सनातन धर्म में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में कुछ व्रतों का वर्णन किया गया है। लेकिन इन व्रतों में प्रदोष व्रत का जिक्र कई बार मिलता है। शास्त्रों में भोलेनाथ की पूजा करने के लिए सबसे उत्तम व पवित्र समय प्रदोष काल बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव की विधिवत उपासना करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह दिन भगवान भोलेनाथ के लिए ख़ास बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिवजी कैलाश पर्वत में डमरू बजाते हुए प्रसन्नचित होकर ब्रह्मांड को खुश करने के लिए नृत्य करते हैं और इस दौरान सभी देवी-देवता भगवान शिव की स्तुति करने के लिए कैलाश पर्वत पर आते हैं।
बता दें कि हर माह में 2 प्रदोष व्रत पड़ते हैं एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में। जनवरी 2023 का दूसरा प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ रहा है इसलिए इस व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जा रहा है। तो आइए एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत का मुहूर्त, तिथि, उपाय व इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी।
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गुरु प्रदोष व्रत 2023: मुहूर्त व तिथि
प्रदोष व्रत हर माह की त्रयोदशी के दिन पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 19 जनवरी 2023 को पड़ रही है। इस दिन भगवान शंकर की आराधना से सुख, समृद्धि, भोग और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत का पालन शाम की पूजा करने के बाद तक किया जाता है।
कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि आरंभ: 19 जनवरी, 2023 को गुरुवार के दिन दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से
कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त: 20 जनवरी, 2023 को शुक्रवार के दिन सुबह 10 बजकर 02 मिनट तक।
गुरु प्रदोष काल पूजा समय: 19 जनवरी, 2023 को शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 30 मिनट तक।
प्रदोष व्रत 2023 का महत्व
गुरु प्रदोष व्रत के बारे में शिव पुराण और अन्य हिंदू धर्म ग्रंथो में विस्तार से वर्णन किया गया है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजा करने पर अपार धन मिलता है। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियां भी दूर होती है और घरों में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। यह व्रत रोग, कष्ट से मुक्ति पाने के लिए बहुत लाभकारी माना गया है। यही नहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन शिव जी के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली से कालसर्प दोष व मांगलिक दोष दूर हो जाता है।
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गुरु प्रदोष व्रत 2023 पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद शाम के समय पूजन से पहले भी स्नान करें।
- शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में ही करना शुभ माना जाता है।
- इसके बाद शिवजी को शुद्ध जल से फिर पंचामृत से स्नान कराएं व शुभ मुहूर्त में भगवान शिव का षोडशोपचार पूजन करें।
- अगर आप प्रदोष व्रत रख रहे हैं तो प्रदोष व्रत की कथा का पाठ जरूर करें और उसके बाद भगवान शिव की आरती करें।
- अंत में पूजा का प्रसाद भक्तों के बीच जरूर बांटे और फिर खुद ग्रहण करें।
गुरु प्रदोष के दिन करें ये उपाय
शिवलिंग पर चढ़ाएं गुलाब का रस
वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए गुरु प्रदोष के दिन शाम के समय गुलाब की फूल की पत्तियों का रस शिवलिंग पर चढ़ाएं। साथ ही, इस रस को माता पार्वती के चरणों में भी अर्पित करें। थोड़ा रस पति-पत्नी अपनी आंखों पर लगाए। मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में चल रही सभी समस्या दूर हो जाती है।
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पति-पत्नी चढ़ाएं 11 गुलाब
अगर पति-पत्नी में रोज़ाना लड़ाई-झगड़े हो रहे हैं तो इस दिन 11 गुलाब में चंदन का इत्र लगाएं। इसके बाद शाम के समय पति-पत्नी मिलकर इन गुलाबों को एक-एक करके शिवलिंग पर अर्पित करें। इस दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से दांपत्य जीवन में प्यार बढ़ता है।
भगवान शिव व मां पार्वती को अर्पित करें वस्त्र
शिव परिवार का पूजन प्रदोष काल में करना चाहिए और पूजन में भगवान शिव को सफेद रंग के और माता पार्वती को लाल रंग के वस्त्र चढ़ाने चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
गुड़ व तिल के जल से करें अभिषेक
गुरु प्रदोष के दिन पूजन में शिवलिंग पर गुड़ के जल से या काले तिल मिले जल से भगवान शिव का अभिषेक करें। ऐसा करने से आपके समस्त दुख और रोग दूर होंगे।
चावल से करें ये उपाय
इस दिन एक कटोरे चावल के दो भाग कर लें। एक भाग चावल भगवान शिव को चढ़ाएं और दूसरा भाग जरूरतमंदों को दान कर दें। पूजा के बाद भगवान शिव को चढ़ाए गए चावल को एक सफेद कपड़े में लपेट कर अपनी तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से आपको कभी भी धन की कमी नहीं होगी और मां लक्ष्मी हमेशा आपसे प्रसन्न रहेंगी।
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बच्चों से करवाएं मिठाई का दान
अगर आपकी संतान के जीवन में कोई संकट या काम में कोई बाधा आ रही हैं तो इस दिन अपने बच्चों से मिठाई का दान करवाएं। ऐसा करने से उनके मार्ग से हर बाधा दूर हो जाएगी।
गुरु प्रदोष व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार वृत्रासुर की सेना ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया जिसके बाद देव और असुरों में घनघोर युद्ध छिड़ गया और इस युद्ध में असुर सेना हार गई। जब इसकी सूचना वृत्रासुर को हुई, तो वह क्रोधित हो गया और उसने खुद युद्ध करने का फैसला लिया। वृत्रासुर ने अपनी माया से विकराल रूप धारण कर लिया। उसे देखकर सभी देवता भय से कांप उठे और भागकर देव गुरु बृहस्पति के पास गए। तब देव गुरु बृहस्पति ने वृत्रासुर के बारे में देवताओं को बताया कि वृत्रासुर ने गंधमादन पर्वत पर वर्षों तक कठोर तप किया था जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव उससे काफी प्रसन्न हुए थे। उससे पहले वह राजा चित्ररथ था जिसने एक बार कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव संग बैठी माता पार्वती का उपहास उड़ाया था।
तब माता पार्वती ने क्रोधित होकर श्राप दिया, कि वह राक्षस बनकर अपने विमान से नीचे धरती पर गिर पड़ेगा। इस श्राप के कारण ही राजा चित्ररथ राक्षस बन गया। देव गुरु बृहस्पति ने देवराज इंद्र से कहा कि वृत्रासुर अपने बाल्यकाल से ही भगवान शिव का परम भक्त रहा है। ऐसे में देव गुरु बृहस्पति ने देवताओं को गुरु प्रदोष व्रत करके भगवान शिव को प्रसन्न करने की सलाह दी। देव गुरु द्वारा बताए गए व्रत को सभी देवताओं ने विधि-विधान से किया जिसके बाद भगवान शिव के आशीर्वाद से देवराज इंद्र ने वृत्रासुर को युद्ध में हरा दिया जिसके बाद देवलोक में शांति स्थापित हुई।
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