हिंदू धर्म में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। ज्योतिष के जानकार ग्रहों और नक्षत्रों की चाल और स्थिति के आधार पर शुभ मुहूर्त की गणना करते हैं। माना जाता है कि, शुभ कार्य यदि शुभ मुहूर्त में किया जाए तो फलदाई साबित होता है। वहीं अशुभ मुहूर्त में किया गया कार्य असफल हो सकता है या उसमें तरह तरह की बाधाएं उत्पन्न होने का भय बना रहता है। ज्योतिष की भाषा में समझाएं तो, जब अशुभ नक्षत्रों का योग बनता है तो इसे ही पंचक (Panchak 2021) कहा जाता है।
पंचक काल या पंचक समय को बेहद ही अशुभ माना जाता है। ऐसे में इस दौरान शुभ कार्य या मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। बता दें कि, एक बार फिर 12 फरवरी 2021 से पंचक काल (Panchak kaal) शुरू हो रहा है जो कि 16 फरवरी तक रहेगा।
कब बनता है पंचक?
ज्योतिष के जानकार बताते हैं कि, जब धनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र और रेवती नक्षत्र इन नक्षत्रों पर जब चंद्रमा गोचर करते हैं तो उस समय को पंचक काल कहा जाता है। इसके अलावा जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में गोचर करते हैं तो भी पंचक काल का निर्माण होता है।
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पंचक के प्रकार
पंचक (panchak) कुल चार प्रकार के होते हैं। रोग पंचक, राज पंचक, अग्नि पंचक, और चोर पंचक।
- रविवार के दिन यदि पंचक शुरू होता है तो उसे रोग पंचक कहते हैं। इसके प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में शारीरिक और मानसिक परेशानियां होने की आशंका बढ़ जाती है। रोग पंचक के दौरान कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इसके अलावा मांगलिक कार्यों के लिए भी रोग पंचक अशुभ माना गया है। ऐसे में जितना हो इस पंचक के दौरान शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए।
- सोमवार के दिन शुरू होने वाले पंचक को राज पंचक कहा जाता है। सुनने में शायद आपको ताज्जुब लगे लेकिन यह पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को सरकारी काम में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है और साथ ही संपत्ति आदि से जुड़े कामों के लिए भी यह पंचक बेहद शुभ बताया गया है।
- मंगलवार के दिन शुरू होने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहते हैं। इस पंचक काल के दौरान कोर्ट कचहरी में चल रहे मामलों वाद विवाद का फैसला अपने हक में प्राप्त करने के लिए बेहद ही शुभ बताया गया है। हालांकि कोई भी निर्माण कार्य और मशीन आदि से जुड़ा काम करने के लिए यह पंचक अशुभ माना जाता है।
- शुक्रवार के दिन शुरू होने वाले पंचक को चोर पंचक कहा जाता है। इस दौरान किसी भी प्रकार का लेन-देन और व्यापार करने से बचने की सलाह दी जाती है।
- इसके अलावा बात करें यदि बुधवार और गुरुवार के दिन शुरू होने वाले पंचक की तो इस दौरान कोई भी कार्य की मनाही नहीं होती है। इस दौरान मांगलिक कार्य जैसे विवाह, सगाई इत्यादि भी सामान्य रूप से किए जा सकते हैं।
Panchak 2021: वर्ष 2021 में पंचक कब कब और किस दिन लगेगा?
15 जनवरी 2021 से 20 जनवरी 2021 तक
12 फरवरी 2021 से 16 फरवरी 2021 तक
11 मार्च 2021 से 16 मार्च 2021 तक
07 अप्रैल 2021 से 12 अप्रैल 2021 तक
04 मई 2021 से 09 मई 2021 तक
01 जून 2021 से 05 जून 2021 तक
28 जून 2021 से 03 जुलाई 2021 तक
25 जुलाई 2021 से 30 जुलाई 2021 तक
22 अगस्त 2021 से 26 अगस्त 2021 तक
18 सितंबर 2021 से 23 सितंबर 2021 तक
15 अक्टूबर 2021 से 20 अक्टूबर 2021 तक
12 नवंबर 2021 से 16 नवंबर 2021 तक
09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक
पंचक के दौरान क्या ना करें
- पंचक के दौरान घर के लिए ईंधन इकट्ठा करने की मनाही होती है।
- इसके अलावा इस दौरान लकड़ी, कोयले इत्यादि भी एकत्रित या खरीदने नहीं चाहिए।
- पंचक के दौरान घर की छत नहीं डलवाना चाहिए।
- पंचक के दौरान दाह संस्कार यानी अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए।
- पंचक के दौरान नया बिस्तर नहीं बनवाना चाहिए।
- पंचक के दौरान दक्षिण दिशा की तरफ यात्रा नहीं करना चाहिए।
पंचक दोष दूर करने के उपाय
ऊपर बताए गए कार्य पंचक के दौरान नहीं करना चाहिए। हालांकि कई बार व्यक्ति अनजाने में या मजबूरी के चलते इन कार्य को करने के लिए विवश हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति पर पंचक दोष (Panchak Dosh) लग जाता है। अब जानते हैं पंचक दोष निवारण के कुछ बेहद सरल उपाय।
- पंचक काल के दौरान लकड़ी खरीदने की मनाही होती है लेकिन यदि की आवश्यकता के चलते आपने यह सामान खरीद लिया है तो ऐसे में पंचक काल की समाप्ति पर गायत्री मंत्र का जाप और गायत्री हवन कराने की सलाह दी जाती है।
- पंचक काल में अंतिम संस्कार की भी मनाही होती है। हालांकि जन्म और मृत्यु व्यक्ति के हाथ में नहीं होता। ऐसे में यदि पंचक काल के दौरान किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके साथ आटे के पांच पुतले बनाकर उनका भी अंतिम संस्कार करने का विधान बताया गया है। ऐसा करने से पंचक दोष से मुक्ति मिलती है।
- पंचक के दौरान छत नहीं डलवाना चाहिए। हालांकि यदि आवश्यक हो गया है और टाला नहीं जा सकता तो गायत्री मंत्र के जाप के साथ छत डाल रहे मज़दूरों को कोई मिठाई खिलाएं और सारा काम शुभ होने की प्रार्थना के साथ छत डलवा लें।
- पंचक काल में नया बिस्तर या पलंग नहीं बनानी चाहिए। हालाँकि यदि आपने गलती से ऐसा कर लिया है तो पंचक काल तक कम से कम उसका उपयोग ना करें। पंचक बीत जाने के बाद उस पलंग का उपयोग करें।
- इसके अलावा पंचक काल (Panchak kaal) के दौरान दक्षिण दिशा की तरफ यात्रा करना वर्जित होता है हालाँकि यदि आवश्यक है या आपसे अनजाने में गलती हो गई हो तो हनुमान मंदिर जाकर हनुमान जी का आशीर्वाद लें और उन्हें फल अर्पित करें और उसके बाद ही अपनी यात्रा प्रारंभ करें।
हम आशा करते हैं कि, आपके लिए यह आर्टिकल उपयोगी साबित हुआ होगा। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।