यदि आपकी कुडंली में है कालसर्प दोष तो नरसिंह जयंती के दिन करें ये उपाय।

हिंदी कैलेंडर के मुताबिक, वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। जो कि इस वर्ष 14 मई, 2022 को पड़ रही है। नरसिंह भगवान विष्णु जी के दशावतारों में से चौथे अवतार माने जाते हैं। कहा जाता है कि वैशाख महीने की चतुर्दशी को इन्होंने अपने सच्चे भक्त प्रह्लाद को हिरण्यकश्यप के दुर्व्यवहार से बचाने के लिए ही यह अवतार लिया था। इसीलिए इस दिन से नरसिंह जयंती मनाने की परंपरा शुरू हुई।

नरसिंह का अर्थ

नरसिंह का अर्थ होता है नर+सिंह अर्थात जिसका आधा शरीर सिंह के समान हो और आधा साधारण मनुष्य के समान। इसी वजह से भगवान का नाम नरसिंह पड़ा था। यदि आप नरसिंह भगवान की प्रतिमा या कोई तस्वीर देखेंगे तो उसमें आपको उनका मुख सिंह रूपी दिखाई देगा और बाकी का धड़ साधारण मानव की तरह। मान्यता है कि नरसिंह जयंती के दिन भगवान नरसिंह अपने परम भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए खंभे को फाड़ते हुए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। इस दिन लोग ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं तथा व्रत रखते हैं। आइए जानते हैं कि इस ख़ास दिन के व्रत की विधि क्या है।

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पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कश्यप ऋषि के 2 पुत्र थे, हिरण्यकश्यप और हरिनाक्ष। पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने हरिनाक्ष का वध कर दिया था, जिसका बदला लेने के लिए हिरण्यकश्यप ने घोर तपस्या की और आख़िरी में वह ब्रह्मा जी को ख़ुश करने में कामयाब हो गया। जिसके फलस्वरूप, उसे एक विशेष वरदान प्राप्त हुआ।

उस वरदान के प्रभाव से हिरण्यकश्यप इतना शक्तिशाली हो गया था कि उसने तीनों लोकों यहां तक कि स्वर्ग को जीतना भी शुरू कर दिया था क्योंकि देवता उसे हराने में असमर्थ थे। उसी दौरान हिरण्यकश्यप को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिसका नाम था प्रह्लाद।

प्रह्लाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और यह चीज़ हिरण्यकश्यप को बिल्कुल पसंद नहीं थी। इसलिए उसने भक्त प्रह्लाद की भक्ति भंग करने की बहुत कोशिश की, लेकिन हर बार वह विफल रहा। एक बार तो उसने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर प्रह्लाद को जलाने की कोशिश की, मगर भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जल गई और भक्त प्रह्लाद को कोई हानि न हुई।

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अपनी असफलताओं को देखकर हिरण्यकश्यप इतना ज़्यादा क्रोधित हो गया कि उसने अपने पुत्र प्रह्लाद से कहा कि वह अपने भगवान के अस्तित्व को सिद्ध करे। इस पर भक्त प्रह्लाद बोले कि भगवान तो हर जगह हैं, यहां तक कि इन सभी खंभों भी। इतना सुनते ही हिरण्यकश्यप बौखला उठा और उसने खंभे पर प्रहार करना शुरू कर दिया। उसी समय भगवान विष्णु खंभे को फाड़ते हुए नरसिंह स्वरूप में प्रकट हुए और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। वध करने के बाद भी भगवान नरसिंह क्रोध से इतना भरे हुए थे कि शांत नहीं हो रहे थे। तब भक्त प्रह्लाद ने उनसे प्रार्थना की, जिसके बाद उनका गुस्सा शांत हुआ। भक्त प्रह्लाद की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान नरसिंह ने वरदान दिया कि आज के दिन जो भी व्यक्ति मेरा व्रत करेगा और सच्चे दिल से मेरी उपासना करेगा, उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे तथा मृत्यु के बाद उसे परमधाम का सुख भोगने को मिलेगा।

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नरसिंह जयंती तिथि व समय

दिनांक: 14 मई, 2022

दिन: शनिवार

हिंदी महीना: वैशाख

पक्ष: शुक्ल पक्ष

तिथि: चतुर्दशी

शाम की पूजा का समय: शाम 04 बजकर 22 मिनट से 07 बजकर 04 मिनट तक

अवधि: 02 घंटे 43 मिनट

चतुर्दशी तिथि आरंभ: 14 मई, 2022 की शाम 03 बजकर 22 मिनट से

चतुर्दशी तिथि समाप्त: 15 मई, 2022 की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक

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नरसिंह जयंती पूजन विधि

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
  • फिर पूरे घर की साफ-सफाई करें।
  • पूरे घर को पवित्र करने के लिए गंगाजल या गौमूत्र का छिड़काव करें।
  • इसके बाद नरसिंह भगवान का ध्यान करते नए पवित्र स्नान करें।
  • फिर पूजा करने के स्थान को गाय के गोबर से लीप लें।
  • इसके बाद एक कलश में तांबा या कोई और रत्न डालकर उसपर अष्टदल कमल बनाएं।
  • फिर उस कलश के ऊपर चावल से भरा एक बर्तन रख दें।
  • इसके बाद नरसिंह भगवान की प्रतिमा या तस्वीर को पंचामृत से स्नान कराएं।
  • अब इसकी विधिवत पूजा करें।
  • पूजा ख़त्म होने के बाद अपने सामर्थ्य के हिसाब से ज़रूरतमंदों को दान-पुण्य आदि करें।
  • रात के समय भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
  • अगले दिन फिर से पूजा-पाठ करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
  • जो लोग इस दिन व्रत कर रहे हैं, उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए।
  • अगले दिन पारण मुहूर्त के दौरान ही कुछ खाकर व्रत तोड़ें।

व्रत के दौरान न करें ये काम

  • किसी पर गुस्सा न करें।
  • किसी चीज़ का लोभ न करें।
  • किसी से झूठ न बोलें।
  • बुरे लोगों की संगति में न रहें।
  • किसी भी प्रकार के अत्याचार या हिंसा से बचें।
  • भोजन में अनाज के सेवन से परहेज करें।
  • प्याज़, लहसुन जैसा तामसिक भोजन तो बिल्कुल ही वर्जित माना गया है।
  • अपने मन में किसी के लिए ईर्ष्या या द्वेष न रखें।

नरसिंह जयंती के ये उपाय करेंगे आपकी विभिन्न समस्याओं को दूर

आमतौर पर नरसिंह भगवान को ठंडी चीज़ें चढ़ाई जाती हैं क्योंकि नरसिंह भगवान विष्णु का क्रोध वाला अवतार है और क्रोध से भगवान का तन जलता है। इसलिए शास्त्रों में बताया गया कि ठंडी चीज़ें अर्पित करने से भगवान नरसिंह को शांति मिलती है। नरसिंह जयंती के दिन अलग-अलग चीज़ें चढ़ाने से अलग-अलग फल प्राप्त होंते हैं तो आइए जानते हैं कि जीवन की विभिन्न समस्याओं को हल करने के क्या उपाय हैं।

  • आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए नरसिंह जयंती के दिन भगवान को नागकेसर अर्पित करें। उसके बाद थोड़ा सा नागकेसर अपने साथ वापस लेकर घर आएं और उसे घर की तिजोरी में या उस स्थान पर रखें जहां आप अपनी कीमती वस्तुएं जैसे कि धन, आभूषण, रत्न आदि रखते हैं।
  • यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो नरसिंह जयंती के दिन भगवान को मोरपंख चढ़ाएं। इससे आपको इस दोष से मुक्ति पाने में काफ़ी मदद मिलेगी।
  • यदि आप किसी कानूनी मामले में फंसे हुए हैं तो उससे निकलने के लिए नरसिंह जयंती के दिन भगवान को दही का भोग लगाएं।
  • यदि आपको अपने शत्रुओं का भय सता रहा है तो नरसिंह जयंती के दिन भगवान को बर्फ वाला जल अर्पित करें।
  • यदि आपके परिवार में संबंधों को लेकर समस्याएं आ रही हैं तो इस दिन मक्के का आटा दान करें। इससे आपके संबंधों में मिठास दिखने लगेगी।
  • यदि अपने किसी को उधार दिया है और वह वापस नहीं मिल रहा है या फंस गया है तो नरसिंह जयंती के दिन भगवान को चांदी या मोती चढ़ाएं।
  • यदि आप लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रस्त हैं तो इस दिन नरसिंह भगवान को चंदन का लेप चढ़ाएं। इससे आपको बेहतर स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

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