हिन्दू धर्म के अनुसार सप्ताह के सातों दिन किसी ना किसी देवी-देवता को समर्पित हैं। अगर आप भगवान शिव को खुश करना चाहते हैं, उनकी असीम कृपा पाना चाहते हैं तो आपको सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा-पाठ अवश्य करनी चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के आधार पर यदि व्यक्ति सच्चे मन से भगवान शिव की उपासना कर उपवास करता है, तो उसके जीवन की हर परेशानी का अंत हो जाता है। उसके सभी कष्ट मिट जाते हैं। भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए व्यक्ति को सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर शिव जी की पूजा-पाठ करनी चाहिए। शिव को जल अर्पित करें, और संभव हो, तो दिन भर केवल फलहार कर उपवास रखें, हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है, कि भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का आशीर्वाद व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता प्रदान करता है। आज आपको हम बताएंगे शिव जी के 5 रहस्यों के बारे में।
शिव ने ली माता पार्वती की परीक्षा
भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह करने से पहले उनकी परीक्षा ली थी। विवाह करने से पहले भगवान भोलेनाथ ब्राह्मण का वेश धारण कर माता पार्वती के पास पहुंचे, और बोले, हे देवी.. आप भला भिखारी स्वरूप शिव से विवाह क्यों करना चाहती हैं। उनके पास तो कुछ भी नहीं है। यह सुनते ही माता पार्वती ब्राह्मण के वेश में आए शिव जी पर क्रोधित हो गई, और बोली वह केवल शिव जी से ही विवाह करेंगी, उसके अलावा अन्य किसी के साथ विवाह नहीं करेंगी। माता पार्वती का यह उत्तर सुनकर भगवान भोलेनाथ उनसे प्रसन्न हुए, और अपने असली रूप में आकर माता पार्वती के विवाह प्रस्ताव को स्वीकार किया।
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भगवान शिव के शरीर पर क्यों लगते हैं भस्म
शिव पुराण के अनुसार एक संत जो खूब तपस्या करता था और बेहद शक्तिशाली हो गया था। वह केवल फल और हरी सब्जियां ही खाता था। अपनी तपस्या के जरिए उस साधु ने जंगल में सभी जीव-जंतुओं पर नियंत्रण भी किया था। एक बार वह अपनी कुटिया की मरम्मत कर रहा था। तभी उसकी उंगली कट गई, उंगली कटने पर साधु की उंगली से खून की बजाए पौधे का रस निकला। जिसे देख साधु को यह एहसास हुआ कि वह बहुत पवित्र हो चुका है। उसके शरीर में खून की जगह पौधे का रस भर गया है। उस साधू को घमंड हो गया। शिव जी ने उसका घमंड मिटाने के लिए एक बूढ़े व्यक्ति का रूप धारण किया। भगवान शिव ने साधू से पूछा कि वह इतना खुश क्यों है, जिस पर साधू ने उत्तर दिया शिव जी ने उसकी पूरी बात सुनकर कहा, यह पौधे और फलों का रस ही तो है लेकिन जब पेड़ पौधे जल जाते हैं तो वह भी राख बन जाते हैं शिव जी ने अपनी उंगली काट कर उस व्यक्ति को दिखायाऔर शिव जी की उंगली कटने पर उनकी उंगली से निकली राख को देखकर उस साधू को यह एहसास हुआ, की साक्षात भगवान उसके सामने आ गए और उसकी अज्ञानता के लिए उसे सबक सिखा रहे हैं। जिसके बाद उसने भगवान शिव से क्षमा मांगी और यही वजह है कि अब से भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म लगाने लगे। ताकि भगवान भोलेनाथ के भक्त सदैव इस बात का ध्यान रखें की शारीरिक सौंदर्य का अहंकार व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। हमेशा अंतिम सत्य को ध्यान रखें।
शिव ने किया मां काली का क्रोध शांत
क्रोध और उग्रता के प्रतीक भगवान शिव ने उदार रूप धारण कर मां काली का क्रोध शांत किया था। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार मां काली बहुत ज्यादा क्रोधित हो गईं थी। कोई भी देवी- देवता, राक्षस या फिर मानव उन्हें रोकने में समर्थ नहीं था। जिसके बाद सभी ने सामूहिक रूप से मिलकर मां काली के गुस्से को शांत करने के लिए भगवान शिव का स्मरण किया। उस वक्त महाशक्ति मां काली जहां-जहां कदम रख रही थी वह सर्वनाश होना निश्चित था। ऐसे में भगवान शिव को यह अनुभव हुआ, की वह महाकाली को रोकने में समर्थ नहीं है। फिर उन्होंने एक भावनात्मक रास्ता निकाला। मां काली के रास्ते में जाकर भगवान भोलेनाथ लेट गए। मां काली जहां जहां अपने पैर रखी । सबका नाश होता गया, जिसके बाद मां काली का पैर शिव जी की छाती पर पड़ा। ऐसा होते ही मां काली का गुस्सा शांत हो गया, और वह पश्चाताप करने लगी।
भगवान शिव का अमरनाथ गुफा से जुड़ा रहस्य
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से अमरता का रहस्य पूछा, तो भगवान शिव एक गुफा की ओर चल दिए, गुफा की तरफ जाते वक्त उन्होंने रास्ते में कई काम किए, जिसके कारण अमरनाथ गुफा की ओर जाने वाला रास्ता बेहद चमत्कारिक माना जाता है, अमरनाथ का रहस्य बताने के लिए शिव जी ने अपने पुत्र और वाहन को अलग-अलग स्थानों पर छोड़ दिया, वह सभी स्थान तीर्थस्थल है , जहां लोग दर्शन करने जाते है
भगवान शिव ने दिया सुदर्शन चक्र
सृष्टि रचयिता भगवान विष्णु के हाथ में सदैव सुदर्शन चक्र शोभा देता है। यदि पौराणिक कथाओं की माने, तो यह सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु को भगवान शिव ने ही प्रदान किया था। एक बार भगवान विष्णु शिव जी की आराधना कर रहे थे। भगवान विष्णु ने भोलेनाथ को खुश करने के लिए चारों तरफ कमल के फूल रखें, और विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करते हुए, शिवलिंग पर हर बार एक-एक कर कमल का फूल रखने लगे। इस बीच भगवान शिव ने विष्णु जी की भक्ति को परखने के लिए एक फूल उठा लिया। जब विष्णु जी ने 1000वां बार जाप किया, तो फूल नहीं था, जिसपर उन्होंने शिव जी को अपनी आंख निकालकर अर्पित कर दिया, भगवान विष्णु को कमलनयन कहा जाता है। ऐसी अटूट भक्ति देख शिव जी ने प्रसन्न होकर विष्णु जी को सुदर्शन चक्र भेट किया।
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