जैसा कि आप जानते हैं कि भारत में 2 अप्रैल, 2022 से चैत्र नवरात्रि का त्योहार शुरू हो चुका है जिसमें माँ दुर्गा के 9 दिव्य रूपों की विधिविधान से पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन स्कंदमाता को समर्पित होता है। आइए जानते हैं कि माँ दुर्गा के इस स्वरूप का क्या महत्व है तथा स्कंदमाता को प्रसन्न करने की पूजा विधि क्या है।
माँ स्कंदमाता का स्वरूप
सिंह यानी शेर पर सवारी करने वाली माँ स्कंदमाता की 4 भुजाएं होती हैं। गोद में बालक स्कन्द अर्थात कार्तिकेय विराजमान होते हैं। एक भुजा में कमल का फूल होता है। इनकी बायीं तरफ़ की ऊपर वाली भुजा को वरमुद्रा कहा जाता है और नीचे सफेद रंग का दूसरा कमल का फूल होता है। कमल के फूल पर आसन होने के कारण इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। मान्यता है कि स्कंदमाता की सच्चे दिल से पूजा करने से ज्ञान बढ़ता है। यही वजह है कि इन्हें विद्यावाहिनी दुर्गा के नाम से भी जाना जाता है।
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पूजा विधि
- चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन सबसे पहले दिव्य स्नान करें।
- उसके बाद माता की पूजा की तैयारी कर लें।
- माँ स्कंदमाता की मूर्ति, फोटो या प्रतिमा को गंगा जल से पवित्र करें।
- इसके बाद माता को कुमकुम, अक्षत, फूल, फल आदि अर्पित करें।
- फिर मिठाई का भोग लगाएं।
- माता के सामने घी का दीपक या दीया प्रज्वलित करें।
- उसके बाद सच्ची निष्ठा से माँ स्कंदमाता की पूजा करें।
- इसके बाद घंटी बजाते हुए माता की आरती करें।
- स्कंदमाता की कथा पाठ करें।
- और आख़िरी में माँ स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें।
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माँ स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व
मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन माँ स्कंदमाता की सच्चे दिल से पूजा करने से जीवन में मौजूद सभी संकट दूर होते है तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में भी विशेष लाभ प्राप्त होता है। विशेष रूप से त्वचा संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा मिलता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माँ स्कंदमाता की उपासना करने वाले लोगों के ज्ञान में वृद्धि होती है, साथ ही उनका आत्मविश्वास या मनोबल भी बढ़ता है। इसके अलावा संतान सुख की प्राप्ति के योग भी स्कंदमाता की कृपा से ही बनते हैं।
स्कंदमाता बीज मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
स्कंदमाता के मंत्र
- ॐ स्कंदमात्रै नमः
- ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः
- रदव्यसिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी॥
- महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी।
त्राहिमाम स्कन्दमाते शत्रुनाम भयवर्धिनि।
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पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, तारकासुर नाम का एक राक्षस था। उसने ब्रह्मा जी को ख़ुश करने तथा वरदान प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की, जिसके बाद ब्रह्मा जी प्रकट हुए। राक्षस तारकासुर ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान मांगा। तब ब्रह्मा जी ने उसे बताया कि जन्म लेने वाले हर प्राणी का अंत निश्चित है यानी कि जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु तय है। ये सुनकर तारकासुर निराश हो गया और फिर बड़ी ही चालाकी से उसने पुनः वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु सिर्फ़ भगवान शिव के पुत्र के हाथों ही हो।
ऐसा उसने इसलिए कहा क्योंकि उसे लगता था कि भगवान शिव कभी विवाह नहीं करेंगे तो पुत्र भी नहीं होगा और वह हमेशा के लिए अमर हो जाएगा। ब्रह्मा जी ने उसे यह वरदान दे दिया। इसके बाद उसने लोगों के ऊपर भीषण हिंसा करनी शुरू कर दी। उसके अत्याचारों से लोगों के अंदर भय पैदा हो गया। फिर सभी पीड़ित भगवान शिव के पास गए और प्रार्थना की कि तारकासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाएं प्रभु।
तब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया और उनसे एक पुत्र हुआ, जिसका नाम स्कन्द अर्थात कार्तिकेय रखा। फिर माता पार्वती ने अपने पुत्र स्कन्द को तारकासुर से युद्ध लड़ने के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कंदमाता का रूप धारण किया। अपनी माता से प्रशिक्षण लेने के बाद शिव पुत्र स्कन्द/कार्तिकेय ने राक्षस तारकासुर का वध किया तथा सभी लोगों को उसके अत्याचारों से हमेशा के लिए मुक्त कर दिया।
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माँ स्कंदमाता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करें ये उपाय
- यदि आपके घर के किसी सदस्य के विवाह में बाधाएं आ रही हैं या किसी कारण से बार-बार रुकावटें आ रही हैं तो चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन माँ दुर्गा को 36 लौंग और 6 कपूर के टुकड़ों के साथ आहुति देने से आपकी यह समस्या हल हो सकती है। आहुति देने से पूर्व लौंग और कपूर पर सर्वबाधा निवारण मंत्र का ग्यारह माला पढ़ें।
- यदि आप संतान सुख प्राप्ति के लिए लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे हैं और आपको सफलता नहीं मिल रही है तो आप लौंग और कपूर के साथ अनार के दाने मिलाकर माँ दुर्गा को आहुति दें। ऐसे करने से आपकी इस समस्या का निवारण हो सकता है। आहुति देने से पहले सर्वबाधा निवारण मंत्र का पांचवां माला पढ़ें।
- यदि आपके व्यापार में समस्याएं आ रही हैं तो आप लौंग और कपूर में अमलताश के फूल मिलाकर माँ दुर्गा को आहुति दें। यदि अमलताश के फूल न मिलें तो आप पीले रंग के कोई भी फूल मिला सकते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यावसायिक समस्याएं दूर होती हैं। आहुति देने से पूर्व सर्वबाधा निवारण मंत्र की पहली माला पढ़ें।
- यदि आपके घर का कोई भी सदस्य लंबे समय से बीमार चल रहा है तो आप 152 लौंग और 42 कपूर के टुकड़ों के साथ गरी (सूखा नारियल), शहद और मिश्री मिलाकर हवन करें। आहुति देने से पूर्व सर्वबाधा निवारण मंत्र का पांचवां माला पढ़ें। ऐसा करने से स्वास्थ्य समस्याएं दूर हो सकती हैं।
- संपत्ति से संबंधित समस्याओं के लिए लौंग और कपूर के साथ गुड़ और खीर मिलाकर माँ दुर्गा को आहुति दें। आहुति देने से पहले सर्वबाधा निवारण मंत्र की दूसरी माला का जाप करें।
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