वैदिक ज्योतिष के अनुसार सभी नौ ग्रहों में शनि का क्रोध सबसे ज्यादा खतरनाक माना गया है। यही कारण है कि लोग शनि देव को शांत करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं। शनि का व्यक्ति के जीवन पर शुभ और अशुभ हर तरह से प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति के कर्मों का कारक और उसका फल दाता शनि है। ज्योतिष के अनुसार शनि की महादशा 19 सालों तक चलती है।
यदि शनि का नकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन पर है, तो हमें धन के लिए लंबे समय तक कष्ट भोगना पड़ता है। यदि शनि नकारात्मक है तो साढ़ेसाती या ढैय्या में हमें दरिद्रता प्रदान कराता है। कुंडली में बेहतर योग होने के बाद भी यदि हमारे कर्म शुभ नहीं है, तो शनि व्यक्ति को आर्थिक रूप से कमजोर बनाता है। यही कारण है, कि शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति हर तरह के प्रयास करता है। शनिवार के दिन मंदिर में जल चढ़ाना, तेल का दीपक जलाना, शनि की शिला पर तेल चढ़ाना, काला कपड़ा, काला तिल या काली उरड़ की दाल दान करना। लेकिन इन तमाम उपायों के बाद भी यदि शनि देव की आप पर कृपा नहीं हो रही है तो आपको नीचे दिए उपायों से शनि देव को प्रसन्न करना चाहिए।
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शनि देव को कैसे करें प्रसन्न
- शनिवार के दिन काले कुत्ते को रोटी में सरसों का तेल लगा कर खिलाएं।
- शनिवार के दिन बजरंगबली की पूजा करें, हनुमान चालीसा का पाठ करें।
शनिवार के दिन काले रंग के पशु- पक्षियों को भोजन कराएं, शनि देव की विशेष कृपा होगी।
- शनिवार के दिन काले रंग की वस्तु ज़रूरतमंदों को दान करें ।
- शनिवार के दिन सरसों के तेल से भरा कटोरा लें, उसमें अपनी परछाईं देखकर उसे ज़रूरतमंद को दान करें ।
- शनिवार के दिन संभव हो तो कौवों को गुलाब जामुन खिलाएं, शनि चालीसा का पाठ करें
- शनिवार के दिन शनि मंदिर में जाकर शनि जी की आरती गाएं।
शनिवार को क्या करें
- काले रंग के कपड़े पहनें।
- घर और आस-पास के बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करें, उनकी बात मानें।
- साथ में काम करने वाले कर्मचारियों का सम्मान करें, उन्हें खुश रखें।
शनिवार के दिन क्या ना करें
- तामसिक भोजन और मदिरापान का सेवन ना करें ।
- रात को सोते वक्त दूध पीकर ना सोएं।
- नमक, काले कपड़े, लकड़ी, रबड़, लोहा, कैंची और झाड़ू भूलकर भी ना खरीदें।
शनिवार की व्रत विधि
शनिवार के दिन प्रात काल उठकर स्नान करें। साफ-सुथरे वस्त्र धारण करके एक कलश में जल भरें और उसे पीपल के वृक्ष की जड़ पर रंगे हुए काले चावल से कमल बनाकर उस पर रख दें। लोहे या टीन की चादर से शनि देव की प्रतिमा बनाकर उसे भी कलश के पास स्थापित कर दें। उसके बाद काले रंग के फूल, धूप से पूजा करें, और पूजा करते वक्त शनि देव के सभी नामों का मन से उच्चारण करें, उसके बाद वृक्ष में सात बार धागा लपेट कर पीपल के वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें। याद रहे शनि देव की पूजा सूर्योदय के बाद तारों की रौशनी में ही करें। पूजा करने के बाद शनि व्रत कथा सुनें और कथा वाचक को दक्षिणा दें। पूजा के बाद तिल, उड़द, गुड़, सरसों का तेल और नीले कपड़ों का दान करें। शनि देव की आरती करने के बाद सबको प्रसाद दें, और स्वंय भी प्रसाद ग्रहण करें ।
ज्योतिष में शनि देव को प्रसन्न करने का और उनकी पूजा करने का यह नियम बताया गया है। ऐसी मान्यता है, की यदि जातक पूरी श्रद्धा और मन से शनि देव की विधि-विधान के साथ पूजा करता है और इन उपायों को करता है, जो शनि देव उस पर अपनी कृपा अवश्य रखते हैं।
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