इस दिन मनाई जाएगी साल की पहली संकष्टी चतुर्थी 2023; जानें पूजा विधि एवं विशेष सावधानियां!

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

अर्थ: घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर वाले, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली।

मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरा करने की कृपा करें॥

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले भगवान श्री गणेश का आह्वान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यदि पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ गणपति बप्पा की पूजा की जाए तो जीवन की परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। 

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सनातन धर्म में हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी 2023 का व्रत रखा जाता है। संकष्टी चतुर्थी 2023 का दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है। संकष्टी चतुर्थी को संकट हरने वाली चतुर्थी भी कहते हैं क्योंकि इस चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा करने से मनुष्य को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। लेकिन संकष्टी चतुर्थी में भी कुछ चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। जिनमें एक है माघ मास की संकष्टी चतुर्थी। इस संकष्टी चतुर्थी को तिल चतुर्थी, तिलकुट चतुर्थी, वक्रतुंड चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं। पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश जी की पूजा करना बहुत फलदायी होता है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी 2023 की पूजा विधि, महत्व, कथा और अन्य जरूरी चीज़ें।

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संकष्टी चतुर्थी 2023: तिथि व मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह की संकष्टी चतुर्थी व्रत 10 जनवरी 2023 को मंगलवार के दिन रखा जाएगा। संकष्टी चतुर्थी मंगलवार के दिन को पड़ रही है तो इसे अंगारकी चतुर्थी भी कहा जाएगा। 

माघ कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 10 जनवरी 2023 को दोपहर बाद 12 बजकर 13 मिनट से 

माघ कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि समाप्त: 11 जनवरी 2023 को दोपहर बाद 2 बजकर 35 मिनट तक।

उदया तिथि के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का व्रत 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। यह व्रत रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खोला जाता है और इस दिन चंद्रोदय का समय रात 8 बजकर 41 मिनट पर है।

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संकष्टी चतुर्थी 2023 का महत्व

संकष्टी चतुर्थी का व्रत पश्चिमी व दक्षिणी भारत में और विशेषकर महाराष्ट्र तमिलनाडु में बेहद प्रचलित है। इस खास दिन भगवान गणेश जी के भक्त सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखते हैं। शिवपुराण के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व भगवान गणेश जी की विधि विधान से पूजा करने से एक पक्ष के पापों का नाश होता है और एक पक्ष तक उत्तम भोग रूपी फल मिलता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य और दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत भी करती हैं।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

  • इस दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएं। स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। 
  • व्रत करने वाले लोग इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें। यह बेहद शुभ माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है। 
  • भगवान गणपति जी की पूजा करते समय दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। 
  • गणपति की मूर्ति को फूलों और मालाओं से अच्छी तरह से सजा लें। 
  • पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल, तांबे के कलश में पानी, धूप, चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें। 
  • गणपति बप्पा को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें और तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं। 
  • गणपति के सामने धूप व दीप जला कर इस मंत्र का जाप करें:

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।

उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।

  • शाम के समय चंद्रमा के निकलने से पहले संकष्टी व्रत कथा का पाठ कर भगवान गणेश जी की पूजा करें। 
  • पूजा समाप्त होने के बाद सबको प्रसाद बांटें। रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।

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संकष्टी चतुर्थी 2023: इस दिन करें ये काम

  • इस दिन गणेश भगवान को गुड़ के लड्डू जरूर चढ़ाएं। लड्डू की संख्या 11 या 21 रखें।
  • गणेश जी को विघ्न हरने वाले और कार्य सिद्ध करने वाले देवता की उपाधि दी गई है। संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति जी के 12 नाम या 21 नाम या 101 नाम का ध्यान करना चाहिए।
  • यदि आपका कोई कार्य बहुत दिन से अटका हुआ है तो किसी भी समस्या के समाधान के लिए इस दिन संकटनाशन गणेश स्तोत्र के 11 पाठ करें।
  • इस दिन भगवान गणेश जी के इन मंत्रों का जाप करें:
  1. ॐ गं गणपतये नम:।
  2. ॐ वक्रतुण्डाय हुं।
  3. ॐ मेघोत्काय स्वाहा।
  4. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
  5. ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।

संकष्टी चतुर्थी 2023 के दिन भूलकर न करें ये काम 

  • अंगारकी चतुर्थी यानी संकष्टी चतुर्थी के दिन भूलकर भी भगवान गणेश जी की पूजा करते समय तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल न करें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
  • इस दिन पशु पक्षियों को परेशान न करें, बल्कि कोशिश करें कि उन्हें भोजन खिलाएं और देखभाल करें। 
  • इस दिन किसी से भी दुष्ट व्यवहार न करें और न ही किसी का अपमान करें।
  • इस दिन तामसिक भोजन जैसे कि मांस-मदिरा का सेवन न करें केवल सात्विक भोजन ही करें।

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माघ संकष्टी चतुर्थी पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार मां पार्वती स्नान करने गई। इस दौरान उन्होंने बाल गणेश जी को स्नान गृह के दरवाजे पर खड़ा कर दिया और कहा- जब तक मैं स्नान कर बाहर न आऊं तब तक कहीं न जाएं। बाल गणेश स्नान गृह के बाहर पहरा देने लगे। तभी भगवान शिव किसी जरूरी कार्य से माता पार्वती को ढूंढ रहे थे। यह वक्त माता पार्वती के स्नान का था। यह सोच भोलेनाथ स्नान गृह आ पहुंचे। यह देख बाल गणेश ने उन्हें स्नान घर में जाने से रोक दिया। इससे भगवान शिव नाराज हो गए। उन्होंने बाल गणेश को मनाने की कोशिश की, लेकिन भगवान गणेश उनकी बात नहीं माने।

भगवान गणेश ने कहा कि मां का आदेश है, जब तक वे बाहर नहीं आती हैं। तब तक कोई अंदर नहीं जा सकता है। यह सुनकर भगवान शिव क्रोधित हो उठे और त्रिशूल से प्रहार कर भगवान गणेश जी के सिर को धड़ से अलग कर दिया। भगवान गणेश की चीख से माता पार्वती दौड़कर बाहर आ गईं। अपने पुत्र को मृत देख माता पार्वती जोर-जोर से रोने लगी।

देवलोक में हाहाकार मच गया। फिर भगवान शिव को अपनी गलती का अहसास हुआ। माता ने भगवान शिव से पुत्र के प्राण वापस देने की याचना की। मां पार्वती की यह कामना भगवान विष्णु जी ने पूरी की। जब उत्तर की दिशा में बैठे ऐरावत का सर धड़ से अलगकर उन्होंने भगवान गणेश जी पर लगा दिया। इससे भगवान गणेश पुनर्जीवित हो उठे। कहा जाता है कि उस वक्त गणेश जी का कटा हुआ सिर चंद्रमा पर जा कर गिरा था। मान्यता है कि उस दिन से चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा की शुरुआत हुई। संकष्टी चतुर्थी के दिन भी चंद्रमा को अर्घ्य देना शुभ माना गया है। महिलाएं बच्चों के दीर्घायु होने के लिए सकट चौथ का व्रत करती हैं।

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