हमारे देश में कई अद्भुत मंदिर हैं, जहां सच्चे दिल से मांगी हर मुराद पूरी हो जाती है। किसी की सूनी गोद भर जाती है तो किसी को अपना मनचाहा जीवनसाथी मिल जाता है। किसी की मुश्किलों का हल हो जाता है, तो कोई बीमारी से ठीक हो जाता है। भगवान सच्चे दिल से मांगी हर मुराद को पूरा करते हैं और अपने भक्तों को कभी खाली हाथ नहीं जाने देते। कुछ ऐसा ही होता है माणा गांव के शिव मंदिर में, जहां मांगी हर मुराद पूरी होने के साथ भक्तों पर मां लक्ष्मी की ऐसी कृपा बरसती है कि उनके जीवन में कभी पैसों की कमी नहीं होती है।
कहां है माणा गांव
यह गांव उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। माणा गांव समुद्र तल से 10,000 फुट की ऊंचाई पर बसा है। यह गांव भारत और तिब्बत की सीमा से लगा हुआ है। जो भी भक्त बद्रीनाथ के दर्शन के लिए आते हैं, वो इस गांव में आने का मौका नहीं छोड़ते। माणा में सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम होता है, साथ ही यहां कुछ प्राचीन मंदिर और गुफाएं हैं, जो काफी प्रसिद्ध हैं।
भारत का आखिरी गांव कहे जाने वाले माणा गांव से जुड़ी एक पुरानी कथा है। यहां भगवान शिव का एक बहुत बड़ा भक्त रहता था, जिसका नाम था मणिक शाह। वैसे तो पेेशे से वह व्यापारी था लेकिन भगवान शिव के प्रति उसकी श्रद्धा अनन्य थी। वह हर पल मन ही मन में भगवान शिव का नाम जपता रहता था। उसकी भक्ति से भगवान शिव बहुत प्रसन्न थे। एक बार की बात है, मणिक शाह काम के सिलसिले में बाहर जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में उसे कुछ लुटेरों ने पकड़ लिया और सारे पैसे लेकर उसकी गर्दन काट दी। इसके बावजूद मणिक की भक्ति कम नहीं हुई वह गर्दन कटने के बाद भी भोलेनाथ का नाम जपता रहा। मणिक शाह की सच्ची भक्ति देखकर भोलेनाथ काफी खुश हुए। उन्होंने मणिक के सिर पर सुअर का सिर लगाकर उसे तुरंत जीवित कर दिया। साथ ही वरदान दिया कि जो भी इस गांव में आएगा उसके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। यही नहीं उसपर मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी।
मणिक शाह की भक्ति से खुश होकर भोलेनाथ ने माणा गांव में मणिक शाह को दर्शन भी दिये थे इसलिये माणा गांव में मणिभद्र के रूप में शिव भगवान को पूजा जाता है। यहां आने वाले पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने ज़रूर आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की झोली मां लक्ष्मी भर देती हैं। उनके जीवन से संकट खत्म हो जाते हैं। शिव मंदिर के अलावा यहां पर वो गुफा भी है, जहां महर्षि वेद व्यास ने भगवान गणेश को पूरी महाभारत सुनाई थी।
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साथ ही माणा गांव के बारे में कहा जाता है कि जब पांडव स्वर्ग की ओर जा रहे थे तो उन्होंने सरस्वती नदी से जाने के लिए रास्ता मांगा लेकिन उन्होंने मना कर दिया और कोई रास्ता नहीं दिया। जिसके बाद महाबली भीम ने दो बड़ी शिलाएं इस पर रख दी, जिससे पुल का निर्माण हो गया। आज भी यह पुल वहां मौजूद है।