जानें पारसी नव वर्ष का इतिहास और इस दिन से जुड़ी परंपरा

क्या आप जानते हैं कि पारसी समुदाय अपना अलग नववर्ष मनाता है? पारसी समुदाय के लोग इस नए साल के महोत्सव के दिन को नवरोज़ कहते हैं इसके अलावा इस दिन को पतेती और जमशेदी नवरोज के नाम से भी जाना जाता है पारसी समुदाय में जितना इस दिन का महत्व बताया गया है उतने ही हर्षोल्लास के साथ ये दिन मनाया भी जाता है नवरोज के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और घरों में स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं

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क्यों मनाया जाता है पारसी नववर्ष?

शहंशाही कैलेंडर के अनुसार पारसी नववर्ष 20 मार्च को जमशेदी नवरोज है। बताया जाता है कि यह दिन पारसी शहंशाह जमशेद की याद में मनाया जाता है। इस दिन के पीछे ऐसी मान्यता है कि इसी दिन बादशाह जमशेद ने ईरान की जनता को संभावित प्राकृतिक आपदा से बचाया था। ऐसे में तब से पारसी समुदाय इस दिन को जश्न के रूप में मनाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, नवरोज का ये पर्व वसंत ऋतु में उस दिन मनाये जाने की परंपरा है, जब दिन और रात बराबर होते हैं।

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कैसे मनाते हैं पारसी नववर्ष?

  • पारसी नववर्ष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने की परंपरा हैं।
  • इस दिन घर के हर-एक कोने को साफ-सुथरा करके वहां सुगंधित अगरबत्तियां जलाये जाने की भी परंपरा है।
  • सुगंधित लाल फूलों से घर सजाया जाता है।
  • इस दिन रंगोली बनाने की भी परंपरा है।
  • इस दिन पारसी लोग पारसी मंदिर अग्यारी (अगियारी) में प्रार्थना करने जाते हैं।
  • प्रार्थना के बाद लोग एकदूसरे को नववर्ष की शुभकामना देते हैं।
  • इस दिन आपस में गिफ्ट भी लिया दिया जाता है। इसके पीछे ये मान्यता बताई जाती है कि इससे जीवन में सकारात्मकता का वास होता है।

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नवरोज के दिन से जुड़ी मान्यताएं 

पारसी लोग हिन्दुओं की ही तरह अग्नि की पूजा करते हैं। इस दिन पूजा के दौरान अग्नि को पवित्र मानकर उसमें आहुति भी दिए जाने की परंपरा है। इस दिन पारसी लोग नए कपड़े पहनते हैं और पूजा स्थल पर जाकर प्रार्थना करते हैं। इसके बाद लोग एक दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं और एक दूसरे को अपने घर पर खाना खाने का आमंत्रण देते हैं। 

इस दिन पारसी लोग अपने अच्छे और बुरे कर्मों पर विचार करते हुए अपने आगामी वर्ष के लिए सकारात्मक संभावनाओं पर ध्यान देने का प्रयास करते रहने का संकल्प लेते हैं। इस दिन मुलाकातों और शुभकामनाओं के बाद लोग स्वादिष्ट पकवानों का आनंद उठाते हैं। इस दिन की सबसे खूबसूरत परंपरा के अनुसार लोग मेहमानों का स्वागत करने के लिए घर के दरवाज़े पर उनके ऊपर गुलाबजल छिड़कते हैं। इस दिन ज़रूरतमंदों को दान दिए जाने का भी बहुत महत्व होता है। 

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