भारत में ना ही मंदिरों की कमी है और ना ही उनमें होने वाले चमत्कारों की कोई कमी है। आज ऐसे ही एक और मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जहाँ एक ऐसा घड़ा है जिसमें आप चाहे जितना भी पानी क्यों ना भर दें लेकिन वो घड़ा कभी भी नहीं भरता है। यह चमत्कारी घड़ा राजस्थान के पाली जिले में मौजूद एक मंदिर में स्थित है। माता शीतला के इस प्राचीन मंदिर में होने वाले चमत्कार को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पर पहुंचते हैं।
क्या है इस मंदिर की मान्यता
शीतला माता के इस मंदिर में मौजूद इस चमत्कारी घड़े के बारे में लोगों के बीच यह मान्यता है कि यह घड़ा पिछले 800 सालों से अभी तक पानी से नहीं भरा जा सका है। यह बात चमत्कारी इसलिए भी मानी जाती है क्योंकि इस मंदिर में मौजूद इस घड़े की चौड़ाई महज आधा फुट है और ये घड़ा लगभग इतना ही गहरा भी है। लेकिन फिर भी इसे आजतक पूरा भरा हुआ किसी ने नहीं देखा है।
इस मंदिर से जुड़ी है यह कथा
जानकार लोग बताते हैं कि आज से तकरीबन 800 साल पहले इस जगह पर बाबरा नामक का एक राक्षस हुआ करता था। इस राक्षस से आसपास के तमाम गांव वाले काफी डरे हुए रहते थे, क्योंकि जब कभी भी इस राक्षस को ये पता चलता था कि इस गाँव में किसी के भी ब्राह्मण घर में शादी है तो वो यहाँ आता था और दूल्हे को मार डालता था।
जब इस राक्षस का आतंक काफी बढ़ गया तब राक्षस से मुक्ति पानी के लिए यहां के ग्रामीणों ने मां शीतला की पूजा-आराधना की। ग्रामीणों की प्रार्थना से प्रसन्न होकर माता शीतला ने एक ब्राह्मण के स्वप्न में आकर कहा कि, “तुम जब भी अपनी बेटी का विवाह करवाओगे तब मैं यहाँ आकर उस राक्षस का संहार कर दूंगी.” माता की बात सुनकर ब्राह्मण ने अपनी बेटी का विवाह तय करवा दिया। अपने कहेनुसार माता रानी भी इस मंदिर में एक छोटी-सी कन्या के रूप में मौजूद थीं और जब राक्षस दूल्हे को मारने के लिए आया तब माता रानी ने उस राक्षस को अपने घुटनों से दबोचकर मार दिया।
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माता रानी ने राक्षस को दिया था वरदान
जिस वक़्त माता रानी राक्षस का संहार कर रही थी उस समय अपने अंत से ठीक पहले राक्षस ने मां शीतला से वरदान मांगा कि गर्मी में उसे प्यास बहुत ज्यादा लगती है, इसलिए केवल साल में दो बार माता के भक्तों के हाथों से उसे पानी पिलाया जाए। माता रानी ने राक्षस को उसका वरदान पूरा होने का आश्वासन दिया और उसका वध कर दिया।
मान्यता है कि देवी ने राक्षस के अंत समय में उसे जो वरदान दिया था उसी के चलते इस घड़े में साल में दो बार पानी भरने की परंपरा चली आ रही है। इस घड़े का पत्थर साल में दो बार यानी की शीतला सप्तमी और दूसरा ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन हटाया जाता है। इस मौके पर यहां आसपास की महिलाएं घड़ों में पानी भरकर लाती हैं और घड़े में डालती हैं लेकिन ये एक अजूबा ही है कि घड़ा फिर भी कभी नहीं भरता है।
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इस मंदिर में होते हैं एक और चमत्कार
चलिए ये तो हो गया मंदिर में होने वाला एक चमत्कार, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर में एक और चमत्कार होता है जिसपर भी यहाँ के भक्तों की बड़ी आस्था है। बताया जाता है कि इस मंदिर के पुजारी जब माता के चरणों में दूध लगाकर भोग चढ़ाते हैं तो यह घड़ा आश्चर्यजनक तरीके से पूरा भर जाता है। इस मंदिर में मौजूद चमत्कारी घड़े का रहस्य जानने के लिए कई वैज्ञानिक इस पर शोध भी कर चुके हैं, लेकिन अब तक उन्हें घड़ा नहीं भरने की असल वजह का पता नहीं चल पाया है।