हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी देवताओं के साथ-साथ पेड़-पौधे जीव जंतुओं आदि का भी पूजा आदि का विधान बताया गया है। यही वजह है कि, हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह में कोई ना कोई त्यौहार व्रत पूजन इत्यादि आता ही रहता है। इन्हीं कई त्योहारों और पर्वों में एक पर्व है नर्मदा जयंती। मान्यता है कि, प्रत्येक साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन रथ सप्तमी का भी पर्व मनाया जाता है।
इस वर्ष नर्मदा जयंती का यह पर्व 19 फरवरी 2021-शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। हिंदू धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नर्मदा नदी पूरे विश्व में दिव्य और रहस्यमय नदियों में से एक मानी जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं चारों वेदों की व्याख्या में श्री भगवान विष्णु के अवतार वेदव्यास जी ने पुराण के रेवाखंड में नर्मदा नदी के महिमा का वर्णन किया है। इसके अलावा नर्मदा नदी का उल्लेख महाभारत, रामायण आदि में भी मिलता है। मां नर्मदा की उत्पत्ति भगवान शिव जी से ही हुई थी। तो आइए जानते हैं कि, नर्मदा जयंती का क्या महत्व होता है? इस दिन को क्यों मनाया जाता है? और इस दिन की पूजन विधि क्या है?
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नर्मदा जयंती पूजा समय :
सप्तमी तिथि शुरू : 08:20 – 18 फरवरी 2021
सप्तमी तिथि ख़त्म : 10:55 – 19 फरवरी 2021
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नर्मदा जयंती मान्यता
मान्यता के अनुसार नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी की पूजा अर्चना, दीपदान, स्नान और दर्शन मात्र करने वाले इंसान के जीवन से उसके अतीत में किए गए सभी पापों का नाश हो जाता है। नर्मदा नदी के तट पर अनेकों ऋषि-मुनियों, साधु-संतों ने तप आदि किया है और आज भी करते हैं।
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नर्मदा जयंती पूजन विधि
- सप्तमी तिथि यानी मां नर्मदा की जयंती के दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक नर्मदा नदी में स्नान करने की परंपरा है।
- इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहन कर नर्मदा नदी की विधिवत पूजा करें।
- इस दिन की पूजा में अक्षत, फूल, कुमकुम, हल्दी, धूप, दीप इत्यादि अवश्य शामिल करें।
- इसके अलावा नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा में 11 आटे के बने दीपक अवश्य जलाएं।
- मान्यता है कि जो कोई भी इंसान इस दिन ऐसा करता है उसकी हर एक मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
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नर्मदा जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान शंकर ने मैकल पर्वत पर तपस्या की। इस दौरान उनके शरीर से पसीने की कुछ बूंद निकली जो मैकल पर्वत पर एक जलकुंड के रूप में परिवर्तित हो गई। कुछ समय बीत जाने के बाद इसी जल कुंड में एक सुंदर कन्या ने जन्म लिया। इस कन्या का नाम शांकरी नर्मदा नदी हुआ। भगवान शिव के कहने पर शांकरी नर्मदा एक नदी के रूप में बहने लगी। नदी की आवाज कल-कल करती हुई होती है और इसी के कारण और मैकल पर्वत पर जन्म लेने के कारण इनका नाम मेकलसूता पड़ा।
नर्मदा नदी का स्कंद पुराण में उल्लेख, स्कंद पुराण में नर्मदा नदी के बारे में उल्लेख है कि, भयंकर से भयंकर प्रलय काल में भी नर्मदा नदी स्थिर और स्थाई रूप में बहती है। इसके अलावा मत्स्य पुराण में नर्मदा नदी के बारे में उल्लेख है कि, इस नदी के दर्शन मात्र से इंसान के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद के समान ही नर्मदा नदी को पवित्र माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा नदी का हर पत्थर शंकर भगवान का एक रूप माना जाता है। इसके अलावा नर्मदा नदी के तट पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी स्थापित है। इसके अलावा जानने वाली बात है कि, नर्मदा नदी विश्व की एकमात्र ऐसी नदी है जिसके बारे में कहा जाता है कि इस की परिक्रमा की जाती है।
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मां नर्मदा की कथा
अंधकासुर नामक दैत्य का सभी देवताओं ने मिलकर वध कर दिया। राक्षस का वध तो हुआ लेकिन इस दौरान देवताओं से बहुत सारे पाप हुए। ऐसे में सभी देवता ब्रह्मा जी और विष्णु जी को लेकर भगवान शिव के पास पहुंच गए। यह वह समय था जब भगवान शिव खुद तपस्या में लीन थे। वहां पहुंचकर सभी देवताओं ने भगवान शिव से विनती की कि, है शिव भगवान! राक्षस का वध करते समय हम से कई पाप हो गए हैं। अब हमारे इन पापों से हमें छुटकारा दिलाने के लिए कोई रास्ता दिखाइए। देवताओं की ऐसी विनती सुनकर शंकर भोलेनाथ ने तपस्या से अपनी आंख खोली और फिर बिंदु धरती पर अमरकंटक के मैकल पर्वत पर गिराया।
इस बिंदु से एक बेहद ही सुंदर कन्या ने जन्म लिया। तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु और सभी देवताओं ने इस कन्या का नाम नर्मदा रखा। ऐसे में कहा जाता है कि, नर्मदा नदी को भगवान शिव ने पाप धोने के लिए ही उत्पन्न किया था।
इन उपायों को करने से शिव पार्वती देंगे मनचाहा साथी और वैवाहिक समस्या होगी दूर
मान्यता है कि, क्योंकि नर्मदा नदी की उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने से हुई थी इसलिए कहीं ना कहीं इनका संबंध शिवजी से जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कुछ ऐसे उपाय जिन्हें करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर किया जा सकता है। साथ ही मनचाहा साथी भी हासिल किया जा सकता है। जिन लोगों के दांपत्य जीवन में खुशहाली ना हो या जिन लोगों के शादी में अनचाही देरी हो रही हो उन्हें नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में स्नान करने की सलाह दी जाती है। इसके बाद गीले वस्त्रों से शिव और भगवान पार्वती मां का पूजन करें और पार्वती जी को लगा सिंदूर अपने मस्तक पर लगाएं। ऐसा करने से शिव पार्वती जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और विवाह में आने वाली सभी परेशानियां भी दूर होती है।
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