रोहिणी व्रत: जानें इस व्रत का महत्व, पूजन विधि और मुहूर्त

रोहिणी व्रत, जैन समुदाय के लिए रोहिणी व्रत का बेहद महत्व बताया गया है।  रोहिणी व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए रखती हैं। इस दिन का व्रत घर और जीवन में सुख शांति की कामना के लिए भी रखा जाता है। प्रत्येक वर्ष में 12 से 13  रोहिणी व्रत किए जाते हैं । यानी कि प्रत्येक महीने में यह व्रत एक बार किया जाता है। 

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रोहिणी व्रत का पारण रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने के बाद मार्गशीर्ष नक्षत्र की शुरुआत में किया जाता है। नवंबर में रोहिणी व्रत 3 नवंबर 2020 को किया जाएगा। 

रोहिणी नक्षत्र 2 नवंबर को रात्रि 11:51 से शुरू होकर 4 नवंबर को रात 2:30 तक रहेगा। 

सामान्य तौर से देखा जाए तो महीने का 27 वां दिन रोहिणी नक्षत्र में ही पड़ता है और इसे दिन रोहिणी व्रत के किए जाने की मान्यता होती है। 

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रोहिणी व्रत पूजा विधि 

  • इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद पूजा की तैयारी करती हैं। 
  • इस व्रत में भगवान वासुपूज्य की पूजा किये जाने का विधान होता है। 
  • पूजा स्थल पर वासुपूज्य भगवान की पंचरत्न, ताम्र, या स्वर्ण की मूर्ति स्थापित करें। 
  • भगवान की पूजा शुरू करके उन्हें फल, फूल, वस्त्र और नैवेद्य इत्यादि का भोग लगाएं। 
  • व्रत के साथ-साथ इस दिन गरीबों को दान देने का भी बेहद महत्व बताया गया है।

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रोहिणी व्रत महत्व 

रोहिणी व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। मान्यता है कि रोहिणी व्रत को करने से मां रोहिणी इंसान के घर से कंगाली को दूर कर उस घर में सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। इस व्रत की पूजा के दौरान जातक माँ रोहिणी से प्रार्थना करते हैं कि उनके द्वारा अनजाने में की गई गलतियों को वह माफ करें और उनके जीवन के सभी कष्टों को दूर करें। रोहिणी व्रत पूरे दिन भूखा रहकर करना होता है। जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। 

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रोहिणी व्रत को जो कोई भी इंसान रखता है उसे एक निश्चित समय जैसे कि 3,5,7 सालों तक इस व्रत को करना ही होता है। हालाँकि जो लोग इतना लंबा व्रत नहीं रख सकते हैं उन्हें 5 महीने तक तो यह व्रत रखने की सलाह दी जाती है। यह व्रत 5 महीने या फिर 5 साल को उचित अवधि का माना गया है।

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