हिन्दू धर्म के विशेष त्योहारों में से एक गणेश उत्सव की शुरुआत बीते 2 सितंबर से हो चुकी है जो आने वाले 12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन के साथ समाप्त होगा। गणेश उत्सव के दौरान देश भर के तमाम गणेश मंदिरों में बहुत ही धूमधाम के साथ गणेश उत्सव मनाया जा रहा है। गणेश जी की प्रतिमा अमूमन हमारे आँखों के सामने एक मुखी गजानन के रूप में आती है। लेकिन आज हम आपको गणेश जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ उनके पंचमुखी स्वरुप की पूजा की जाती है। इस मंदिर की विशेषता ये है की यहाँ गणेश जी की पूजा मूषक के साथ नहीं बल्कि शेर के साथ की जाती है। आइये जानते हैं इस विनायक मंदिर की ख़ास विशेषता के बारे में।
बेहद आकर्षक है पंचमुखी गणेश जी का ये मंदिर
आपकी जानकारी के लिए बता दें की आज हम आपको जिस गणेश जी के मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं वो असल में कर्नाटका के बेंगलुरु में स्थित है। बता दें कि गणेश जी का ये मंदिर असल में बेंगलुरु के हनुमंतनगर में कुमार स्वामी देवस्थान के पास स्थित है। गणेश जी के इस मंदिर में विशेष रूप से उनके पंचमुखी स्वरुप की पूजा की जाती है। इस मंदिर के पास एक विश्वकर्मा आश्रम है जहाँ छात्रों का समूह मंदिर में अपनी सेवा देते हैं। खासतौर से गणेश उत्सव के मौके पर इस मंदरी को विशेष रूप से सजाया जाता है और दस दिनों तक पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है। यहाँ पंचमुखी गणेश जी के दर्शन के लिए देश भर से लोग गणेश चतुर्थी के मौके पर इक्कठा होते हैं। इस मंदिर में स्थित गणेश जी की मूर्ति की बात करें तो करीबन 35 फ़ीट ऊंचे गोपुरम के ऊपर गणेश जी की आकर्षक पंचमुखी प्रतिमा स्थापित है। गणेश जी के इस मूर्ति के चार मुख चारों दिशाओं में हैं और पांचवां मुख सीधे सामने की तरफ है। बप्पा के इस मंदिर की प्रमुख विशेषता ये है की यहाँ उनके वाहन के रूप में चूहा हैं नहीं बल्कि शेर की पूजा की जाती है। इस प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण बेंगलुरु के श्रीचक्र कमिटी द्वारा साल 2007 में किया गया था।
पंचमुखी गणेश मंदिर की अन्य विशेषताएँ इस प्रकार है
बता दें कि गणेश जी के इस पंचमुखी मंदिर के प्रांगण में गणेश जी के विभिन्न स्वरूपों के 32 चित्र देखें जा सकते हैं। यहाँ विशेष रूप से हर पूर्णिमा के अवसर पर गणेश जी के साथ ही सत्यनारायण भगवान की पूजा भी की जाती है। इसके अलावा मुख्य रूप से इस मंदिर में गणेश चतुर्थी, गुरु पूर्णिमा और संकष्टी चतुर्थी पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। यहाँ पंचमुखी गणेश जी की प्रतिमा के साथ ही गणपति की करीबन छह फ़ीट ऊँची मूर्ति भी स्थापित है। इस मंदिर को जो चीज़ सबसे ख़ास बनाती है वो ये है कि यहाँ गणेश जी की सवारी शेर है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। ऐसी मान्यता है कि शेर के साथ गणेश जी के इस रूप की पूजा करने से व्यक्ति को उसके सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिल जाती है।