आपको जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान शासित बलूचिस्तान में हिंगलाज माता का एक ऐसा मंदिर है जिसे आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहाँ हिन्दुओं के साथ ही साथ मुस्लिम भी इस मंदिर की सेवा में जुटे रहते हैं। इस मंदिर को विशेष रूप से माता सती के प्रमुख 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। आज हम आपको इस मंदिर के विशेष महत्व और इससे जुड़े इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं आखिर क्या है इस मंदिर की खासियत।
पाकिस्तान-कराची ही नहीं बल्कि भारतियों के लिए भी है आस्था का केंद्र
बता दें कि पाकिस्तान शासित बलूचिस्तान का हिंगलाज मंदिर ना केवल पाकिस्तान और कराची में प्रसिद्ध है बल्कि इस मंदिर के प्रति भारतीय हिन्दुओं में भी विशेष आस्था है। यहाँ पाकिस्तान के सिंधी हिन्दू तो माता के दर्शन के लिए आते ही हैं साथ ही भारत से भी हर वर्ष श्रद्धालुओं का एक जत्था माता के दर्शन के लिए जाते हैं। यहां नवरात्री के दौरान विशेष पूजा अर्चना की जाती है, इस दौरान हिंगलाज मंदिर की रौनक देखते ही बनती है। इस मंदिर की ख़ास बात ये है कि यहाँ हिन्दुओं के साथ ही मुस्लिम भी मंदिर की सेवा में जुटे रहते हैं। हिंगलाज माता का ये मंदिर बलूचिस्तान क्षेत्र के हिंगलाज में हिंगोल नदी और चंद्रकूप पहाड़ पर स्थित है। इस मंदिर के प्रति लोगों में इतनी आस्था ही कि यहाँ सालभर मेले जैसा माहौल बना रहता है।
हिंगलाज मंदिर से जुड़े पौराणिक तथ्य
प्राचीन मान्यता के अनुसार माता सती की मृत्यु के बाद शिव जी उनके मृत शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव कर रहे थे, ऐसा देख भगवान विष्णु ने संसार को शिव जी के प्रकोप से बचाने के लिए उनके शरीर को 51 हिस्सों में काट दिया। उनके शरीर के जो हिस्से जिस जगह पर गिरे वहां शक्तिपीठ का निर्माण करवाया गया। धार्मिक मान्यता के अनुसार माता सती का सर हिंगलाज में जाकर गिरा था। इसलिए यहाँ हिंगलाज माता का मंदिर बनवाया गया जिसे बेहद ख़ास माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ पूजा पाठ करने के लिए आम लोगों के साथ ही गुरु नानक देव, दादा मखान और गोरखनाथ जैसे महान संत भी आ चुके हैं।
इस प्रकार का है माता के मंदिर के स्वरुप
बलूचिस्तान स्थित माता हिंगलाज का मंदिर असल में एक पहाड़ के गुफा में स्थित है। चंद्रकूप पहाड़ पर स्थित माता के इस मंदिर में कोई दरवाजा नहीं है। यहाँ भक्त माता के विग्रह रूप के दर्शन के लिए आते तो एक रास्ते से हैं लेकिन जाने के लिए दूसरे रास्ते का प्रयोग करते हैं। इस मंदिर में माता सती के हिंगलाज रूप के साथ ही साथ शिव जी के भीमलोचन भैरव का रूप भी स्थापित है। इस मंदिर के परिसर में गणेश जी और कालिका माता की प्रतिमा भी स्थापित हैं। मंदिर में प्रवेश के साथ ही सबसे पहले गणेश जी के दर्शन होते हैं। हिन्दुओं में इस मंदिर के लिए विशेष आस्था तो है ही साथ ही मुस्लिम भी उनकी आस्था और धर्म का सम्मान करते हैं। इस मंदिर के बारे में एक प्रसिद्ध मान्यता है कि यहाँ व्यक्ति जिस मुराद की पूर्ती के लिए आता है उसमे उन्हें सफलता जरूर मिलती है।