कब है मकर संक्रांति 2025 में? जानें तिथि एवं दान-स्नान का मुहूर्त!

हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है मकर संक्रांति का त्योहार और नए साल की शुरुआत में इस पर्व को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। सामान्य रूप से लोहड़ी के अगले दिन मकर संक्रांति आती है और इनके साथ ही नए साल में त्योहारों का आगाज़ हो जाता है। मकर संक्रांति धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष मानी गई है जो सर्दी के अंत और गर्मी की शुरुआत का प्रतीक है।  इस पर्व को देशभर में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। साथ ही, इस दिन गंगा स्नान और दान का अत्यधिक महत्व बताया गया है। हालांकि, हर साल मकर संक्रांति की तिथि को लेकर थोड़ी कन्फूयजन देखने को मिलती है। एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में आपको मकर संक्रांति से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी और इस दिन किये जाने वाले राशि अनुसार दान के बारे में भी आपको बताएंगे, तो आइए शुरुआत करते हैं इस लेख की।

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लोहड़ी के दूसरे दिन मकर संक्रांति को पूरे देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। साथ ही, यह पर्व भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे कि पोंगल, उत्तरायण, टिहरी, खिचड़ी आदि। मकर संक्रांति से प्रकृति में परिवर्तन आने लगते हैं और दिन बड़े होने लगते हैं जबकि रातें छोटी होने लगती हैं। प्रत्येक वर्ष जब भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव की मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। हालांकि, हर साल कुल 12 संक्रांति तिथि आती है जिसमें से मकर संक्रांति को सबसे शुभ माना जाता है। चलिए बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जानते हैं मकर संक्रांति की तिथि और मुहूर्त। 

मकर संक्रांति 2025: तिथि एवं पूजा मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मकर संक्रांति के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, यह पर्व जनवरी के महीने में पड़ता है। हिंदू धर्म के अन्य त्योहारों की तरह ही इसे चंद्रमा की स्थिति के आधार पर मनाया जाता है। बता दें कि सूर्य महाराज 14 जनवरी 2025 की सुबह 08 बजकर 41 मिनट पर मकर राशि में गोचर कर जाएंगे। इसी के साथ, खरमास का अंत हो जाएगा और शुभ कार्यों का पुनः आरंभ हो जाएगा। 

मकर संक्रांति 2025 की तिथि: 14 जनवरी, 2025, मंगलवार

मकर संक्रांति पुण्य काल मुहूर्त : सुबह 08 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक 

अवधि: 3 घंटे 49 मिनट

महापुण्य काल मुहूर्त: सुबह 08 बजकर 40 मिनट से 09 बजकर 04 मिनट तक

अवधि: 0 घंटे 24 मिनट

संक्रांति का क्षण: सुबह 08 बजकर 40 मिनट  

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का मुहूर्त: सुबह 09 बजकर 03 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक 

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मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व 

मकर संक्रांति को सनातन धर्म का प्रमुख पर्व माना जाता है और इस दिन दान एवं पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ होता है। इस पर्व से जुड़ी पौराणिक मान्यता है कि सूर्य देव मकर संक्रांति के दिन अपने रथ से खर अर्थात गधे को निकालकर दोबारा सात घोड़ों पर सवार हो जाते हैं और एक बार फिर अपने सात अश्वों के रथ पर सवार होकर चारों दिशाओं का भ्रमण करते हैं। इस दौरान से सूर्य के प्रभाव एवं चमक में वृद्धि होती है। 

कहते हैं कि मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सभी देव धरती पर आते हैं और आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही, मकर संक्रांति पर उड़द दाल की खिचड़ी खाने के साथ-साथ दान करने से जातक पर भगवान सूर्य और शनि देव की कृपा बनी रहती है। ऐसा करने से शनि दोष का निवारण हो जाता है और खिचड़ी का भोग लगाना भी शुभ रहता है।

ज्योतिषीय दृष्टि से मकर संक्रांति 

ज्योतिष में सूर्य देव को ग्रहों के राजा कहा जाता है और इन्हें सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है। वर्ष में एक बार मकर संक्रांति के दिन सूर्य महाराज अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो, सूर्य का गोचर मकर राशि में होता है और मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं। ऐसे में, मकर राशि में सूर्य के प्रभाव से सभी तरह की नकारात्मकता का नाश हो जाता है। 

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मकर संक्रांति से शुरू हो जाएंगे शुभ कार्य 

सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास लग जाता है और इस प्रकार, एक माह तक शुभ कार्य वर्जित होते हैं। ऐसे में, सूर्य के मकर राशि में गोचर के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। एक बार फिर से शुभ एवं मांगलिक कार्यों जैसे कि शादी-विवाह, सगाई, गृह प्रवेश और मुंडन आदि कार्य किये जा सकेंगे। 

मकर संक्रांति पर मनाये जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार 

जनवरी में आने वाले पर्व मकर संक्रांति के दिन अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। कौन से हैं ये पर्व और कैसे मनाये जाते हैं, आइए जानते हैं। 

उत्तरायण: उत्तरायण भगवान सूर्य से संबंधित है और इस दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है। यह पर्व मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है जहाँ इस दिन तरह-तरह की पतंगें उड़ाई जाती हैं। 

पोंगल: दक्षिण भारत का प्रमुख पर्व है पोंगल जो कि मुख्यतः केरल, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में मनाया जाता है। यह त्योहार किसानों से जुड़ा है क्योंकि इस दिन धान की कटाई के बाद लोग पोंगल को मनाते हैं। हालांकि, पोंगल में सूर्य और इंद्र देव की पूजा की जाती है और अच्छी फसल और बारिश के लिए भगवान के प्रति आभार प्रकट किया जाता है। यह पर्व लगातार तीन दिनों तक चलता है। 

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लोहड़ी: लोहड़ी का पर्व पंजाब में मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण पर्व है और इसका संबंध पंजाबियों एवं सिख धर्म के लोगों से है। हालांकि, बदलते समय के साथ इसकी रौनक देश भर में देखने को मिलती है। इस दिन फसलों की कटाई की जाती है और रात को अग्नि जलाकर आसपास लोक गीत गाए जाते हैं। 

माघ या बिहू: असम में माघ बिहू को हर साल माघ माह में आने वाली संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है। असम में इस दौरान तिल, चावल, नारियल और गन्ने की अच्छी फसल होती है इसलिए इस मौके पर कई तरह के पकवान और व्यंजन बनाए जाते हैं। भोगली बिहू के दिन टेकली नामक एक खेल खेले जाने की भी परंपरा है। 

घुघुती: उत्तराखंड में मकर संक्रांति के दिन घुघुती त्योहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह प्रवासी पक्षियों के स्वागत का प्रतीक माना गया है और इस दिन लोग आटे और गुड़ की मिठाइयां बनाते हैं, फिर यह कौवों को खिलाते हैं। 

आइए अब हम आपको बताने जा रहे हैं मकर संक्रांति पर किए जाने वाले उपायों से। 

मकर संक्रांति पर जरूर करें ये उपाय 

  • मकर संक्रांति पर प्रातःकाल घर के मुख्य द्वार की सफाई करके दरवाजे के दोनों तरफ हल्दी का जल छिड़कना चाहिए। इसके पश्चात, सूर्य देव को प्रणाम करें। 
  • मकर संक्रांति के दिन गंगा जल से स्नान करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही , इस अवसर पर घर के मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं को नए वस्त्र पहनाने चाहिए। 
  • मकर संक्रांति पर नमक, रुई, तेल, गर्म वस्त्र, तिल, चावल, आलू, गुड़ और धन आदि का दान गरीबों, जरूरतमंदों या फिर किसी ब्राह्मण को करना चाहिए।  

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मकर संक्रांति पर राशि अनुसार करें दान, सुख-समृद्धि का मिलेगा आशीर्वाद 

मेष राशि: मेष राशि के जातकों को मकर संक्रांति पर गुड़ और मूंगफली का दान करना चाहिए।

वृषभ राशि: मकर संक्रांति पर वृषभ राशि वाले सफेद तिल के लड्डू दान करें।

मिथुन राशि: मिथुन राशि के लोगों के लिए इस दिन हरी सब्जियों का दान करना शुभ रहेगा।

कर्क राशि: कर्क राशि वाले मकर संक्रांति पर चावल और उड़द की दाल दान करें।

सिंह राशि: सिंह राशि के जातकों को इस तिथि पर गुड़, शहद और मूंगफली का दान करना चाहिए।

कन्या राशि: मकर संक्रांति पर आप गरीब एवं जरूरतमंदों को मौसमी फलों और सब्जियों का दान करें।

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तुला राशि: मकर संक्रांति पर तुला राशि के लिए दही, दूध, सफेद तिल और चूड़ा दान करना श्रेष्ठ रहेगा।

वृश्चिक राशि: यह जातक इस अवसर पर चिक्की, शहद और गुड़ का दान करें।

धनु राशि: धनु राशि वालों को मकर संक्रांति पर केला, हल्दी और धन का दान करना चाहिए।

मकर राशि: इन लोगों के लिए मकर संक्रांति पर चावल और उड़द की दाल का दान करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा।

कुंभ राशि: कुंभ राशि वालों को इस अवसर पर तिल, काले कंबल और गुड़ का दान करना चाहिए।

मीन राशि: मीन राशि के लोग मकर संक्रांति पर वस्त्र और धन का गरीब एवं जरूरतमंदों को दान करें।

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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. लोहड़ी 2025 में कब है?

साल 2025 में लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। 

2. सूर्य का मकर राशि में गोचर कब होगा?

मकर राशि में सूर्य देव 14 जनवरी 2025 को प्रवेश कर जाएंगे। 

3. खरमास कब खत्म होगा?

वर्ष 2025 में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास का अंत हो जाएगा यानी कि 14 जनवरी 2025 से शुभ कार्य किये जा सकेंगे।

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