चैत्र नवरात्रि 2023 की शुरुआत हो चुकी है। चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मां दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, माता कात्यायनी को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री माना जाता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड में इन्हें छठ मैया के नाम से जाना जाता है। मां कात्यायनी अन्य देवियों में सर्वाधिक सुंदर हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि में मां कात्यायनी की पूजा 27 मार्च 2023 षष्ठी तिथि को की जाएगी। माना जाता है कि इस दिन मां कात्यायनी की पूजा विधि-विधान से करने से हर काम में सफलता मिलती है। इसके साथ ही शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं नवरात्रि के छठे दिन श्रद्धालुओं को किस पूजा विधि का पालन करना चाहिए और क्या-क्या उपाय, धार्मिक अनुष्ठान करने चाहिए लेकिन इससे पहले जान लेते हैं इस दिन कौन सा शुभ योग बन रहा है।
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शुभ योग में पड़ेगी नवरात्रि की षष्ठी तिथि
नवरात्रि की षष्ठी तिथि का प्रारंभ आयुष्मान योग में हो रहा है। आयुष्मान योग का फल भी लंबे समय तक देखने को मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस योग में किए गए सभी कार्य लंबे समय तक फलदायी परिणाम देते हैं।
आयुष्मान योग प्रारंभ: 26 मार्च 2023 रात 11 बजकर 23 मिनट से
आयुष्मान योग समाप्त: 27 मार्च 2023 रात 11 बजकर 18 मिनट तक।
मां कात्यायनी का स्वरूप
नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी महिषासुर मर्दिनी हैं और इन्हें दुष्टों, असुरों, दानवों तथा राक्षसों का विनाशक माना जाता है। इनका स्वरूप संहारक है, अत्यन्त दिव्य और स्वर्ण के समान चमकीला है। यह अपनी प्रिय सवारी सिंह (शेर) पर विराजमान रहती हैं। मां की चार भुजाएं हैं जिनमें एक हाथ अभय मुद्रा में है, तो दूसरा हाथ वरद मुद्रा में है और अन्य हाथों में तलवार तथा कमल का फूल है।
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मां कात्यायनी की पूजा का महत्व
मां कात्यायनी की पूजा करने से अद्भुत शक्ति का संचार होता है और सभी संकटों का नाश होता है। मां कात्यायनी राक्षसों तथा पापियों का नाश करने वाली हैं। इनकी उपासना और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है और रोग, शोक, संताप और भय का नाश हो जाता है। साथ ही पूर्व जन्म व इस जन्म में किए हुए समस्त पाप भी तत्काल नष्ट हो जाते हैं। यही नहीं इनकी पूजा से हर तरह के संकट दूर हो जाते हैं। मां कात्यायनी की पूजा से अविवाहित लड़कियों के विवाह के योग बनते हैं और सुयोग्य वर भी मिलता है।
मां कात्यायनी की पूजा विधि
- सुबह उठकर जल्दी स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करें। देवी कात्यायनी की पूजा में लाल रंग के कपड़ों का भी बहुत महत्व है।
- इसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें।
- फिर मां कात्यायनी का स्मरण करें और गंगाजल में लाल फूल डालकर मां का अभिषेक करें।
- फिर उनको वस्त्र, लाल गुलाब का फूल या लाल फूल, अक्षत, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
- इस दौरान उनके मंत्रों का जाप करें।
- फिर उनको शहद का भोग लगाएं। मां कात्यायनी की पूजा में शहद का प्रयोग जरूर किया जाना चाहिए क्योंकि मां को शहद बहुत पसंद है। इसके अलावा शहद युक्त पान का भोग भी देवी कात्यायनी को लगाना चाहिए।
- इसके बाद दुर्गा चालीसा, आरती और मां कात्यायनी की कथा आदि का पाठ करें।
- फिर अंत में देसी घी के दीपक से मां कात्यायनी की आरती करें।
मां कात्यायनी के मंत्र
मां कात्यायनी की तस्वीर या यंत्र सामने रखकर लाल फूलों से पूजन करें। इसके बाद नीचे दिए गए मंत्र की कम से कम 51 माला नित्य जपें।
माँ कात्यायनी मंत्र है:
‘कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ।
नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॥
ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा, ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ॥’
ध्यान रहे कि मंत्रोच्चारण शुद्ध एवं स्पष्ट होना चाहिए।
कात्यायनी मंत्र के जाप करने लाभ
- मां कात्यायनी के मंत्र का जाप करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही ऐश्वर्य की भी प्राप्ति होती है।
- इसके अलावा कुंडली से मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता और विवाह के अच्छे योग बनते हैं।
- मां कात्यायनी नारी शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना करने से प्रेम जीवन बेहतर होता है और स्त्रीत्व में भी वृद्धि होती है।
- वैवाहिक जीवन में समस्याएं आने पर कात्यायनी मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे पति-पत्नी के बीच प्रेम संबंध मजबूत होते हैं और मन शांत होता है।
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मां कात्यायनी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक वन में कत नाम के एक महर्षि रहते थे। उनका एक पुत्र था, जिसका नाम कात्य था। कात्य गोत्र में ही महर्षि कात्यायन का जन्म हुआ लेकिन उनकी कोई भी संतान नहीं थी। उनकी कामना थी कि मां भगवती उनको पुत्री के रूप में प्राप्त हों। जिसके लिए उन्होंने देवी पराम्बा की घोर तपस्या की। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी पराम्बा ने उन्हें वरदान दिया और उनकी कामना पूरी करते हुए उनकी पुत्री के रूप में प्रकट हुईं। महर्षि कात्यायन की पुत्री होने के कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा। माता कात्यायनी बेहद गुणवती कन्या थी। उन्होंने ही आगे चलकर अत्याचारी राक्षस महिषासुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराया था। मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में जो भी भक्त माता कात्यायनी की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करता है उसकी समस्त मनोकामना पूरी होती है।
नवरात्रि के छठवें दिन इन उपायों से देवी कात्यायनी होंगी प्रसन्न
इच्छापूर्ति के लिए
नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसे में इस दिन अपनी किसी भी प्रकार की मनोकामना पूरी करने के लिए गोबर के उपले या कंडे जलाकर उस पर लौंग व कपूर की आहुति दें। इसके बाद माता को शहद का भोग लगाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से हर संकट से मुक्ति मिलती है और इच्छाओं की पूर्ति होती है।
जल्द विवाह के लिए
यदि किसी युवक या युवती के विवाह में बाधा आ रही है तो उसे शीघ्र विवाह के लिए मां कात्यायनी की विधिवत पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इसके लिए माता के मंदिर में श्रृंगार और पूजन से संबंधित चीजों का दान करें या सुहागिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार जैसे लाल चूड़िया, कुमकुम, लाल साड़ी, लाल बिंदी आदि चीजें दान करें। इसके साथ ही माता से जल्द विवाह के लिए प्रार्थना करें। ऐसा करने से शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं। इसके अलावा हाथ में पीले फूल लेकर अपनी प्रार्थना कहते हुए इसे देवी को अर्पित करें। फिर 51 या 108 बार इस मंत्र का जाप करें – ‘ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नंद गोप सुतं देहि पतिं में कुरुते नम:।।’
सुख-समृद्धि के लिए
इस दिन पूजा के दौरान नारियल और लाल, पीले या सफेद रंग के फूल लेकर माता को अर्पित करें। इसके बाद नवमी तिथि की शाम को उन फूलों को नदी में प्रवाहित कर दें और नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर तिजोरी या फिर अलमारी में रख दें। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
उन्नति व तरक्की के लिए
नौकरी-व्यापार में उन्नति और तरक्की के लिए पूजा के दौरान मिट्टी के दो दीपक लें और उनमें कपूर जलाएं। इसके बाद देसी घी का दीपक बनाकर माता की आरती करें। ऐसा करने से तरक्की के मार्ग खुलते हैं।
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