सिख समुदाय के लोगों के लिये गुरु नानक जयंती, जिसे प्रकाश पर्व भी कहा जाता है बहुत महत्वपूर्ण होता है। साल 2019 में गुरु नानक जयंती 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इस पर्व के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि, सब लोग गुरु नानक देव की शिक्षाओं को अपनाएं और उनके रास्ते पर चलें। हालांकि गुरु नानक जयंती सिखों का त्योहार है लेकिन हिंदु धर्म को मानने वाले लोग भी इस पर्व को मानते हैं। गुरु नानक देव ने अपने जीवन काल में यही संदेश लोगों को दिया कि भगवान से जुड़ने के लिये जाति प्रथा या किसी सामाजिक श्रेणी से जुड़ा होना जरुरी नहीं है। नानक देव मानते थे कि भगवान सब के लिये एक ही है और इस संदेश को उन्होंने जन-जन में फैलाया।
गुरु नानक देव का जीवन सिद्धांत
जिस दौर में गुरु नानक देव का जन्म हुआ उस समय भारत में जाति प्रथा का बोलबाला था। भारतीय समाज कई जातियों में बंटा था और अमीरों द्वारा गरीबों पर अत्याचार भी किये जाते थे। जाति प्रथा इतनी प्रबल थी कि कुछ जातियों को हर कार्य में वरीयता दी जाती थी जबकि कुछ को हर काम में दरकिनार कर दिया जाता था। गुरु नानक देव जी को यह प्रथा गलत लगी और इसलिये समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिये उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके विचारों से प्रभावित होकर कई लोग उनसे जड़े। खासकर भारत में जिन लोगों को नीची जात का कहा जाता था उन्होंने अपने उद्धार के लिये गुरु नानक देव का हाथ थामा।
जानें क्या है सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे ज्योतिषीय तथ्य और विश्वास !
गुरु नानक ने अपने अनुयायियों को शिक्षा दी कि तीर्थस्थलों में जाकर या उपवास रखने से भगवान को नहीं पाया जा सकता। उन्होंने कहा कि जीवन को सरल बनाकर, सदगुणों को अपने अंदर लाकर और सच्चे मन से प्रार्थना करके ही भगवान से जुड़ा जा सकता है। गुरु नानक देव ने समानता का रास्ता अपनाने को कहा। वह मानते थे कि इंसान को वस्तुओं का आदान प्रदान करना चाहिये क्योंकि इससे ही सच्ची खुशी मिलती है। गरीबों की मदद करने पर भी गुरु नानक देव ने हमेशा जोर दिया।
गुरु नानक जी ने जाति प्रथा के खिलाफ मुहिम चलाकर खुद को मुगल शासकों का शत्रु बना लिया था। मुगल शासक बाबर ने नानक देव जी को बंदी भी बनाया था। हालांकि उनकी शिक्षा को मानने वाले लोगों ने हमेशा उनका साथ ही दिया। आगे चलकर गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की स्थापना की।
क्या होता है गुरु नानक जयंती उत्सव में
गुरु नानक जयंती के शुरु होने से पहले अखंड पाठ किया जाता है। इस पाठ में गुरु ग्रंथ साहिब की कुछ महत्वपूर्ण कविताओं का पाठ होता है। यह पाठ लगभग 48 घंटे चलता है। इसके साथ ही प्रकाश उत्सव से एक दिन पहले नगर कीर्तन भी होता है। नगर कीर्तन में एक जुलूस निकलता है जिसमें पांच लोग एक सिख झंडे के साथ होते हैं। इसके बाद गुरु नानक जयंती के दिन लोग लंगर में मुफ्त भोजन खाते हैं और उसके बाद संध्या प्रार्थना के लिये जाते हैं।
ये हैं देश के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर, जहाँ पूजा करने से होती हैं सारी मुरादें पूरी !