हिन्दू धर्म में पितृपक्ष को मुख्य रूप से बेहद खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। जैसा कि आप जानते हैं की बीते 13 सितंबर से श्राद्धपक्ष की शुरुआत हो चुकी है, बहरहाल इस दौरान मुख्य रूप से पितरों के लिए पिंडदान और तर्पण की क्रिया की जाती है। इसके साथ ही साथ पितरों को समर्पित करते हुए बाह्मणों को भोजन करवाने का भी विधान है। आज हम आपको विशेष रूप से श्राद्धपक्ष के दौरान ब्राह्मणों को करवाए जाने वाले भोजन के बारे में बताने जा रहे हैं। असल में श्राद्ध का खाना अन्य दिनों में बनाये जाने वाले भोजन की तरह नहीं होता है। श्राद्ध के भोजन को लेकर कुछ विशेष सावधानियां भी बरतनी होती हैं। आइये जानते हैं, पितृपक्ष के दौरान किस प्रकार का भोजन ब्राह्मणों को खिलाना चाहिए।
श्राद्ध का भोजन मुख्य रूप से पितरों को समर्पित माना जाता है
आपको बता दें कि, हिन्दू धर्म में विशेष रूप से श्राद्धपक्ष के सोलह दिनों के दौरान पितरों के लिए कुछ विशेष कर्मकांड किये जाते हैं जिसके फलस्वरूप उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही साथ पितरों को समर्पित करते हुए उनके पसंद के भोज्य पदार्थों को घर पर सात्विक तरीके से बनाकर ब्राह्मणों और अन्य व्यक्तियों को खिलाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्राद्धपक्ष के दौरान पितरों को केवल अपने सामर्थ्य के अनुसार श्रद्धा पूर्वक भोजन अर्पित करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को खिलाया जाने वाला भोजन मुख्य रूप से पितरों को तृप्ति प्रदान करती हैं, उनकी आत्माएं तृप्त होकर परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
श्राद्धपक्ष के दौरान ब्राह्मणों को निम्न प्रकार के भोजन ही करवाएं
- श्राद्ध के भोजन में मुख्य रूप से मटर, सरसों और जौ का प्रयोग आवश्यक माना जाता है।
- पितृपक्ष के दौरान बनाये जाने वाले भोजन में इस बात का ध्यान अवश्य रखें की पितरों की पसंद का भोजन जरूर बनाया गया हो।
- भोजन में शुद्ध गाय का दूध, शहद, गंगाजल और कुश का प्रयोग जरूर होना चाहिए।
- श्राद्ध के भोजन में काले तिलों का प्रयोग बेहद आवश्यक माना जाता है, ऐसी मान्यता है कि जितनी अधिक मात्रा में काले तिल का प्रयोग किया जाता है उतना ही ज्यादा अक्षय फल प्राप्त होता है।
- पितृपक्ष में ब्राह्मणों को भोजन करवाने के लिए मुख्य रूप से तांबा, चांदी, सोने और कांसा के बर्तनों का प्रयोग करें। इसके साथ ही साथ केले के पत्ते पर भोजन करवाना वर्जित माना जाता है। चांदी की थाली में ब्राह्मणों को भोजन करवाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- जिस दिन आप श्राद्ध क्रिया करने जा रहे हों उससे कुछ दिन पहले ही ब्राह्मणों को भोजन के लिए आमंत्रित कर दें।
- श्राद्ध के भोजन के लिए ब्राह्मणों को केवल दक्षिण दिशा में ही बिठा कर भोजन ग्रहण करवाएं।
श्राद्ध का भोजन करवाते वक़्त कुछ सावधानियां जरूर बरतें
श्राद्ध का भोजन पकाते वक़्त इस बात का ख़ास ख्याल रखें की आप उसमें काला सरसों, काला जीरा, काला नमक आदि का प्रयोग ना कर रहें हों। इसके साथ ही साथ चना, मसूर, उड़द के दालों का प्रयोग वर्जित माना जाता है। श्राद्ध के भोजन में मुख्य रूप से किसी प्रकार के फल या मेवे का प्रयोग भी नहीं किया जाता है। इसके अलावा खीड़ा और लौकी का प्रयोग भी वर्जित माना जाता है।
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