महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने ग़ैर हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी भाषा को शैक्षिक पाठ्यक्रम में जोड़ने के प्रस्ताव वाली केन्द्र सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के मसौदे का कड़ा विरोध जताया है। एमएनएस के नेता अनिल शिदोरे ने इस नीति की कड़ी आलोचना की है। उनके बयान को पार्टी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से मराठी भाषा में ट्वीट किया गया है जिसमें लिखा है- “हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा नहीं है, इसे हमारे माथे पर मत थोपो।” हालाँकि विरोध के चलते बीते रविवार को केन्द्र सरकार ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि किसी राज्य पर हिंदी थोपी नहीं जाएगी। केन्द्र सरकार के मुताबिक इस मसौदे को अमल में लाने से पूर्व इसकी समीक्षा की जाएगी। इस संबंध में सरकार की ओर से वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीटर के जरिए सरकार का पक्ष रखा है।
जानें क्या है नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का मसौदा
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के मौसदे को इसरो के पूर्व प्रमुख कस्तूरी रंगन के नेतृत्व वाली समिति ने ड्राफ्ट किया है। समिति ने मानव संसाधन विकास (HRD) का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय (MoE) करने का भी प्रस्ताव दिया है और प्रीस्कूल से 12 वीं कक्षा तक मुफ्त और अनिवार्य स्कूली शिक्षा सिफारिश की है। इसके अलावा मसौदे में निजि विद्यालयों के द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने पर रोक, पाचवीं तक विद्यार्थियों को मातृ भाषा में पढ़ाने, पहली कक्षा में बच्चों को तीन भारतीय भाषाओं को पढ़ाने, प्री स्कूल और माध्यमिक विद्यालय में बच्चों को नाश्ता देने एवं चार वर्षीय बीएड कोर्स की सिफारिशें की गई हैं।
तमिलनाडु और कर्नाटक मसौदे के ख़िलाफ़
ग़ौरतलब है कि तमिलनाडु राज्य ने केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 पर बने मसौदे का कड़ा विरोध किया था। लिहाज़ा केन्द्र सरकार के मंत्रियों ने यह ट्वीट तमिल में किए। इसके अलावा इस संबंध में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भी लोगों से अपील की थी कि वह नई शिक्षा नीति के मसौदे का अध्ययन, विश्लेषण कर उस पर बहस करें लेकिन जल्दबाजी में किसी नतीजे पर ना पहुँचें। आपको बता दें कि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, डीएमके नेता एमके स्टालिन, कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी और कांग्रेस नेता शशि थरूर हिंदी को दक्षिण भारत पर थोपने के खिलाफ चेतावनी जारी कर चुके हैं।