पौष पूर्णिमा 2021 (Paush Purnima 2021) आज यानी गुरुवार के दिन पौष पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। इसी दिन को शाकंभरी पूर्णिमा (Shakambhari Purnima) भी कहा जाता है। मान्यता है कि, मां दुर्गा ने पौष पूर्णिमा के दिन ही शाकंभरी देवी का अवतार लिया था। तो आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा के दिन मां शाकंभरी देवी की पूर्णिमा का महत्व क्या होता है और इस दिन की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को क्या कुछ फल प्राप्त होता है।
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शाकंभरी जयंती महत्व (Shakambari Jayanti Mahatva)
इस दिन के बारे में बताया जाता है कि, पृथ्वी पर पड़े अकाल संकट से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए मां दुर्गा ने आज ही के दिन शाकंभरी का अवतार धारण किया था। यही वजह है कि, मां शाकंभरी को सब्जियों और फलों की देवी के रूप में पूजा जाता है। ऐसे में जो कोई भी व्यक्ति शाकंभरी जयंती के दिन कच्ची सब्जियों, फलो और खाने-पीने की अन्य वस्तुओं का ज़रूरतमंदों को दान देता है उस व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।
पौष पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली शाकंभरी जयंती का विशेष महत्व माना जाता है। वैष्णव समाज के लोग इस दिन की शुरुआत पुष्य अभिषेक यात्रा से करते हैं। इसके अलावा लोग इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। माना जाता है कि, जो कोई भी व्यक्ति पौष पूर्णिमा या शाकंभरी पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों और कुंड में स्नान करते हैं ऐसे व्यक्ति के पाप दूर होते हैं और ऐसे जातकों पर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। इसके अलावा इस दिन ज़रूरतमंदों को दान देने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती।
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साथ ही ऐसे जातकों से मां दुर्गा बेहद ही प्रसन्न होती हैं। बात करें शाकंभरी देवी पूर्णिमा जयंती के शुभ मुहूर्त और इस दिन सिद्धि दिलाने वाले मंत्र की तो,
शाकंभरी जयंती शुभ मुहूर्त :
शाकम्भरी पूर्णिमा गुरुवार 28 जनवरी रात 01 बज-कर 17 मिनट से शुक्रवार,
29 जनवरी रात 12 बज-कर 45 मिनट तक रहेगी।
इस दिन माँ शाकंभरी का यह मंत्र दिलाएगा जीवन में हर क्षेत्र में सफलता : ‘शाकंभरी नीलवर्णानीलोत्पलविलोचना। मुष्टिंशिलीमुखापूर्णकमलंकमलालया।।’
शाकंभरी जयंती पूजन विधि (Shakambari Jayanti Puja Vidhi)
- शाकंभरी जयंती के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होने के बाद मां शाकंभरी की पूजा करते हैं।
- इस दिन की पूजा में मां शाकंभरी के लिए एक चौकी स्थापित की जाती है जिस पर उनकी प्रतिमा को स्थापित करने के बाद पूरे विधि विधान से उनकी पूजा करते हैं।
- पूजा के बाद लोग मां शाकंभरी की आरती उतारते हैं।
- इस दिन की पूजा में ताज़ा फल और सब्जियों का भोग लगाया जाता है।
- इस दिन की पूजा के समापन के बाद लोग मंदिर जाकर प्रसाद चढ़ाते हैं और ज़रूरतमंदों को कच्ची सब्जियों और फल आदि का दान करते हैं।
- इस दिन मां शाकंभरी की कथा भी सुनी जाती है।
हम आशा करते हैं यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा। यदि इस व्रत या अपने जीवन से जुड़ा कोई भी अन्य प्रश्न है तो आप हमारे जाने-माने ज्योतिषियों से प्रश्न पूछ सकते हैं।