हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्ल की नवमी को सीता नवमी मनाई जाती है। इस वर्ष यह तिथि 10 मई, 2022 को पड़ रही है। धार्मिक मान्यता है कि त्रेतायुग में इसी दिन माता लक्ष्मी सीता माता का रूप धारण कर धरती पर अवतरित हुई थीं। सीता नवमी को जानकी नवमी के नाम से भी जाना जाता है और इसका कारण यह है कि सीता माता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं। इस दिन माता सीता के साथ-साथ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की भी विधिवत पूजा की जाती है। शादीशुदा महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।
मान्यता है कि सीता नवमी का व्रत करने तथा विविधान से पूजा-अर्चना करने पर 16 महान दानों और सभी तीर्थों के दर्शन के बराबर फल मिलता है। साथ ही मनुष्य को सभी प्रकार के दुःखों और रोगों से छुटकारा मिल जाता है। नवमी की यह विशेष तिथि बहुत ही पुण्यफलदायी होती है, इसलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि इसका क्या महत्व है, इसकी पूजनविधि क्या है तथा सीता माता का जन्म कैसे हुआ?
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सीता नवमी तिथि व पूजा मुहूर्त
दिनांक: 10 मई, 2022
दिन: मंगलवार
हिंदी महीना: वैशाख
पक्ष: शुक्ल पक्ष
तिथि: नवमी
मध्याह्न मुहूर्त: सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक
अवधि: 02 घंटे 42 मिनट
नवमी तिथि आरंभ: 9 मई, 2022 की शाम 06 बजकर 33 मिनट से
नवमी तिथि समाप्त: 10 मई, 2022 की शाम 07 बजकर 26 मिनट तक
सूर्य की उदय तिथि के मुताबिक सीता नवमी 10 मई, 2022 को मनाई जाएगी।
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सीता नवमी का महत्व
आमतौर पर सीता नवमी वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में इसे फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भी मनाते हैं। हालांकि रामायण में सीता जी के अवतरण से जुड़ी यह दोनों तिथियां सही मानी गई हैं। भगवान श्री राम को विष्णु का तथा सीता जी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए सीता नवमी को एकदम राम नवमी की तरह बड़े ही विधिवत तरीके से मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति सीता जी और भगवान श्री राम की पूजा-अर्चना करता है, उस पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।
माता सीता कैसे अवतरित हुईं?
माता सीता के अवतरण का ज़िक्र हमें रामायण में मिलता है। एक कथा के अनुसार, मिथिला राज्य में बहुत लंबे समय तक वर्षा नहीं हुई, जिसके कारण वहां की प्रजा तथा वहां के राजा जनक बहुत चिंतित थे। तब राजा जनक ने ऋषियों से इस समस्या का समाधान पूछा तो उन्होंने राजा जनक को बताया कि यदि वे स्वयं हल चलाएं तो इंद्रा देवता बहुत प्रसन्न होंगे और राज्य में वर्षा होने लगेगी। ऋषियों के सुझाव के मुताबिक राजा ने स्वयं हल चलाना शुरू किया। हल चलाने के दौरान उनका हल एक कलश से टकराया, जिसमें एक बहुत सुंदर बच्ची थी। राजा जनक निःसंतान थे, इसलिए उस बच्ची को देखकर वे बहुत ख़ुश हुए और उन्होंने उस बच्ची को अपना लिया और अपने घर ले आए। राजा ने उस बच्ची का नाम रखा सीता। जिस दिन राजा जनक को वह प्यारी सी बच्ची सीता मिली थी, वह वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि थी। तभी से इस दिन को सीता नवमी या जानकी नवमी के नाम से मनाया जाने लगा।
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सीता नवमी पूजनविधि
सीता नवमी के दिन माता सीता और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पूजा करने के साथ-साथ कुछ लोग व्रत भी करते हैं। जिसकी तैयारियां अष्टमी तिथि से ही शुरू कर दी जाती हैं।
- अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर पूरे घर की साफ-सफाई करें।
- घर के मंदिर या पूजा करने के स्थान पर गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र कर लें।
- उसके बाद वहां पर एक मंडप बनाएं।
- मंडप में एक आसान रखें और उस पर भगवान श्री राम और माता सीता की मूर्ति या फोटो स्थापित करें।
- अब नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान कर, श्री राम और माता सीता की प्रतिमा के सामने एक कलश स्थापित करें और व्रत संकल्प लें।
- इसके बाद माता सीता का शृंगार करें तथा उन्हें सुहाग की सामाग्री चढ़ाएं।
- इसके बाद दोनों की विधिवत पूजा-अर्चना करें।
- फिर उन्हें फल, फूल, जल, धूप, दीप, प्रसाद और सिंदूर आदि अर्पित करें।
- अगले दिन यानी दशमी तिथि को विधिविधान के साथ मंडप को विसर्जित करें।
- फिर कुछ खाकर अपना व्रत खोलें।y
इस दिन माता सीता की पूजा करते समय ‘श्री सीतायै नमः’ और ‘श्रीसीता रामाय नमः’ मंत्र का जाप करना लाभदायी माना जाता है।
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सीता नवमी के दिन बन रहा है ध्रुव योग
मान्यता है कि ध्रुव योग में जन्मे व्यक्ति कि बुद्धि बहुत स्थिर होती है तथा वह जो भी काम करता है, उसे एकाग्रचित्त होकर करता है। साथ ही वह बहुत बलवान और धनवान भी होता है। इस योग के दौरान स्थित कार्य जैसे कि भवन निर्माण करना फलदायी माना जाता है, लेकिन कोई भी अस्थिर कार्य जैसे कि वाहन आदि ख़रीदना उचित नहीं माना जाता है।
ध्रुव योग कब से कब तक रहेगा?
हिंदी पंचांग के अनुसार, ध्रुव योग 9 मई, 2022 की शाम 08 बजकर 42 मिनट से 10 मई, 2022 की शाम 08 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।
सीता नवमी के दिन राशि अनुसार करें ये उपाय, होगा विशेष लाभ
मेष: मेष राशि के जातक सीता नवमी के दिन माता सीता को सिंदूर अर्पित करें। इससे उनके भाग्य में वृद्धि होगी।
वृषभ: वृषभ राशि के जातक सीता नवमी के दिन सुंदरकांड का पाठ करें। इससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी।
मिथुन: मिथुन राशि के जातक नवमी के दिन सीता माता को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें। इससे उन्हें माता जानकी का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
कर्क: कर्क राशि के जातक सीता नवमी के दिन माता जानकी को खीर का भोग लगाएं। इससे उनके जीवन में मिठास बढ़ेगी।
सिंह: सिंह राशि के जातक सीता नवमी के दिन भगवान श्री राम और माता जानकी का विवाह प्रसंग पढ़ें या सुनें। इससे उनके संबंधों में मधुरता आएगी।
कन्या: कन्या राशि के जातक सीता नवमी के दिन भगवान श्री राम और माता जानकी को लाल रंग के फूल अर्पित करें। इससे उनके प्रेम जीवन में स्थिरता आएगी।
तुला: तुला राशि के जातक सीता नवमी के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे उन पर भगवान श्री राम और माता जानकी की कृपा बनी रहेगी।
वृश्चिक: वृश्चिक राशि के जातक सीता नवमी के दिन अन्न दान करें। इससे उनके जीवन में समस्याएं कम होंगी।
धनु: धनु राशि के जातक सीता नवमी के दिन वृद्धजनों को ज़रूरत की चीज़ें भेंट करें। इससे उनके करियर में आ रही बाधाएं दूर होंगी।
मकर: मकर राशि के जातक सीता नवमी के दिन भगवान श्री राम और माता सीता को मिश्री युक्त दूध का भोग लगाएं। इससे उनके पारिवारिक संबंधों में सुधार आएगा।
कुंभ: कुंभ राशि के जातक सीता नवमी के दिन सुंदरकांड की किताबें भेंट करें। इससे उन्हें माता जानकी का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
मीन: मीन राशि के जातक सीता नवमी के दिन भगवान श्री राम और माता जानकी के नाम का उच्चारण करें। इससे वे अपने मन पर नियंत्रण रखने में कामयाब होंगे।
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