मंगल दोष कर रहा है परेशान, तो जरूर करें मंगला गौरी व्रत पर ख़ास ये उपाय

भगवान ​शिव का प्रिय महीना सावन या श्रावण मास की शुरुआत होने वाली है। सावन की पहली तिथि कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा होती है। श्रावण मास में सावन सोमवार व्रत, मंगला गौरी व्रत और सावन शिवरात्रि बहुत अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। वैसे तो सावन का पूरा महीना भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है, लेकिन जिस प्रकार सावन सोमवार का व्रत भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए विशेष माना जाता है, उसी प्रकार सावन माह में पड़ने वाले मंगलवार को माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से सुहागन महिलाएं और कन्याएं रखती हैं।

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बता दें कि प्रत्येक साल सावन महीने के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। मंगला गौरी व्रत के दिन माता पार्वती के साथ भगवान शिव, भगवान गणपति और नंदी की भी पूजा करने का विधान है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि इस साल मंगला गौरी का व्रत किस तिथि को पड़ेगा और मंगल दोष से छुटकारा पाने के लिए इस दिन कौन से उपाय फलदायी साबित हो सकते हैं।

मंगला गौरी 2024 की तिथि एवं मुहूर्त

भगवान शिव की तरह माता पार्वती को भी यह महीना बहुत अधिक प्रिय है इसलिए इस माह भोलेनाथ के साथ-साथ माता गौरी की भी पूजा करना शुभ माना जाता है। इस बार सावन या श्रावण माह की शुरुआत 22 जुलाई, सोमवार के दिन से हो रही है। ऐसे में सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई 2024, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। इस व्रत पर मुख्य रूप से माता पार्वती की उपासना की जाती है।

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मंगला गौरी व्रत का महत्व

मंगला गौरी का व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है, साथ ही कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की प्राप्ति और सौभाग्य एवं समृद्धि के लिए व्रत का पालन करती हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से पति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है और कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की। जिस प्रकार से माता गौरी और भगवान भोलेनाथ का साथ जन्म जन्मांतर का है, उसी प्रकार से व्रती महिलाएं भी उनसे ऐसे सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। इसके साथ ही, घर-परिवार में भी सुख-शांति का माहौल बना रहता है। ऐसी मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत करने से विवाह में आ रही बाधाएं भी दूर हो सकती हैं।

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मंगला गौरी व्रत के दिन इस विधि से करें पूजा

  • मंगला गौरी व्रत के दिन सबसे पहले व्रत रखने वाली महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के बाद नए वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
  • संकल्प लेते समय महिलाओं को विशेष रूप अपने मन में इन बातों को बार-बार दोहरना चाहिए- “मैं अत्यंत आनंदित होकर एक वक़्त के भोजन का त्याग कर व्रत का संकल्प लेती हूं, मेरे सभी पापों का नाश हों और मेरे सौभाग्य में वृद्धि हो।”
  • इसके बाद घर के मंदिर में गौरी और शिव जी मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • एक कलश में मिट्टी डालकर उसमें जौ की कुछ बीजें डाल दें, अगले पांच दिनों तक पूजा के समय इस कलश में पानी डालें और पूरे विधि विधान से इसकी पूजा करें।
  • यह व्रत एक दिन, तीन दिन और पांच दिनों के लिए लिया जा सकता है। 
  • इस दौरान माता गौरी की पूजा के लिए कुमकुम, अश्वगंधा, कस्तूरी और लाल रंग के फूलों का प्रयोग करें।
  • प्रसाद के रूप में आप नारियल जरूर चढ़ाएं, इशके अलावा अनार या कोई भी अन्य मौसमी फल चढ़ा सकते हैं।
  • पूजा व आरती के बाद इस व्रत से संबंधित कथा जरूर सुनें क्योंकि कथा के बिना व्रत अधूरा माना जाता है और इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाएं व अपनी क्षमता अनुसार, दान-दक्षिणा प्रदान करें।

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मंगला गौरी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में धर्मपाल नामक एक सेठ रहता था। सेठ धर्मपाल के पास धन दौलत की कोई कमी नहीं थी। वह पूरी तरह सर्व गुण संपन्न था और भगवान शंकर का भक्त था। कालांतर में सेठ धर्मपाल की शादी गुणवान कन्या से हुई। हालांकि, विवाह के बाद कई वर्षों तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई। इससे सेठ धर्मपाल काफी चिंतित रहने लगा। वह सोचने लगा कि अगर संतान नहीं हुई, तो उसके कारोबार का कौन उत्तराधिकारी होगा? एक दिन सेठ धर्मपाल की पत्नी ने संतान प्राप्ति के लिए किसी पंडित से संपर्क करने की बात कही।

पत्नी की सलाह को मानते हुए सेठ ने नगर के सबसे प्रसिद्ध पंडित के पास जाकर मुलाकात की। उस समय पंडित ने सेठ दंपत्ति को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-उपासना करने की सलाह दी। इसके बाद सेठ धर्मपाल और उसकी पत्नी ने विधि विधान से महादेव और माता पार्वती की पूजा-उपासना की। सेठ धर्मपाल की पत्नी की कठिन भक्ति भाव को देखकर माता प्रसन्न हुई और प्रकट होकर बोली- हे देवी! तुम्हारी भक्ति देखकर मैं बहुत अधिक खुश हूं, जो वर मांगना चाहते हो! मांगो। तुम्हारी हर इच्छाओं की पूर्ति होगी। सेठ धर्मपाल की पत्नी ने तुरंत ही अपनी संतान प्राप्ति की कामना की। माता पार्वती ने संतान प्राप्ति का वरदान दिया लेकिन, संतान अल्पायु था।

एक वर्ष बाद, धर्मपाल की पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया। जब पुत्र का नामकरण किया गया, तो उस समय धर्मपाल ने माता पार्वती के वचन से ज्योतिष को अवगत कराया। तब ज्योतिष ने सेठ धर्मपाल को पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से करने की सलाह दी। ज्योतिष के कहने पर सेठ धर्मपाल ने अपने पुत्र की शादी मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से की। कन्या के व्रत करने से सेठ धर्मपाल के पुत्र को लंबी आयु की प्राप्ति हुई।

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मंगला गौरी पर करें ये ख़ास उपाय

मंगला गौरी के दिन कुछ ख़ास उपाय बताए जा रहे हैं, जिसे अपनाकर आप मंगल दोषों से मुक्ति पा सकते हैं। साथ ही, अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत के उपायों के बारे में…

विवाह में आ रही देरी के लिए

यदि किसी जातक के विवाह में देरी हो रही है तो, इसके लिए मंगला गौरी व्रत पर मां गौरी को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करनी चाहिए। इससे मां गौरी प्रसन्न होती हैं और अपना विशेष आशीर्वाद प्रदान करती है। इसके साथ ही, व्रत के दिन मिट्टी का घड़ा बहते नदी में प्रवाहित करने से भी विवाह में आ रही समस्याएं दूर होती है।

मंगल ग्रह मजबूत करने के लिए

मंगला गौरी व्रत के दिन गरीबों और जरूरतमंदों में लाल मसूर की दाल और लाल वस्त्र आदि लाल सामान दान करना चाहिए। इससे कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और जातक को मंगल दोष के बुरे प्रभावों से भी छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही, इस दिन मां गौरी की पूजा के दौरान ‘ॐ गौरी शंकराय नमः’ मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए। इससे मंगल के शुभ प्रभाव प्राप्त होते हैं।

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मनचाहा वर प्राप्ति के लिए

ज्योतिष के अनुसार, मंगला गौरी व्रत के दिन कुंवारी कन्याओं मनचाहा वर प्राप्ति करने के लिए दो मुट्ठी मसूर दाल को एक लाल कपड़े में बांधकर किसी जरूरतमंद या गरीब व्यक्ति को दान कर देना चाहिए। इससे आपको मनचाहा वर की प्राप्ति होगी।

विवाह में आ रही अड़चनें दूर करने के लिए

यदि आपके विवाह में बार-बार अड़चनें आ रही है या बात बनते-बनते किसी कारण से रह जा रही है तो सावन ने हर मंगला गौरी व्रत का व्रत करें और इस दौरान इस मंत्र का जाप करें- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

आठवें भाव में मंगल 

यदि किसी अविवाहित कन्या की कुंडली में आठवें भाव में मंगल विराजमान हैं तो ज्योतिष अनुसार कन्या को हर मंगलवार के दिन रोटी बनाने से पहले तवे पर ठंडे पानी के छींटे मारकर फिर रोटी बनानी चाहिए। इससे मंगल के शुभ प्रभाव की प्राप्ति होगी।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. इस साल मंगला गौरी का व्रत कब रखा जाएगा?

उत्तर 1.  साल 2024 में मंगला गौरी का व्रत 23 जुलाई 2024, मंगलवार के दिन रखा जाएगा। 

प्रश्न 2. मंगला गौरी में माता को क्या अर्पित करना चाहिए?

उत्तर 2. मां मंगला गौरी व्रत के दौरान माता को आटे के लड्डू, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, और सुहाग सामग्री अर्पित करनी चाहिए।

प्रश्न 3. मंगला गौरी किसकी पत्नी थी?

उत्तर 3. माता गौरी भगवान शिव की पत्नी थी।

प्रश्न 4. मंगला गौरी व्रत कौन रख सकता है?

उत्तर 4.  मंगला गौरी का व्रत सुहागिन महिला से लेकर कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। 

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