सूर्य को सौर मंडल के सभी ग्रहों के मुखिया, सौर देवता और राजा की उपाधि प्राप्त है। उन्हें सृष्टि के पिता का दर्जा भी दिया जाता है। उनके स्वरूप की बात करें तो उनके बाल और हाथ स्वर्ण के होते हैं, जो रथ पर सवार होते हैं और रथ को सात घोड़े खींचते हैं। ये सात घोड़े सात चक्रों प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य को “रवि” के रूप में “रवि-वार” या इतवार का स्वामी भी कहा जाता हैं। जो हर एक माह में अपना राशि परिवर्तन करते हैं, जिन्हे हम सूर्य संक्रांति कहते है। सूर्य संक्रांति का प्रभाव हर एक राशि पर किसी न किसी रूप से अवश्य ही पड़ता है, चाहे वो प्रभाव शुभ हो या अशुभ।
आज सूर्य देव अपनी स्वराशि में करेंगे स्थान परिवर्तन
अब यही विश्व को प्रकाश देने वाले सूर्य देव आज यानी शनिवार, 17 अगस्त 2019 को दोपहर 12:47 बजे चंद्र की राशि कर्क से अपनी ही राशि सिंह में प्रवेश करेंगे, जिससे जहाँ कई राशियों पर इस गोचर का असर सकारात्मक पड़ेगा तो वहीं कई जातकों के लिए ये गोचर बेहद अशुभ साबित होने वाला है।
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सूर्य को हमेशा से ही दिया जाता रहा है विशेष महत्व
हिंदू धर्म में भी सूर्य देव को एक विशेष स्थान दिया गया है, जिन्हे भगवान का वो रूप बताया गया है जिसे हर प्राणी हर दिन देख सकता है। उनकी इसी महत्ता के कारण ही शैव और वैष्णव समुदाय सूर्य को क्रमशः भगवान शिव और भगवान विष्णु का ही एक स्वरूप मानते हैं। क्योंकि अपनी उसी धार्मिक भावनाओं के चलते जहाँ सूर्य देव को वैष्णव द्वारा सूर्य नारायण कहा जाता है। तो वहीं शैव समुदाय के लोग भगवान सूर्य को शिव जी के आठ रूपों में से मानकर उनकी पूजा-आराधना करते हैं, जिन्हे अष्टमूर्ति कहा जाता है।
इसके साथ ही सूर्य आत्मा, राजा, ऊँचे पदों से जुड़े व्यक्तियों, पिता आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं। हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य की सभी संतानों में से शनि (ग्रह) , यम (मृत्यु के देवता) और कर्ण (महाभारत काल) का उल्लेख कई ग्रंथों में सुनने को मिलता है।
सूर्य ग्रह का जन्म कुंडली पर प्रभाव
वैदिक ज्योतिष अनुसार सूर्य के ही प्रभावों से मनुष्य को अपने जीवन में सम्मान और सफलता मिलती है। इसके अलावा जिन भी जातकों की जन्म कुंडली में सूर्य देव कमज़ोर या दुर्बल स्थिति में होते हैं उन्हें सूर्य ग्रह की शांति के लिए कई उपाय बताये गए हैं। जिनके अनुसार ही जातक सूर्य मंत्र, सूर्य यंत्र और सूर्य नमस्कार समेत कई अन्य उपायों को करके इस गोचर से मिलने वाले अशुभ प्रभावों को तो कम कर ही सकता है, साथ ही अपनी राशि में सूर्य की स्थिति को भी मजबूत बना सकता है। ऐसे में जातक को हर दिन नियमित रूप से सूर्य मंत्र उच्चारित और सूर्य नमस्कार करना चाहिए क्योंकि माना जाता है कि इससे जातक को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। सूर्य ग्रह सरकारी एवं विभिन्न क्षेत्रों में उच्च सेवा का कारक भी होता है। जन्म कुंडली में सूर्य की जहाँ शुभ स्थिति व्यक्ति को जीवन में उन्नति प्रदान करती है वहीं कुंडली में सूर्य के अशुभ प्रभाव से जातक को सम्मान की हानि, पिता को कष्ट, उच्च पद प्राप्ति में बाधा, ह्रदय और नेत्र संबंधी रोग होते हैं। जन्म कुंडली में सूर्य से संबंधित किसी भी परेशानी के समाधान के लिए सूर्य ग्रह से जुड़े विभिन्न उपाय बताए गए हैं। आइये जानते हैं इन महा उपायों को विस्तार से।
सूर्य देव की शांति के लिए महाउपाय
- सूर्य के शुभ फल पाने के लिए घर की पूर्व दिशा को दूषित न होने दें।
- भूल से भी भगवान विष्णु और भगवान शिव का अपमान न करें।
- सदैव पिता का सम्मान करें।
- देर से सोकर न उठे।
- रात्रि के कर्मकांड करने से भी सूर्य देव को प्रबल बनाया जा सकता है।
- राजाज्ञा-न्याय का उल्लंघन नहीं करना चाहिए।
- घर की पूर्व दिशा को वास्तुशास्त्र अनुसार ठीक करें।
- भगवान विष्णु की विधि अनुसार उपासना करें।
- हर रविवार गाय को आटा या रोटी खिलाएं।
- निरंतर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दे।
- रविवार का विधि अनुसार व्रत एवं उसका पालन करें।
- घर से निकलते वक़्त कुछ मीठा खाकर और फिर ऊपर से पानी पीए।
- निरंतर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- हर रविवार गायत्री मंत्र का जाप करें।
- तांबा, गेहूं एवं गुड़ का दान करके भी आप अपनी कुंडली में सूर्य को बली बना सकते हैं।
- प्रत्येक कार्य का प्रारंभ कुछ मीठा खाकर ही करें।
- जिन भी जातक को किसी भी प्रकार का सूर्य दोष है उन्हें तांबे के एक टुकड़े को काटकर उसके दो भाग करके, एक भाग को
- पानी में बहा देने और दूसरे को जीवनभर साथ रखने से भी दोष से मुक्ति मिल सकती है।
- सूर्य की स्थिति को मजबूत करने के लिए “ॐ रं रवये नमः” या “ॐ घृणी सूर्याय नमः” मन्त्रों का 108 बार जाप करना चाहिए।
सूर्य शान्ति के लिए मंत्र
हर जातक को सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सूर्य के बीज मंत्र “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।” का जाप करना शुभ होता है।
यूँ तो शास्त्रों अनुसार माना जाता है कि सूर्य के बीज मंत्र को 7000 बार जपना चाहिए परंतु देश-काल-पात्र सिद्धांत के अनुसार कलयुग में इस मंत्र का (7000×4) 28000 बार उच्चारण करना बेहद फलदायी होता है।
इसके साथ ही कुंडली में सूर्य दोषों को समाप्त करने के लिए “ॐ घृणि सूर्याय नमः!” मंत्र का भी जाप किया जा सकता है।