जानें मासिक शिवरात्रि की व्रत कथा और पूजन महत्व

हिन्दू धर्म और हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान शिव की प्रसन्नता पाने के लिए किया जाने वाला महा शिवरात्रि और मासिक शिवरात्रि व्रत का बहुत महत्व बताया गया है। साल के हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है।

 जीवन में किसी भी समस्या का समाधान पाने के लिए प्रश्न पूछें  

महाशिवरात्रि और मासिक शिवरात्रि के बारे में कहा जाता है कि जो कोई भी इंसान इस व्रत को रखता है और भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करता है उसकी हर मुश्किलें आसान हो जाती हैं। मासिक त्योहारों में मासिक शिवरात्रि के व्रत-पूजन का बहुत महत्व बताया गया है। 

 मई महीने में कब है मासिक शिवरात्रि?

मई के महीने में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि इस वर्ष 09 मई रविवार 2021, को पड़ रही है। अन्य सभी महीनों की शिवरात्रि के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें। शिवरात्रि को शिव और शक्ति के संगम के रूप में देखा जाता है। हर महीने कृष्ण पक्ष के 14वें दिन मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। मान्यता है कि आदि शक्ति शिव का ये पर्व साधक को गुस्सा, जलन की भावना, अहंकार, और लालच जैसी नीच भावनाओं से उबरने में भी मदद करता है। 

मासिक शिवरात्रि पूजन विधि

शिवरात्रि से तो बहुत से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है लेकिन माना जाता है कि मासिक शिवरात्रि भी उतनी ही फलदायी और प्रभावशाली होती है। अब जानिए इस व्रत की पूजन विधि :

  • शास्त्रों में शिवरात्रि व्रत और तप करने का सबसे उचित समय मध्यरात्रि माना गया है। हालाँकि बहुत से लोग इस प्रकार से व्रत-पूजन नहीं कर पाते हैं। 
  • ऐसे में इस दिन सुबह सवेरे उठकर स्नान आदि कर लें।
  • स्नान के बाद शिव मंदिर जाएं। मंदिर नहीं जा पाने की स्थिति में आप घर पर ही इस दिन की पूजा कर सकते हैं।
  • इस समय मंदिर नहीं ही जाने की सलाह दी जाती है ऐसे में आप घर में ही विधिवत पूजा करें तो ज्यादा उचित होगा। 
  • पूजा शुरू करने से पहले भगवान शिव का अभिषेक करें। मुमकिन हो तो गंगाजल से ही अभिषेक करें। अगर गंगाजल मुमकिन नहीं हो तो आप दूध से भी भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं। 

आपकी कुंडली में है कोई दोष? जानने के लिए अभी खरीदें एस्ट्रोसेज बृहत् कुंडली 

  • मासिक शिवरात्रि हो या शिवरात्रि भगवान शिव को बेलपत्र, फूल इत्यादि अवश्य अर्पित करें। 
  • इसके बाद भगवान को धूप-दीप दिखाएं। 
  • इसके बाद शिव चालीसा, शिव स्तुति एवं शिव अष्टक का स्पष्ट उच्चारणपूर्वक पाठ करें। 
  • इसके बाद भगवान की आरती करें।
  • पूजा के बाद आप फलाहार कर सकते हैं। 
  • शाम को दोबारा स्नान और पूजा करें और अगले दिन व्रत पूरा करें।

कुंडली में मौजूद राज योग की समस्त जानकारी पाएं

मासिक शिवरात्रि महत्व

  • मासिक शिवरात्रि के दिन सच्चे मन से पूजा-व्रत करने से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। 
  • इस दिन व्रत रखने से इंसान के सभी मुश्किल काम हल हो जाते हैं और उसकी सभी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। 
  • मासिक शिवरात्रि के बारे में कहा जाता है कि अगर कुंवारी कन्याएं इस दिन व्रत रखती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है और विवाह में आ रही रुकावट भी दूर हो जाती है। 
  • शिव पुराण में इस व्रत का उल्लेख करते हुए लिखा है कि जो  कोई भी इंसान इस दिन सच्चे मन से पूजा करता है और व्रत रखता है उसकी सभी इच्छाएँ अवश्य पूरी हो जाती हैं।
  •  भगवान शिव की कृपा से इस व्रत को रखने वाले इंसान के सभी बिगड़े और अधूरे काम बन जाते हैं। 
  • भगवान शिव का यह ख़ास व्रत संतान प्राप्ति और रोग मुक्ति के लिए भी किया जाता है।

मासिक शिवरात्रि के बारे में प्रचलित मान्यताएं 

हिन्दू धर्म के सभी त्योहारों की ही तरह मासिक शिवरात्रि से भी जुड़ी एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार बताया जाता है कि, ‘महाशिवरात्रि के ही दिन मध्य रात्रि के समय भगवान शिव, लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। भगवान शिव के इस रूप की पूजा सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने की थी। 

माना जाता है कि उसी दिन से भगवान शिव की उत्पत्ति के इस दिन को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार माता लक्ष्मी, माता गायत्री, माता सीता, माता सरस्वती, माता रति और माता पार्वती जैसी कई देवियों ने भी अपने जीवन के उद्धार के लिए शिवरात्रि का व्रत किया था। ये कल्याणकारी व्रत इंसान को उसके जीवन में सुख और शांति प्रदान करने वाला माना गया है। 

मासिक शिवरात्रि व्रत कथा 

मासिक शिवरात्रि के बारे में प्रचलित पहली कथा के अनुसार बताया जाता है कि, एक समय की बात है जब भगवान शिव के क्रोध की वजह से पूरी पृथ्वी जलकर भस्म होने लगी तब उस वक्त माता पार्वती ने भगवान शिव को शांत करने के लिए उनसे प्रार्थना करनी शुरू की। माता पार्वती की तपस्या को देखकर शिव जी का क्रोध शांत हो जाता है। 

बताया जाता है कि तब से ही कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन भगवान शिव की पूजा का विधान बताया गया है। इस दिन को शिवरात्रि कहते हैं। शिवरात्रि का व्रत दुखों का अंत करने वाला, संतान प्राप्ति के लिए उच्च, रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। 

मासिक शिवरात्रि के बारे में प्रचलित दूसरी कथा के अनुसार बताया जाता है कि, एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी में इस बात को लेकर विवाद जाता है कि इन दोनों में से श्रेष्ठ कौन हैं? तभी शिवजी एक अग्नि के स्तंभ के रूप में दोनों के सामने आते हैं, और दोनों ही देवताओं से कहते हैं कि मुझे इस प्रकार स्तंभ में कोई भी सिरा दिखाई नहीं दे रहा है। 

तब भगवान शिव की बात सुनकर भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी गलती का एहसास हो जाता है, और वह अपनी भूल पर भगवान शिव से माफी मांगते हैं। माना जाता है कि शिवरात्रि के व्रत से मनुष्य के अंदर का अहंकार खत्म होता है।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.