रमा एकादशी के दिन इस विधि-विधान से करें पूजा

रमा एकादशी आज, हिन्दू धर्म में इस एकादशी का बड़ा महत्व है। रमा एकादशी के दिन व्रत रखने वाले को माता लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यहाँ रमा का अर्थ माँ लक्ष्मी जी से है। आज हम आपको इस ख़बर के माध्यम से रमा एकादशी की संपूर्ण पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। लेकिन इससे पहले हम इस एकादशी के महत्व के बारे में जान लेते हैं। 

रमा एकादशी व्रत से मिलता है पुण्य, जीवन में आती है समृद्धि

पद्म पुराण में उल्लेखित वर्णन के अनुसार रमा एकादशी व्रत कामधेनु और चिंतामणि के समान फल देता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी पाप कर्मों का नाश होता है और उसे पुण्य  प्राप्ति होती है। इस व्रत के प्रभाव से धन-धान्य की कमी दूर होती है। इस एकादशी पर रमा (माँ लक्ष्मी) एवं भगवान विष्णु जी के पूर्णावतार केशव की पूजा करने का विधान है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह एकादशी चतुर्मास की अंतिम एकादशी है। 

रमा एकादशी की संपूर्ण व्रत-पूजा विधि

शास्त्रों में एकादशी व्रत से जुड़े नियम हैं। क्योंकि नियम विधि से की गई पूजा या व्रत का वास्तविक फल तभी मिलता है। इस प्रकार एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी के दिन से ही शुरू हो जाते हैं। अत: दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। एकादशी पर होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं:

  • रमा एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। 
  • इसके पश्चात् विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
  • पूजन में भगवान विष्णु को धूप, तुलसी के पत्तों, दीप, नैवेद्य, फूल और फल आदि अर्पित करें।
  • रात्रि के समय भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन या जागरण करें।
  • रात्रि में रमा एकादशी की व्रत कथा ज़रुर सुनें या पढ़ें।
  • एकादशी के अगले दिन द्वादशी पर पूजन करें।
  • तत्पश्चात् जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन और दान-दक्षिणा दें।
  • अंत में स्वयं भोजन करके व्रत खोलें।

ये भी पढें : रमा एकादशी व्रत कथा, जिसे सुनने मात्र से मिटते हैं सारे पाप

रमा एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम

  1. रमा एकादशी के दिन वृक्ष से पत्ते न तोड़ें।
  2. घर में झाड़ू न लगाएं। घर में झाड़ू लगाने से चीटियों या छोटे-छोटे जीवों के मरने का डर होता है। और इस दिन जीव हत्या करना पाप होता है।
  3. इस एकादशी के दिन बाल न कटवाएं।
  4. रमा एकादशी के दिन कम से कम बोलने की कोशिश करें। ऐसा इसीलिए किया जाता है। ज्यादा बोलने से मुँह से गलत शब्द निकलने की संभावना रहती है।
  5. एकादशी के दिन चावल का सेवन भी वर्जित होता है।
  6. किसी का दिया हुआ अन्न आदि न खाएं।
  7. मन में किसी प्रकार का विकार न आने दें।
  8. यदि कोई फलाहारी है तो वे गोभी, पालक, शलजम आदि का सेवन न करें। वे आम, केला, अंगूर, पिस्ता और बादाम आदि का सेवन कर सकते है।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.