सनातन धर्म में एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है। एकादशी का दिन जगत के पालंकर्ता भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होता है। यही वजह है कि एकादशी को “हरि वासर” या फिर “हरि का दिन” भी कहा जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार देखा जाए तो हर महीने दो एकादशी पड़ती है। एक एकादशी कृष्ण पक्ष में जबकि एक शुक्ल पक्ष में। इस दिन व्रत करने से जन्म जन्मांतर तक तप करने का फल मिलता है। पितरों की शांति के लिए भी इस व्रत को किया जाता है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने से सूर्य ग्रहण में स्वर्ण दान करने जितना फल प्राप्त होता है। एकादशी के व्रत के कुछ नियम भी होते हैं जिनका पालन इस व्रत के दौरान करना आवश्यक है। इन्हीं नियमों में से एक नियम चावल से जुड़ा है।
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हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार एकादशी के दिन चावल खाना निषेध है। बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होगी कि आखिर इस नियम के पीछे की वजह क्या है। ऐसे में आज हम इस लेख में आपको इस नियम का धार्मिक और वैज्ञानिक कारण दोनों ही बताएँगे।
धार्मिक कारण
एकादशी के दिन चावल न खाने की वजह काफी रोचक है। दरअसल मान्यता है कि महर्षि मेधा ने अपनी माँ के गुस्से से बचने के लिए अपने शरीर का त्याग कर दिया था। इसके बाद उनका शरीर धरती माता के अंदर समा गया। मान्यता है कि जिस दिन महर्षि मेधा का दिव्य शरीर धरती माता के अंदर समाया, उस दिन एकादशी ही थी। कहा जाता है कि बाद में महर्षि मेधा ने चावल और जाऊ के रूप में धरती से जन्म लिया था। यही वजह है कि एकादशी के दिन सनातन धर्म में चावल नहीं खाया जाता। आइये अब इसका वैज्ञानिक कारण भी जान लेते हैं।
वैज्ञानिक कारण
सनातन धर्म विश्व का सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है। लेकिन फिर भी इस धर्म की ज़्यादातर परंपरा आश्चर्यजनक रूप से किसी न किसी वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित दिखती है। यह चीज हमारे पूर्वजों के दिव्य ज्ञान का ही कमाल लगता है कि उन्होंने प्राचीन समय में ऐसी परम्पराएं बनाई हैं जो आज के जीवन में भी एकदम सटीक बैठती है।
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ऐसा ही एक वैज्ञानिक कारण एकादशी के दिन चावल न खाने के पीछे भी है। दरअसल चावल में पानी की मात्रा अधिक होती है और चंद्रमा का पानी से सीधा संबंध होता है। जाहीर है कि इससे चावल खाने वाले व्यक्ति पर चंद्रमा का प्रभाव पड़ेगा जिसकी वजह से व्रत करने वाले जातक का मन परेशान हो सकता है। मन परेशान होने की वजह से जातकों के लिए व्रत के नियमों का पालन करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाया जाना चाहिए।
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