रत्न ज्योतिष : ये 7 रत्न जो बदल देंगे आपकी दुनिया

रत्न ज्योतिष में विभिन्न रत्नों के महत्व को बताया गया है। प्रत्येक राशि रत्न किसी न किसी ग्रह से संबंध रखता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह कमज़ोर है और आपको उसके अच्छे परिणाम नहीं मिल रहे हैं तो आपको उस ग्रह से संबंधित रत्न पहनना चाहिए। इससे आपकी परेशानियाँ दूर हो जाएंगी। वास्तव में राशि अथवा ग्रह के अनुसार रत्न धारण करना एक अचूक ज्योतिषीय उपाय है। परंतु रत्न धारण करने से पूर्व किसी अच्छे ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। वरना इसके विपरीत परिणाम भी देखने को मिलते हैं। यहाँ 7 रत्नों के बारे में बताया गया है जो कि इस प्रकार हैं :-

  1. माणिक्य/रूबी

स्वामी ग्रह : सूर्य

राशि : सिंह

लाभ : रत्न ज्योतिष में माणिक्य रत्न को धारण करने के कई लाभ बताए गए हैं। माणिक्य धारण करने वाले व्यक्ति को प्रोफ़ेशन क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। इसके प्रभाव से जातक समाज में अग्रणी भूमिका निभाता है और उसे ख्याति प्राप्त होती है। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार किसी जातक की कुंडली में यदि सूर्य उच्च स्थिति में हो और वह जातक माणिक्य धारण कर ले तो उसे सरकारी अथवा निजी क्षेत्र में उच्च पद की प्राप्ति होती है। स्वास्थ्य के नज़रिए से भी माणिक्य के अनेक फ़ायदे हैं। इससे जातक के नेत्र संबंधी विकार एवं शारीरिक कमज़ोरी दूर होती है।

धारण विधि : रत्न ज्योतिष के अनुसार माणिक्य को सोने की अंगूठी में जड़वाकर रविवार, सोमवार या गुरुवार के दिन पहनना चाहिए। पहनने से पूर्व माणिक्य को गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए। ध्यान रखें, यह आपकी त्वचा से अवश्य स्पर्श होना चाहिए। कम से कम माणिक्य रत्न 2 कैरेट का होना चाहिए। संभव हो तो आप 5 रत्ती का रूबी धारण करें।

2. मोती

स्वामी ग्रह : चंद्रमा

राशि : कर्क

लाभ : रत्न ज्योतिष के मुताबिक मोती को धारण करने वाले जातकों का वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। मोती पहनने से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और एकाग्रता बनी रहती है। यह शरीर के कई रोगों को भी दूर करने में सहायक होता है। ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि मोती धारण करने वाले व्यक्ति को मूत्राशय एवं रक्त संबंधी रोग नहीं होते हैं। हालांकि मोती बिना ज्योतिषीय परामर्श के नहीं पहनना चाहिए।

धारण विधि : ज्योतिष में मोती धारण करने की विधि होती है और इसी के अनुसार हमें इस रत्न को पहनना चाहिए। मोती को चांदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए। इसे शुक्ल पक्ष में सोमवार के दिन धारण करना चाहिए। आप ज्योतिषाचार्य के अनुसार 3 कैरेट का मोती अथवा 5 रत्ती का मोती धारण कर सकते हैं।

3. मूंगा

स्वामी ग्रह : मंगल

राशि : मेष व वृश्चिक

लाभ : मूंगा धारण करने वाले व्यक्ति का साहस कभी कमज़ोर नहीं होता है। इसके प्रभाव वह ऊर्जावान रहता है और उस व्यक्ति का अपने लक्ष्य के प्रति जुनून ठंडा नहीं पड़ता है। इसलिए वह अपने कार्यों में सफल होता है। ज्योतिष के अनुसार जो व्यक्ति मूंगा धारण करता है उस पर मंगल ग्रह की अनुकंपा बनी रहती है। कोरल (मूंगा) से व्यक्ति को त्वचा, रक्त संबंधी रोग नहीं होते हैं। यह हमारे शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखता है।

धारण विधि : मूंगा को पूर्ण विधि के अनुसार धारण करना चाहिए। इसे सोने की अंगूठी में धारण करना शुभ होता है। मूंगा को किसी भी शुक्ल पक्ष को मंगलवार के दिन धारण किया जाता है। मूंगा जड़ित अंगूठी को अनामिका उंगली में पहनना चाहिए। ज्योतिष परामर्श के अनुसार आप 3 कैरेट का मूंगा या फिर 5 रत्ती का मूंगा धारण कर सकते हैं।

4. पन्ना

स्वामी ग्रह : बुध

राशि : मिथुन व कन्या

लाभ : पन्ना धारण करने से भाग्य में वृद्धि होती है। व्यक्ति का समाज में प्रभाव बढ़ता है। वहीं पन्ना धारण करने वाला व्यक्ति व्यापार में भी तरक्की करता है। बौद्धिक क्षेत्र में भी उसके ज्ञान का लोहा माना जाता है। यदि कोई गर्भवती महिला पन्ना धारण करती है तो उसकी डिलीवरी सुरक्षित होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार असली पन्ना बुध ग्रह से संबंधित शुभ फलों को पाने में कारगर भूमिका निभाता है। यदि आपका बुध ग्रह कमज़ोर है तो आप इस रत्न को धारण कर सकते हैं।

धारण विधि : रत्न में पन्ना धारण करने की विधि बतायी गई है और उसी के अनुसार हमें इसे पहनना चाहिए। पन्ना को स्वर्ण या चांदी की अंगूठी में जड़वाकर पहनना चाहिए। आप इस रत्न को गंगा जल से शुद्ध करके किसी भी शुक्ल पक्ष में बुधवार के दिन सूर्योदय के पश्चात धारण कर सकते हैं। ज्योतिषीय परामर्श के बाद आप 7 कैरेट का पन्ना, 5 कैरेट का पन्ना या फिर 2 कैरेट का पन्ना धारण कर सकते हैं।

5. पुखराज

स्वामी ग्रह : बृहस्पति

राशि : धनु व मीन

लाभ : यदि आपकी कुंडली में गुरु कमज़ोर हो तो आपको पुखराज रत्न धारण करना चाहिए। इससे आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। यह रत्न शिक्षा के क्षेत्र में अपार सफलता दिलाता है। यदि किसी जातक के वैवाहिक जीवन में कोई परेशानी आ रही है अथवा संतान संबंधी कोई समस्या है तो पुखराज धारण करने से इस तरह की समस्याएँ दूर होती हैं। इस रत्न के प्रभाव से जातक को स्वास्थ्य एवं आर्थिक क्षेत्र में प्रबल लाभ मिलता है।

धारण विधि : पुखराज को सोने एवं चांदी की अंगूठी में जड्वाकर पहनना चाहिए। इसे शुक्ल पक्ष में गुरुवार को सूर्योदय के बाद पहनना चाहिए। पुखराज को ज्योतिषीय परामर्श के बाद पूर्ण विधि-विधान से धारण करना चाहिए। इसमें आप 2 कैरेट का पुखराज, 3 कैरेट का पुखराज, 5 कैरेट का पुखराज या फिर 7 कैरेट का पुखराज धारण कर सकते हैं।

6. व्हाइट टोपाज

स्वामी ग्रह : शुक्र

राशि : वृषभ व तुला

लाभ : रत्न ज्योतिष में व्हाइट टोपाज़ को भौतिक सुख-सुविधा, कला और प्रेम प्रदान करने वाला रत्न कहा जाता है। इसके प्रभाव से भौतिक संपन्नता, कलात्मक कार्यों में सफलता और विवाह व प्रेम संबंधों में मधुरता आती है। यदि आप फैशन इंडस्ट्री, कला, गायन और अन्य क्रिएटिव इंडस्ट्री से जुड़े है तो यह रत्न आपके लिए बेहद लाभकारी है। व्हाइट टोपाज़ सेहत के लिहाज से भी फ़ायदेमंद होता है। चिकित्सा की दृष्टि से यह यूरिनरी सिस्टम और प्रजनन क्षमता के लिए भी अच्छा माना जाता है।

धारण विधि : व्हाइट टोपाज़ रत्न को चाँदी की अंगूठी में धारण करना चाहिए। इसके अलावा इसे सोने या पंचधातु की अंगूठी में भी पहना जा सकता है। व्हाइट टोपाज़ को शुक्ल पक्ष में आने वाले शुक्रवार के दिन सुबह के समय पहनना चाहिए। हालांकि इससे पूर्व आप किसी ज्योतिषी की सलाह अवश्य लें। इसमें आप 5 कैरेट टोपाज अथवा 7 कैरेट टोपाज रत्न धारण कर सकते हैं। इसके अलावा भी अमेरिकन डायमंड भी इसका अच्छा विकल्प है।7

7. नीलम

स्वामी ग्रह : शनि

राशि : मकर व कुंभ

लाभ : शनि की साढ़े साती और शनि ढैय्या में नीलम बड़ा ही असरदार और अचूक उपाय है। यदि किसी जातक की कुंडली में शनि उच्च हो और वह नीलम धारण कर ले तो उसके सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। नीलम के प्रभाव से जातक के जीवन से दरिद्रता दूर होती है और स्वास्थ्य जीवन पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे व्यक्ति दीर्घायु प्राप्त करता है और उसके भाग्य में भी वृद्धि होती है।

धारण विधि :  नीलम रत्न को धारण करने के लिए किसी विद्वान ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लेना चाहिए। इस रत्न का चाँदी की अंगूठी में जड़वाकर शनिवार को सूर्यास्त के बाद मध्यमा अंगुली में पहनना चाहिए। रत्न धारण करने से पूर्व शनि ग्रह से संबंधित मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। आप अपनी अनुकूलता के हिसाब से 2 कैरेट नीलम, 3 रत्ती नीलम, 5 कैरेट का नीलम या फिर 7 रत्ती का नीलम धारण कर सकते हैं।

आशा है कि रत्न विज्ञान से जुड़ा यह लेख आपको पसंद आया होगा। यदि आप रत्न से संबंधित अतिरिक्त जानकारी चाहते हैं तो आप हमारी ज्योतिषीय परामर्श सेवा के माध्यम से हमसे संपर्क कर सकते हैं।

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