मिथुन संक्रांति 2021 : जानें इस पर्व का महत्व, तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

भगवान सूर्य को सम्पूर्ण जगत का आत्मा स्वरूप माना जाता है। सूर्य पृथ्वी पर ऊर्जा के श्रोत हैं। सूर्य प्रत्यक्ष नजर आते हैं। सनातन धर्म में सूर्य को देवता के रूप में पूजा जाता है। वैदिक ज्योतिष में नवग्रहों के बीच राजा का दर्जा रखने वाले सूर्य एकमात्र ऐसे ग्रह हैं जो कभी भी वक्री नहीं होते हैं। 

सूर्य हर महीने गोचर करते हैं। सूर्य के इस गोचर की प्रक्रिया को संक्रांति कहा जाता है। जिस भी राशि में सूर्य का गोचर होता है उस राशि के नाम से ही यह संक्रांति जानी जाती है जैसे कि सूर्य का मकर राशि में गोचर तो मकरा संकार्न्ति और मिथुन में गोचर करने पर मिथुन संक्रांति। प्रत्येक साल सूर्य की 12 संक्रांति होती है और हर संक्रांति का अपना एक विशेष महत्व है।

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साल 2021 के जून महीने में अब जल्द ही मिथुन संक्रांति होने वाली है। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में मिथुन संक्रांति की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के साथ इस संक्रांति का महत्व भी बताने वाले हैं।

कब है मिथुन संक्रांति?

साल 2021 में सूर्य देवता 15 जून को मंगलवार के दिन सुबह में 05 बजकर 49 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करेंगे और वे इसी राशि में 16 जुलाई 2021 की शाम को 04 बजकर 41 मिनट तक मौजूद रहेंगे। इसके बाद सूर्य देवता कर्क राशि में गोचर करेंगे। इस प्रकार से मिथुन संक्रांति की तिथि 15 जून, 2021 हुई। हिन्दू पंचांग के अनुसार देखें तो मिथुन संक्रांति ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की पांचवी तिथि को पड़ रही है।

आइये अब आपको मिथुन संक्रांति के शुभ मुहूर्त की जानकारी दे देते हैं। 

मिथुन संक्रांति शुभ मुहूर्त

मिथुन संक्रांति पुण्य काल : 15 जून 2021 को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से दोपहर के 01 बजकर 43 मिनट तक।

पुण्य काल की अवधि : 07 घंटे 27 मिनट

महापुण्य काल की अवधि : 02 घंटे 20 मिनट

मिथुन संक्रांति महत्व

मिथुन संक्रांति को सनातन धर्म में मौसम के परिवर्तन का सूचक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन से वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से शुभ फल प्राप्त होता है। भगवान सूर्य की पूजा अर्चना से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। हर पर्व की ही तरह मिथुन संक्रांति में भी दान से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। जरूरतमंद व गरीब लोगों को इस दिन भोजन कराएं।

सिलबट्टे की पूजा

मिथुन संक्रांति के पावन अवसर पर सिलबट्टे की पूजा का प्रावधान है। इस दिन सिलबट्टे को भू देवी मान कर उसकी पूजा की जाती है। मिथुन संक्रांति के दिन स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सिलबट्टे को दूध और पानी से स्नान कराएं। इसके बाद सिलबट्टे को सिंदूर और चन्दन लगाए और उसके बाद उसपर पुष्प व हल्दी चढ़ाएँ।

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मिथुन संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा विधि

मिथुन संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठें और स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद तांबे के एक पात्र में जल ले लें। इस जल में लाल चन्दन, रोली व लाल पुष्प मिलाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते वक़्त “ॐ घृणि सूर्याय नमः” के मंत्र का जाप करें। इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख कर आसान बिछा कर बैठ जाएं और इस मंत्र का कम से कम एक माला जाप करें। आप आदित्यहृदय स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं।

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