रोहिणी व्रत आज: पति की लंबी उम्र के लिए रखें व्रत, इस विधि से करें पूजा !

रोहिणी व्रत को मुख्य रूप से जैन धर्म के एक ख़ास व्रत त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। ये व्रत मुख्य रूप से सुहागिन स्त्रियों द्वारा रखा जाता है। आज के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। इसके साथ ही मुख्य रूप से महिलाएं रोहिणी देवी और भगवान् वासुपूज्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखती हैं। आज रोहिणी व्रत के अवसर पर हम आपको इस व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये विस्तार से जानते हैं रोहिणी व्रत के प्रमुख तथ्यों के बारे में।

रोहिणी व्रत का महत्व

जैन समुदाय की महिलाओं के लिए विशेष रूप से आज के दिन व्रत रखना ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। सुहागिन स्त्रियां आज के दिन व्रत रखकर अपने अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं और साथ ही साथ परिवार की सुख शान्ति के लिए भी कामना करती हैं। बता दें कि जैन समुदाय रोहिणी व्रत को महज एक व्रत ही नहीं बल्कि एक त्यौहार के रूप में मनाता है। हालाँकि ये व्रत केवल सुहागिन स्त्रियां ही रखती हैं लेकिन इस पूजा में घर के पुरुष भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। आज के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को विशेष रूप से पूजा की सभी विधियों का पालन करना अनिवार्य माना जाता है। जहाँ तक इस व्रत के महत्व का सवाल है तो, सभी 27 नक्षत्रों में से रोहिणी नक्षत्र को सबसे प्रमुख माना जाता है। जैन समुदाय में इस नक्षत्र की पूजा की जाती है और रोहिणी माता को देवी का स्वरुप माना जाता है। रोहिणी व्रत हर महीने रखा जाता है, इस महीने स्त्रियां, आज यानि की 28 जुलाई के दिन रोहिणी व्रत रखेंगीं।

रोहिणी व्रत पूजा विधि

  • आज के दिन महिलाएं सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि दैनिक क्रियाओं से निवृत होने के बाद नए कपड़े धारण करती हैं।
  • इसके बाद पूजा स्थल की साफ़ सफाई करने के बाद रोहिणी माता और वासुपूज्य भगवान् की पूजा अर्चना की तैयारी करती हैं।
  • सबसे पहले धूप दीप दिखाते हुए पूजा अर्चना की जाती है। श्रद्धा भाव से की गयी आराधना का फल जरूर मिलता है।
  • आज के दिन किये जाने वाले व्रत का पालन आज से लेकर आने वाले मृगशिरा नक्षत्र तक किया जाता है।
  • पूजा विधि संपन्न होने के बाद गरीब ब्राह्मणों को दान करना चाहिए और उन्हें भोजन करवाना चाहिए।

रोहिणी व्रत उद्यापन विधि

जैन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रोहिणी व्रत मुख्य रूप से एक निश्चित समय के लिए रखा जाता है। सुहागिन महिलाएं आमतौर पर ये व्रत तीन, पांच और सात सालों के लिए रख सकती हैं। हालाँकि मुख्य रूप से पांच सालों तक इस व्रत को रखने के बाद इसका उद्यापन किया जा सकता है। जिस दिन आप इस व्रत का उद्यापन करने जा रहे हों उस दिन खासतौर से रोहिणी माता और वासुपूज्य भगवान् की पूजा अर्चना विधि पूर्वक करनी चाहिए। व्रत खोलने के बाद ब्रह्मणों को भोजन करवाना अनिवार्य माना जाता है।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.