रक्षा पंचमी कल: जानें महत्व और पूजा विधि !

कल यानी मंगलवार, 20 अगस्त 2019 को मनाया जाएगा रक्षा पंचमी पर्व, जिसे कई राज्यों में रेखा पंचमी या शांति पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को मनाने के पीछे की वजह ये है कि यदि आप किसी कारण वश रक्षाबंधन के मौके पर अपनी बहन से राखी नहीं बंधवा पाए थे या बहन किसी वजह से अपने भाई को इस मौके पर राखी नहीं बांध सकीं थीं तो वो कार्य अब रक्षा पंचमी के दिन किया जा सकता है।

कब मनाई जाती है रक्षा पंचमी

शास्त्रों की मानें तो रक्षा पंचमी का पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाए जाने का विधान है। पौराणिक काल में इस त्यौहार की अपनी एक विशेषता थी जिसे हर पुरुष और महिलाएँ विशेष तौर से मनाते थे। ये दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है इसलिए इस दिन उनकी पूजा करने का विशेष विधान है। माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से व्यक्ति के वंश की भगवान स्वयं रक्षा करते है। शास्त्रों में भी रक्षा पंचमी पर वक्रतुण्ड रुपी हरिद्रा गणेश जी का पूजन दूर्वा और सरसों से करने का महत्व बताया गया है।

भैरवनाथ की पूजा करने का है विशेष विधान

मान्यता अनुसार रक्षाबंधन के पाँच दिन बाद आने वाले रक्षा पंचमी के पर्व पर भगवान गणेश के साथ-साथ भगवान शंकर के पंचम रुद्रावतार भैरवनाथ की पूजा करने से भी व्यक्ति को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है। विशेष तौर से नाथ संप्रदाय के लोग इस दिन भैरवनाथ के सर्पनाथ स्वरुप के विग्रह का विधिवत तरीके से पूजन करते हैं।

रक्षा पंचमी का पूजा-विधान

पौराणिक मान्यताओं अनुसार इस दिन घर की दक्षिण पश्चिमी दिशा में कोयले अथवा काले बुरादे का इस्तेमाल कर काले रंगों से सर्पों का चित्र बनाया जाता है, जिसके बाद उनकी विधिवत रूप से पूजा की जाती है। क्योंकि माना जाता है कि सर्प पूजन करने से सर्पदेवता प्रसन्न होते हैं जिससे हमारे वंशजों को कोई भी डर नहीं सताता है। इसके अलावा इस दिन घर के पीछे भगवान शंकर के वाहन नंदी का चित्र बनाया जाता है और उनका भी पूजन किया जाता है तथा गंध आदि से देवी इन्द्राणी का भी पूजन होता है।

रक्षा सूत्र का शास्रों अनुसार महत्व

रक्षाबंधन को लेकर भगवान श्री कृष्ण ने भागवत में भी इस बात का उल्लेख करते हुए कहा है कि- ‘मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव।’ अर्थात ‘सूत्र’ अविच्छिन्नता का प्रतीक है क्योंकि सूत्र (रेशम का धागा) जीवन में बिखरे हुए मोतियों को अपने में पिरोकर एक पवित्र माला के रूप में एकाकार बनाता है और उस माला के सूत्र की तरह ही रक्षासूत्र भी लोगों को एक दूसरे से जोड़ता है।

इस बात का उल्लेख गीता में भी आपको मिल जाएगा। जिसमें लिखा गया है कि जब इस संसार के नैतिक मूल्यों में किसी प्रकार की कमी आने लगती है, तब ज्योतिर्लिंगम शिव प्रजापति ब्रह्मा द्वारा पृथ्वी पर ये पवित्र धागे भेजते हैं, जिन्हें मंगलकामना करते हुए लोग एक दूसरे को राखी के रूप में

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