हिन्दू धर्म में खासतौर से सोलह दिनों के श्राद्धपक्ष के दौरान पितरों के आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण की क्रिया करवाई जाती है। भादो माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होकर आश्विन माह में कृष्ण पक्ष के पंद्रह दिनों के अंतराल को पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है। आपने देखा होगा की पितृपक्ष के दौरान विशेष रूप से कौवों को पितरों का रूप माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है। आज हम आपको खासतौर से पितृपक्ष के दौरान कौवों को पितर का रूप मानने के माने जाने के पीछे के गूढ़ रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जान लेते हैं कि, आखिर पितृपक्ष में कौवों को क्यों माना जाता है पितर का रूप।
कौवों को पितर का रूप माने जाने का महत्व
बता दें की भादो माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू होने वाले श्राद्धपक्ष के दौरान कौवों को विशेष रूप से हर घर की छत पर बैठा देखा जा सकता है। पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा अर्चना के बाद छत पर कौवों के लिए भोजन रखा जाता है। इस दौरान कौवों को पितर का रूप माना जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्राद्धपक्ष के दौरान छत पर कौवों के लिए भोजन और पानी रखना काफी पुण्यदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितर कौए के रूप में आकर पितृपक्ष का भोजन ग्रहण करते हैं और परिवार को अपना आशीर्वाद देते हैं।
कौवों को पितर का रूप माने जाने के पीछे ये रहस्य है
- पितृपक्ष के दौरान विशेष रूप से काले कौवों का घर की छत पर या घर के आस पास मंडराना पितरों का आगमन समझा जाता है।
- हमारे शास्त्रों में कौवों को लेकर ऐसा उल्लेख मिलता है की, ये एक ऐसा पक्षी है जिसने अमृत का स्वाद चखा है और जिसकी कभी मृत्यु नहीं होती है। ये पक्षी ना तो कभी वृद्ध होता है और ना ही कभी बीमार पड़ता है।
- कौवा कभी भी भोजन अकेला नहीं करता है, श्राद्ध का भोजन भी जब घर की छत पर रखा जाता है तो झुण्ड में ही कौएं उसे खाते हैं। यदि आपके भी छत इस दौरान कौवों का झुण्ड दिखे तो समझ लेना चाहिए की वो सभी आपके पितर हैं।
- माना जाता है भविष्य में घटित होने वाली सभी घटनाओं के बारे कौवों को पहले से ही मालूम हो जाता है।
- हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार कोई भी पितर कौएं की आत्मा में प्रवेश कर अपने परिवार से मिलने आ सकते हैं।
- मान्यता है कि पितृपक्ष में कौवों को भोजन कराने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
- हालाँकि इस दौरान इस बात का ध्यान रखना बेहद अहम माना जाता है कि कौवा केवल गाढ़े काले रंग का ही हो।
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