इस दिन किया जाएगा चैत्र मास का अंतिम प्रदोष व्रत, नोट कर लें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

24 अप्रैल शनिवार के दिन चैत्र मास का आखिरी प्रदोष व्रत किया जाएगा। भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित यह व्रत बेहद ही शुभ और फलदाई माना जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि चैत्र मास के इस आखिरी प्रदोष व्रत में शुभ योगों का संयोग बन रहा है। इस आर्टिकल में जानते हैं कौन से हैं यह शुभ योग और क्या है प्रदोष व्रत की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त आइए जानते हैं।

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प्रदोष व्रत 2021 मुहूर्त 

चैत्र, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ: 24 अप्रैल शाम 07 बजकर 17 मिनट से. 

त्रयोदशी का समापन: 25 अप्रैल दोपहर 04 बजकर 12 मिनट पर. 

प्रदोष काल 24 अप्रैल शाम 07 बजकर 17 मिनट से रात्रि 09 बजकर 03 मिनट तक

प्रदोष व्रत में बन रहे हैं विशेष योग 

हिंदू पंचांग के अनुसार 24 अप्रैल शनिवार के दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है और त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दौरान कई शुभ योगों का निर्माण भी हो रहा है जिसके चलते प्रदोष व्रत का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि इस प्रदोष व्रत में ध्रुव योग बन रहा है। यह ध्रुव योग सुबह 11 बजकर 43 मिनट तक रहने वाला है।

क्या होता है ध्रुव योग? ज्योतिष के अनुसार ध्रुव योग को एक बेहद ही शुभ योग माना जाता है। इस योग में किया गया कोई भी काम बेहद ही शुभ साबित होता है।

क्या है प्रदोष व्रत का महत्व और पूजन विधि 

प्रदोष व्रत जब शनिवार के दिन पड़ता है तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं। ऐसे में यह दिन भगवान शिव, मां पार्वती को प्रसन्न करने के साथ-साथ भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए भी बेहद ही उपयोगी माना गया है। ऐसे में जिन लोगों के जीवन में शनि की साढ़ेसाती, शनि की महादशा, शनि की ढैया चल रही हो उन्हें शनि प्रदोष व्रत विशेष तौर पर करने की सलाह दी जाती है। इस दिन का व्रत करने से शनि के दुष्प्रभाव को दूर और शांत किया जा सकता है। साथ ही भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

पूजन विधि की बात करें तो, 

  • इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूजा प्रारंभ करें। 
  • मुमकिन हो तो व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें। 
  • इस दिन भगवान शिव का अभिषेक करना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही इस दिन की पूजा में भगवान शिव की प्रिय चीजों को अवश्य शामिल करें। 
  • साथ ही इस दिन की पूजा में शिव मंत्र और शिव आरती करें। 
  • पूजा समाप्त होने के बाद सभी में प्रसाद अवश्य वितरित करें। 

अधिक जानकारी: प्रदोष व्रत के दिन की जाने वाली पूजा प्रदोष काल में की जाए तो ज्यादा फलदाई और शुभ रहती है।

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