सनातन धर्म में ढेरों व्रत और उपवास किए जाते हैं। इन्हीं में से एक व्रत है जिसे माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, निरोग जीवन, तरक्की, सफलता के लिए करती हैं। इस व्रत को संतान सप्तमी कहते हैं। संतान सप्तमी का यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन किया जाता है। बहुत सी जगह पर इसे मुक्ताभरण व्रत के नाम से भी या ललित सप्तमी व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
आज अपने इस खास ब्लॉग में हम जानेंगे संतान सप्तमी व्रत से जुड़ी ढेरों महत्वपूर्ण और जानने योग्य बातें, साथ ही जानेंगे इस दिन किस देवी-देवता की पूजा की जाती है, और संतान सप्तमी व्रत का शुभ मुहूर्त क्या होने वाला है इसकी जानकारी भी आपको इस ब्लॉग के माध्यम से प्रदान की जा रही है।
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संतान सप्तमी व्रत 2023
बात करें इस वर्ष संतान सप्तमी का व्रत किस दिन किया जाएगा तो हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि जो इस वर्ष 22 सितंबर 2023 को पड़ रही है उस दिन यह व्रत किया जाएगा। इस दिन सप्तमी तिथि दोपहर 2:14 से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 22 सितंबर को 1:35 तक रहेगी। इसी बीच महिलाएं व्रत रखेंगी और इस दिन भगवान शिव और मां गौरी की पूजा का विधान बताया गया है।
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 4:35 से सुबह 5:22 तक
अभिजित मुहूर्त : सुबह 11:49 से दोपहर 12:38 तक
गोधूलि मुहूर्त : शाम 6:18 से शाम 6:42 तक
अमृत काल : सुबह 6:47 से सुबह 8:23 तक
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संतान सप्तमी व्रत महत्व
संतान सप्तमी का व्रत अपनी संतान की लंबी उम्र, सुख, समृद्धि और सफलता के लिए किया जाता है। इसके अलावा इस व्रत को करने से जीवन से आर्थिक तंगी भी दूर होती है और संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत बेहद ही उत्तम माना जाता है। इसके अलावा पौराणिक मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि संतान सप्तमी व्रत से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु सुनिश्चित करती हैं। साथ ही अपने संतान के जीवन से हर तरह के दुख, परेशानियों और कष्टों के निवारण करने के लिए भी यह व्रत बेहद ही फलदायी होता है।
अधिक जानकारी: यहां जानने योग्य बात यह भी है की संतान सप्तमी का यह पवन व्रत महिला और पुरुष अथवा माता-पिता दोनों ही मिलाकर रख सकते हैं।
संतान सप्तमी व्रत सही पूजन विधि
बात करें पूजन विधि की तो,
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और फिर अपनी संतान के उज्जवल भविष्य और किसी भी तरह के कष्ट और दुख के निवारण की कामना करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन की पूजा दोपहर से पहले ही पूरी कर ली जाए तो उसे शुभ माना गया है।
- भगवान विष्णु, भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा की जाती है।
- पूजा स्थल पर एक चौक बनाकर वहां पर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा रखें। उसके बाद प्रतिमा को स्नान करा कर चंदन से लेप लगाएँ।
- इसके बाद अक्षत, नारियल, सुपारी, आदि देवी देवताओं को अर्पित करें। उनके समक्ष दीपक जलाएं।
- माता-पिता संतान की रक्षा का संकल्प लेकर भगवान शिव को डोरा बांधते हैं।
- इसके बाद इस डोरे को आप अपनी संतान की कलाई पर बांध सकते हैं।
- बात करें भोग की तो इस दिन के भोग में आप खीर, पूरी, देवी देवताओं को अर्पित कर सकते हैं। भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य रखें।
- पूजा के समापन के समय आरती करें और भगवान से अपनी मनोकामना कहें।
- इसके बाद भोग का प्रसाद सभी लोगों में वितरित करें।
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संतान सप्तमी व्रत के नियम
भविष्य पुराण के अनुसार सप्तमी तिथि भगवान सूर्य को समर्पित होती है। सप्तमी तिथि के दिन अगर भगवान सूर्य की पूजा अर्चना की जाए तो इससे संतान सुख के भी प्राप्ति होती है। बात करें व्रत के नियम की तो जो लोग संतान की कामना के लिए इस दिन का व्रत रखते हैं उन्हें इस दिन दोपहर तक व्रत करने की सलाह दी जाती है, इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधिवत पूजा करें, संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव को कलवा लपेट दें और बाद में इस कलावे को अपनी संतान को बांध दें या अगर आप संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत कर रहे हैं तो इस कलावे को अपने पास रख लें।
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संतान सप्तमी के महा उपाय
संतान सप्तमी के दिन आप अपनी संतान की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए कुछ उपाय भी कर सकते हैं। जैसे,
- आप सात मीठी पूरी को केले के पत्ते में बांध दें और इसे भगवान शिव और गौरी मैया को अर्पित कर दें। ऐसा करने से आपकी संतान का जीवन उन्नत और सुखमय बना रहेगा।
- इसके अलावा इस दिन की पूजा में भगवान शिव को कलवा अवश्य अर्पित करें या फिर पूजा करते समय सूत का डोरा या चांदी की चूड़ी हाथ में पहन कर रखें। कहा जाता है जो भी व्यक्ति इस सरल से उपाय को कर लेता है उसे संतान प्राप्ति अवश्य होती है। साथ ही उनकी संतान बेहद ही तेजस्वी होती है।
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