श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार और हिंदू धर्म में भगवान माने जाते हैं। श्रीकृष्ण को हम कन्हैया, गोपाल,श्याम, केशव, द्वारकेश आदि नाम से जानते हैं। श्रीकृष्ण का जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण वासुदेव और देवकी के आठवीं संतान थे, इनका जन्म मथुरा के कारावास में और लालन-पालन गोकुल में हुआ। बड़े होकर उन्होंने अपने मामा कंस का वध किया। यही नहीं उन्होंने महाभारत में अर्जुन का सारथी बनकर भगवद्गीता का ज्ञान दिया था। तो आइए जानते हैं श्रीकृष्ण की 3 माताओं के बारे में-
देवकी-
देवकी श्रीकृष्ण की सगी माता हैं। देवकी मथुरा के राजा कंस के पिता महाराजा उग्रसेन के भाई देवक की कन्या थी। उन्हें अदिति का अवतार भी माना जाता है। देवकी श्रीकृष्ण और बलराम की माता थीं।उनका विवाह वासुदेव से हुआ। देवकी के आठवें बेटे को लेकर एक भविष्यवाणी हुई थी जिसके बारे में सुनकर उग्रसेन का क्रूर बेटा कंस उसकी हत्या करना चाहता था। दरअसल भविष्यवाणी यह थी कि- कंस का वध देवकी के आठवें बेटे के हाथों होगा। जिसे सुनने के बाद कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में बंदी बना लिया और उनके 6 बेटों की हत्या जन्म होते ही कर दी। बलराम देवकी-वासुदेव के सातवें बेटे थे। आठवें बच्चे कृष्ण थे, जिनका जन्म होते ही वासुदेव उन्हें गोकुल छोड़कर आ गए।यहां नंद और यशोदा ने इनका लालन- पालन किया। लौटते समय वासुदेव यशोदा की बेटी महामाया को साथ लेते आए। कंस को इस बात का पता नहीं चला और देवकी का आठवां बच्चा समझकर महामाया को मारने चला गया। कंस ने जब उसे मारने के लिए हाथ बढ़ाया तो वह हाथ से छूट गई और आकाश की तरफ जाते हुए भविष्यवाणी की- कि तू मुझे क्या मारेगा, तुझे मारने वाला तो गोकुल में जन्म ले चुका है।
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रोहिणी-
वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी थीं। रोहिणी, बलराम, एकांग और सुभद्रा की माता थीं। हालांकि अभी हमने ऊपर पढ़ा कि बलराम देवकी के सातवें पुत्र थे लेकिन बता दें रोहिणी ने देवकी के सातवें गर्भ को दैवीय विधान से ग्रहण कर लिया था और उसी से बलराम की उत्तपति हुई थी। श्रीकृष्ण की सौतेली मां रोहिणी नाग जनजाति की थीं।
यशोदा-
यशोदा श्रीकृष्ण की ना सगी मां थी ना ही सौतेली, लेकिन फिर भी श्रीकृष्ण के जीवन काल में उनका नाम सबसे अहम है। यशोदा ने श्रीकृष्ण का लालन पोषण किया था। श्रीकृष्ण के बाल लीला में माखन लीला, कालिय उद्धार, गोचारण, दावाग्नि पान, गोवर्धन धारण, रासलीला आदि अनेक लीलाओं का आनंद यशोदा ने लिया। उन्होंने भगवान कृष्ण के साथ बलराम का भी लालन-पालन किया है।
ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण के पिता वासुदेव ने 14 शादियां की थी, देवकी उनकी 12वीं पत्नी थीं। उनकी अन्य पत्नियों के नाम थे- पौरवी, भद्रा, मदिरा, रोचना और इला। ये सभी भगवान श्रीकृष्ण की सौतेली माताएं थीं।