सफला एकादशी पर इस देवता की करें पूजा, हर क्षेत्र में मिलेगी तरक्की और सफलता!

सनातन धर्म में हर माह पड़ने वाली एकादशी का बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन श्री हरि विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ दिन पर, लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान के साथ करते हैं, उनकी सभी मनोकामना पूरी होती हैं। यह एकादशी पौष माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली तिथि को पड़ती है। धार्मिक मत है कि सफला एकादशी का व्रत करने से साधक के रुके हुए काम पूरे होते हैं। 

तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सफला एकादशी 2024 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, प्रचलित पौराणिक कथा और आसान ज्योतिषीय उपाय के बारे में।

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सफला एकादशी 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त

सफला एकादशी 26 दिसंबर 2024 दिन गुरुवार को पड़ रही है। 

पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ: 25 दिसंबर 2024 की रात 10 बजकर 31 मिनट से लेकर

पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त: 26 दिसंबर 2024 दिन गुरुवार की मध्यरात्रि 12 बजकर 46 मिनट तक।

सफला एकादशी पारण मुहूर्त : 27 दिसंबर की सुबह 07 बजकर 12 मिनट से 09 बजकर 16 मिनट तक।

अवधि : 2 घंटे 4 मिनट

सफला एकादशी का महत्व

सफला एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। “सफला” का अर्थ है “सफलता” और इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सफलता, सुख, समृद्धि और पापों से मुक्ति मिलती है। सफला एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति अपने पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति पाता है। यह व्रत आत्मशुद्धि का एक साधन है और पापों का नाश करता है। सफला एकादशी के दिन व्रत करने से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के सभी कार्य सिद्ध होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है।

सफला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ मिलता है। यह मन और आत्मा को शुद्ध करने में सहायक होती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति की दिशा में अग्रसर करती है।

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सफला एकादशी की पूजा विधि

सफला एकादशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने से साधक को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं। आइए जानते हैं इन दिन पूजा विधि के बारे में:

  • एकादशी के एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को हल्का और सात्विक भोजन करें।
  • रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए भगवान विष्णु का ध्यान करें और अगले दिन व्रत का संकल्प लें।
  • एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पवित्र जल से स्नान करने के बाद, भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को स्नान कराएं और उन्हें नवीन वस्त्र अर्पित करें।
  • घर के पूजा स्थल में भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक, धूप, और अगरबत्ती जलाएं।
  • भगवान को पुष्प, तुलसी दल, फल, और मीठा भोग अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”, “ॐ विष्णवे नमः” या विष्णु सहस्रनाम या श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें।
  • इस दिन व्रत रखें। यदि संभव हो, तो निर्जला व्रत रखें अन्यथा फलाहार या केवल सात्विक भोजन लें।
  • व्रत के दौरान दिन भर भगवान विष्णु का ध्यान करें और कोई भी गलत कार्य या असत्य वचन न बोलें।
  • एकादशी की रात्रि को जागरण करें। इस दौरान भगवान के भजन-कीर्तन करें और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
  • द्वादशी तिथि को व्रत पारण करें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद ब्राह्मणों, गरीबों, या जरूरतमंदों को भोजन कराएं और वस्त्र, अन्न, और धन का दान करें।

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सफला एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में चंपावती नगरी में महिष्मान नामक एक राजा राज्य करता था। वह राजा धर्मपरायण, न्यायप्रिय और विष्णु भक्त था। उसके चार पुत्र थे, जिनमें से सबसे बड़ा पुत्र लुंभक बहुत ही पापी और अधर्मी था। लुंभक ने अपने जीवन में बहुत से अनैतिक कार्य किए, जैसे चोरी, जुआ, हत्या, और दूसरों को कष्ट देना। उसके कुकर्मों से दुखी होकर राजा ने उसे राज्य से निष्कासित कर दिया।

राज्य से निकाले जाने के बाद, लुंभक जंगल में रहने लगा। वह दिन में नगरवासियों की वस्तुएँ चुराकर अपने पेट भरता था और रात में एक पीपल के वृक्ष के नीचे सोता था। लुंभक को इस बात का ज्ञान नहीं था कि वह वृक्ष भगवान विष्णु को समर्पित था। एक दिन पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि आई, जो सफला एकादशी के नाम से जानी जाती है। उस दिन लुंभक अत्यधिक ठंड और भूख-प्यास के कारण बेहाल हो गया। संयोगवश उसने पूरा दिन बिना कुछ खाए-पिए व्यतीत किया, और इस प्रकार उसका अनजाने में व्रत हो गया। रात्रि में, जब वह पेड़ के नीचे सोया हुआ था, तो उसने भगवान विष्णु का ध्यान किया और उनसे अपने पापों के लिए क्षमा मांगी।

दूसरे दिन जब वह जागा, तो उसने देखा कि उसके पास भगवान विष्णु की कृपा से सुंदर फल गिरे हुए थे। उसने उन फलों को भगवान विष्णु को अर्पित किया और उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया। भगवान विष्णु लुंभक की यह भक्ति देखकर प्रसन्न हुए और उसे दर्शन दिए। उन्होंने लुंभक से कहा कि उसके द्वारा सफला एकादशी के दिन व्रत और पूजा करने से उसके सारे पाप धुल गए हैं और वह अब एक पवित्र आत्मा बन चुका है। भगवान विष्णु की कृपा से लुंभक ने अपने सारे पापों का प्रायश्चित किया और वह वापस अपने पिता के पास गया। राजा महिष्मत ने उसे क्षमा कर दिया और उसे अपना उत्तराधिकारी बना दिया। इसके बाद लुंभक ने धर्म और न्याय के साथ राज्य किया और अपने जीवन को भगवान विष्णु की भक्ति में समर्पित कर दिया।

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सफला एकादशी के दिन जरूर करें ये ख़ास उपाय

भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए

सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करें। इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी होता है। इसके अलावा, भगवान विष्णु को पीले फूल, तुलसी दल, और फल अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होगी।

सुख-समृद्धि के लिए

इस दिन निर्जला या फलाहार व्रत रखें। यदि निर्जला व्रत संभव न हो, तो सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते हैं। व्रत के दौरान मन, वचन, और कर्म से पवित्र रहें और भगवान का ध्यान करें। ऐसा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।

अच्छे स्वास्थ्य के लिए

सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्तों का विशेष महत्व होता है। भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इस दिन तुलसी के पौधे के नीचे दीपक जलाकर आरती करें। ऐसा करने से बेहतरीन स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी।

आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए

सफला एकादशी के दिन जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, अन्न, और धन का दान करें। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। इसके अलावा,इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और पीले वस्त्र या अन्न का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

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नौकरी व व्यवसाय में लाभ प्राप्त करने के लिए

इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना शुभ होता है। इसके अलावा “ॐ विष्णवे नमः” या “ॐ नारायणाय नमः” मंत्रों का भी जाप किया जा सकता है। ऐसा करने से नौकरी व व्यवसाय में लाभ प्राप्त होगी।

शांति के लिए

सफला एकादशी की रात्रि को जागरण करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस रात भजन-कीर्तन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। रात्रि जागरण से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में शांति और समृद्धि आती है।

सकारात्मक ऊर्जा के लिए

सफला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा शंख से करें। शंख में जल भरकर भगवान पर चढ़ाएं और शंख ध्वनि करें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का वास होता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- सफला एकादशी क्यों मनाई जाती है?

मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने से साधक को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है और घर में खुशियों का आगमन होता है।

2- सफला एकादशी में हम क्या खा सकते हैं?

एकादशी व्रत में शकरकंद, कुट्टू, आलू, साबूदाना, नारियल, काली मिर्च, सेंधा नमक, दूध, बादाम, अदरक, चीनी आदि पदार्थ खाने में शामिल कर सकते हैं।

3- हम सफला एकादशी क्यों मनाते हैं?

शास्त्रों के अनुसार, जो लोग सच्चे मन से सफला एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें समृद्धि, खुशी और अपने प्रयासों में सफलता मिलती है।

4- सफला एकादशी को क्या दान करना चाहिए?

सफला एकादशी के दिन गुड़ का दान करना शुभ माना जाता है।

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