शनि एक ऐसा ग्रह है जिसका नाम सुनते ही लोगों के अंदर डर पैदा हो जाता है। हर शख्स जानना चाहता है कि उसपर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव तो नहीं। हालांकि शनि ग्रह को लेकर बनी यह धारणा कि शनि के प्रभाव से बुरे फल ही मिलते हैं, गलत है। शनि को कर्मफलदाता कहा जाता है और यह आपके कर्मों के अनुसार ही आपको फल देता है। यदि आपने अच्छे कर्म किये हैं तो आपको अच्छे फलों की प्राप्ति होगी और यदि आपके कर्म अच्छे नहीं हैं तो आपको फल भी उसी अनुसार मिलेंगे। शनि की साढे़साती या ढैय्या के दौरान आपके जीवन में परेशानियां आ सकती हैं लेकिन आप सही मार्ग पर चलते रहते हैं तो शनि देव आपको अच्छे फल अवश्य देते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह
ज्योतिष शास्त्र में शनि को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। यह एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहता है और उसके बाद अगली राशि में गोचर कर जाता है। काल पुरुष की कुंडली में शनि मकर और कुंभ राशियों का स्वामी है और पुष्य, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद इसके नक्षत्र हैं। सभी नौ ग्रहों में शनि के मित्र बुध और शुक्र हैं वहीं सूर्य, चंद्र और मंगल शनि के शत्रु हैं। जब किसी जातक की कुंडली में शनि द्वादश भाव में आता है तो साढ़ेसाती की शुरुआत होती है। द्वादश भाव में ढाई साल रहने के बाद शनि जब प्रथम भाव में प्रवेश करता है तो साढ़ेसाती का द्वितीय चरण शुरु होता है। साढ़ेसाती के अंत में शनि आपकी राशि से द्वितीय भाव में जाता है और वहां भी ढाई साल गुजारता है। आपके तीन भावों (द्वादश, प्रथम और द्वितीय) में शनि के साढ़े सात सालों को ही शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है।
शनि कुंडली में जिस भाव में विराजमान होता है उसपर तो असर डालता ही है साथ ही, तृतीय, सप्तम और दशम भावों पर भी इसकी दृष्टि होती है। लग्न भाव में शनि का विराजमान होना शुभ नहीं माना जाता, इससे व्यक्ति में आलस्य की अधिकता देखी जाती है, शारीरिक रुप से भी ऐसा व्यक्ति दुर्बल हो सकता है। हालांकि व्यक्ति ईमानदार और न्यायप्रिय होता है। शनि कुंडली में जिस भी भाव में होता है उसपर अपना असर डालता है। मंगल के स्वामित्व वाली राशि मेष में शनि नीच का तथा शुक्र के स्वामित्व वाली राशि तुला में शनि उच्च का होता है।
बली और पीड़ित शनि के फल
जिन जातकों की कुंडली में शनि बली होता है वो जीवन में कई उपलब्धियां प्राप्त करते हैं। धर्म के मार्ग पर चलते हुए ऐसे लोग समाज में सुधार लाने का भी प्रयास करते हैं। ऐसे लोग न्यायप्रिय और कर्मठ होते हैं। किस्मत के सहारे आगे बढ़ना इनको पसंद नहीं होता। ऐसे लोग जिस भी क्षेत्र में काम करते हैं वहां अपनी अलग पहचान बनाते हैं। इसके साथ ही इनका जीवन भी लंबा होता है। वहीं कुंडली में यदि शनि पीड़ित है तो व्यक्ति को कई परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। ऐसा व्यक्ति कानूनी मामलों में फंस सकता है और जेल भी जा सकता है। दुर्घटनाएं होने की भी संभावना बनी रहती है। शनि ग्रह को शांत करने के लिये शनि ग्रह के उपाय करने चाहिये। इसके अलावा आप शनि बीज मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः!
शनि गोचर का समय
सूर्य पुत्र शनि लगभग 30 सालों के बाद 24 जनवरी 2020 को अपनी ही राशि मकर में 12 बजकर 05 मिनट पर गोचर करने जा रहे हैं। चूंकि शनि अपनी राशि में गोचर कर रहे हैं इसलिये उनके इस गोचर से सभी राशियों पर तो प्रभाव पड़ेगा ही, इसके साथ ही देश दुनिया में भी शनि के इस गोचर से परिवर्तन आ सकते हैं।
देश-दुनिया पर क्या पड़ेगा शनि गोचर का प्रभाव
साल 2020 में शनि देव लंबे समय बाद अपनी राशि मकर में गोचर करेंगे। वहीं सूर्य देव भी इस दौरान मकर राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्य और शनि के बीच पिता-पुत्र का संबंध है लेकिन यह दोनों शत्रु ग्रह माने जाते हैं। पिता-पुत्र के इस संयोग से देश दुनिया में कई राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। कई मामलों में लोगों के मन में असमंजस की स्थिति रहेगी और सही निर्णय न ले पाने के कारण लड़ाई झगड़े हो सकते हैं। जहां तक भारत की बात है तो इस गोचर के दौरान सरकार आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये कुछ फैसले ले सकती है और उनपर अमल भी कर सकती है।
आइये अब राशि अनुसार जानते हैं कि शनि के मकर राशि में गोचर का आप पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें: चंद्र राशि कैलकुलेटर
मेष
शनि गोचर 2020: मेष राशि में शनि दशम और एकादश भाव का स्वामी हो कर राशि से दशम भाव में ही गोचर करेगा। दशम भाव कर्म का भाव हैं और शनि भी कर्म…आगे पढ़ें
वृषभ
शनि गोचर 2020 वृषभ राशि में शनि नवम और दशम भाव का स्वामी हो कर वृषभ राशि से नवम भाव में ही गोचर करेगा। शनि का भाग्य स्थान में गोचर होने…आगे पढ़ें
मिथुन
मिथुन राशि में शनि अष्टम और नवम भाव का स्वामी हो कर मिथुन राशि से अष्टम भाव में ही गोचर कर रहा है। इस वर्ष शनि का प्रभाव आपके कर्म भाव पर…आगे पढ़ें
कर्क
शनि गोचर 2020 के अनुसार कर्क राशि में शनि सप्तम और अष्टम भाव का स्वामी हो कर कर्क राशि से सप्तम भाव में ही गोचर करेगा। इस वर्ष आलस को अपने…आगे पढ़ें
सिंह
सिंह राशि में शनि षष्टम और सप्तम का स्वामी हो कर सिंह राशि से षष्टम भाव में ही गोचर कर रहे हैं। यह शनि आपको इस वर्ष सही दिशा में कार्य करने की प्रेरणा…आगे पढ़ें
कन्या
कन्या राशि में शनि पंचम और षष्टम भाव का स्वामी हो कर कन्या राशि से पंचम भाव में ही गोचर कर रहा है। शनि के इस गोचर से आप इस वर्ष किसी रुकी…आगे पढ़ें
तुला
शनि गोचर 2020 में तुला राशि में शनि चतुर्थ और पंचम भाव का स्वामी हो कर तुला राशि से चतुर्थ भाव में गोचर करेगा। तुला राशि वालों को इस वर्ष व्यापार में शनि नये…आगे पढ़ें
वृश्चिक
वृश्चिक राशि में शनि तृतीय और चतुर्थ भाव का स्वामी हो कर वृश्चिक राशि से तृतीय भाव में गोचर करेगा। इस शनि के गोचर से आपके ऊपर चल रही साढ़े साती अब समाप्त…आगे पढ़ें
धनु
धनु राशि में शनि दूसरे और तृतीय भाव का स्वामी हो कर धनु राशि से दूसरे भाव में गोचर करेगा। इस वर्ष कोई भी कार्य शुरु करना चाहें तो अपने आप पर पूरी तरह से ध्यान लगा…आगे पढ़ें
मकर
मकर राशि में शनि मकर राशि और दूसरे भाव का स्वामी हो कर मकर राशि में ही गोचर कर रहा है। शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण शुरु हो रहा है। जिस से मानसिक…आगे पढ़ें
कुंभ
कुम्भ राशि में शनि बारहवें और प्रथम भाव का स्वामी हो कर कुम्भ राशि से बारहवें भाव में गोचर करेगा। कुम्भ राशि वालों को शनि की साढ़े साती का प्रथम चरण…आगे पढ़ें
मीन
शनि गोचर 2020 में मीन राशि में शनि एकादश और बारहवें भाव का स्वामी हो कर मीन राशि से एकादश भाव में ही गोचर करेगा। शनि का एकादश भाव में गोचर करने…आगे पढ़ें