शनि की स्थिति
कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि के होने पर व्यक्ति लंबी आयु वाला होने के साथ ही धनी, कल्पनाशील और स्वस्थ रहता है। साथ ही उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
बारहवें भाव में शनि
बारहवें भाव में शनि के होने पर व्यक्ति अक्सर अशांत मन वाला होता है और कई वजहों से परेशान हो सकता है।
शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने के आसान उपाय
- कुंडली से शनि दोष को दूर करने के लिए हर शनिवार के दिन शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें। इसके साथ ही शनि मंदिर में जाकर सरसों का दीपक जलाएं।
- शनि दोष को अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए शनिवार के दिन लोहे की वस्तुएं, काले कपड़े, उड़द, सरसों का तेल, जूते-चप्पल जैसी चीजों का दान करें। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।
- इसके अलावा शनिवार के दिन मछलियों को आटा खिलाना में अच्छा माना जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से शनि दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
- इसके अलावा शनिवार के दिन सुबह के समय पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करें और शाम के समय तिल या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक में थोड़ी सी काली तिल भी डाल दें।
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