महाभारत के युद्ध को सनातन धर्म में धर्म युद्ध के तौर पर देखा जाता है। मान्यता है कि यह धर्म और अधर्म के बीच की लड़ाई थी जिसमें धर्म विजयी हुआ। महाभारत का यह युद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था लेकिन क्या आप ये बात जानते हैं कि महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही क्यों लड़ा गया? भारत तो इतना विशाल था फिर भी महाभारत युद्ध के लिए कुरुक्षेत्र को ही क्यों तय किया गया और यह तय किया किसने? अगर आपको इन सारे सवालों का जवाब नहीं मालूम है तो परेशान न हों, आज हम इस लेख में आपको इन सारे सवालों का जवाब देने वाले हैं।
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ऐसे तय हुआ महाभारत के लिए कुरुक्षेत्र का नाम
हम सभी जानते हैं कि महाभारत के युद्ध में भगवान कृष्ण की कितनी बड़ी भूमिका रही है। महाभारत के लिए रण क्षेत्र के इस चुनाव में भगवान कृष्ण की ही भूमिका थी। दरअसल जब यह निश्चित हो गया कि महाभारत के युद्ध को अब किसी भी सूरत में टाला नहीं जा सकता है। तब भगवान कृष्ण को ये जिम्मेदारी दी गयी कि वो तय करें कि महाभारत का यह युद्ध कहाँ हो।
भगवान कृष्ण को इस बात का भान था कि ऐसा मुमकिन है कि जब महाभारत के युद्ध में पांडव और कौरव अपने भाइयों को मरते देखें तो उनका हृदय पसीज जाए और वे आपस में कोई संधि कर लें। ऐसे में भगवान कृष्ण इस धर्म युद्ध के लिए एक ऐसी जगह की तलाश में थे जहां का इतिहास बहुत ही भयावह और क्रूर हो ताकि उस जगह की क्रूरता का प्रभाव दोनों ही पक्षों के लोगों पर पड़े।
भगवान कृष्ण ने ऐसी जगह की तलाश में अपने दूतों को हर दिशा में भेजा। दूत जाते और किसी अमुक स्थान की सबसे क्रूरतम घटना की जानकारी ले कर भगवान कृष्ण को देते और फिर भगवान कृष्ण उस घटना के हर पहलू पर विचार करते। इसी क्रम में एक दूत ने उन्हें ऐसी खबर दी जिसे सुन कर उन्होंने तय कर लिया कि महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही होगा।
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दरअसल उस दूत ने भगवान कृष्ण को बताया कि वह अभी एक ऐसी जगह से आ रहा है जहां एक बड़े भाई ने अपने छोटे भाई की हत्या कर दी। घटना के अनुसार इलाके में ज्यादा बारिश होने पर बड़े भाई ने छोटे भाई से खेत की मेड़ बनाने को कहा लेकिन छोटे भाई ने उसकी बात नहीं मानी। नतीजन बड़े भाई को गुस्सा आ गया और उसने छोटे भाई की हत्या कर उसकी लाश से ही खेत की मेड़ बना दी। दूत के अनुसार यह जगह कुरुक्षेत्र थी जिसके बाद भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र को इस युद्ध के लिए तय कर लिया।
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